मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (सितम्बर 30, 2022) को तमिलनाडु पुलिस को रैली आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को अनुमति न देने पर सख्त नाराजगी जताते हुए, आगामी 6 नवम्बर को रैली करने की अनुमति देने का निर्दश दिया है।
मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु पुलिस को आरएसएरस को रैली आयोजित करने की अनुमति देने का निर्देश 22 सितम्बर 2022 को दिया था। बावजूद, तमिलनाडु पुलिस ने न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हुए अनुमति नहीं दी। आरएसएस 2 अक्टूबर को पथ-संचलन आयोजित करने जा रही थी।
इस पर आरएसएस की तरफ से तमिलनाडु सरकार पर न्यायालय के आदेश की अवमानना करने पर एक याचिका दर्ज की। इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने रैली की अनुमति देने के साथ-साथ, आदेश का उचित अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तमिलनाडु सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका को लम्बित रखने का निर्णय किया है।
जस्टिस जीके इलांथिरैया की पीठ (बेंच) ने अपने आदेश में कहा है कि आदेश का उल्लंघन करने पर अधिकारियों को अवमानना कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
RSS की रैली क्यों महत्वपूर्ण है?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश भर में अपने वार्षिक कैलेण्डर के हिसाब से कार्यक्रम करता रहता है। यह पथ-संचलन कार्यक्रम भी इन्हीं कार्यक्रमों में से एक है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना भी विजयादशमी के दिन डॉक्टर केशव राव बलिराम हेडगेवार ने वर्ष 1925 में की है। इस दिन आरएसएस के सरसंघचालक का उद्बोधन होता है। साथ ही, पूरे वर्ष की रूप-रेखा भी तय की जाती है।
विजयादशमी के आस-पास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरे देश में अलग-अलग दिन और अलग-अलग स्थानों पर पंथ संचलन कार्यक्रम करता रहा है।
आरएसएस, तमिलनाडु में 51 जगहों पर 2 अक्टूबर को विजयादशमी, डॉ. भीमराव राम जी अम्बेडकर और स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पंथ-संचलन कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहा था। हालाँकि, यह रैली अब 6 नवम्बर को होनी है।
कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद यह पहली बार है, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विजयादशमी के उपलक्ष्य पर पथ-संचलन कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।