सोमवार को रेलवे पुलिस बल (RPF) के एक 33 वर्षीय कांस्टेबल चेतन सिंह द्वारा अपने साथी और अन्य तीन यात्रियों की हत्या कर दी गई। इस पूरे मामले को मीडिया के एक वर्ग ने हिन्दू आतकंवाद से जोड़ने का पूरा प्रयास किया जबकि FIR में दर्ज बिंदु एवं घटना के चश्मदीदों के मीडिया में छपे बयान इस पूरे नैरेटिव का खंड़न करते हैं।
क्या है मामला?
दरअसल, अपने सीनियर द्वारा जल्दी ड्यूटी से मुक्त करने (छुट्टी देने) से इनकार करने को लेकर नाराज चंदन ने सोमवार तड़के जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन में सहायक उप-निरीक्षक 58 साल के टीकाराम मीना पर चार गोलियां चला दीं। मीना की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं नाराज कांस्टेबल ने तेज रफ्तार ट्रेन में तीन अन्य यात्रियों को भी गोली मार दी।
चश्मदीद के कहा, ‘चेतन सिंह बीमार हैं’
बोरीवली जीआरपी को दिए गए आरपीएफ कांस्टेबल अमय आचार्य के बयान के अनुसार, “चेतन सिंह, टीकाराम मीना और तीन अन्य टिकट चेकर सोमवार तड़के पैंट्री कोच में मुझसे मिले थे। मीना ने मुझे बताया कि चेतन सिंह बीमार हैं जिसके बाद मैंने जांच करने के लिए उन्हें छुआ लेकिन मैं यह पता नहीं लगा सका कि उन्हें बुखार है या नहीं।” आचार्य ने कहा, “सिंह ने ड्यूटी से जल्दी छुट्टी लेने और वलसाड रेलवे स्टेशन पर ट्रेन छोड़े जाने पर जोर दिया।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चंदन सिंह की मानसिक स्थिति ख़राब है और रेलवे भी इस पहलू पर जांच कर रही है। बताया जाता है कि चेतन सिंह ‘असामान्य मतिभ्रम’ यानी हैल्यूसिनेशन का शिकार है। लंबे समय से उसका इलाज चल रहा था। चेतन अवसाद से घिरा हुआ था।
हैल्यूसिनेशन क्या है?
यह किसी चीज को वास्तविक बना लेने जैसा है जो असल में है नहीं। उदाहरण के लिए बहुत लोग देवी-देवता देखने की बातें करते हैं। कुछ लोगों को गुजरने के बाद अपना कोई बहुत सगा दिखाई पड़ता है। ऐसा बहुत सोच लेने के कारण होता है। उस व्यक्ति को वे चीजें साफ दिखती हैं जो होती नहीं हैं। यही मतिभ्रम या हैल्यूसिनेशन है। यह मनोविकृति से जुड़ा विकार है। विशेष रूप से यह सिजोफ्रेनिया का लक्षण होता है। नशा करने वालों के साथ भी ऐसा हो जाता है। जब कोई व्यक्ति सोचता है कि उसका हैल्यूसिनेशन रियल है तो इसे मनोवैज्ञानिक लक्षण माना जाता है। हैल्यूसिनेशन कई तरह के हो सकते हैं।
FIR में दर्ज बीमारी की बात
आरोपी कांस्टेबल चेतन सिंह ने बताया था कि वह बीमार था, जिसके कारण वह अपनी शिफ्ट खत्म होने से कुछ घंटे पहले ड्यूटी से मुक्त होना (छुट्टी लेना) चाहता था, लेकिन जब उसके सीनियरों ने उसकी ड्यूटी पूरी करने पर जोर दिया, तो इससे वह उत्तेजित हो गया। इसके बाद उसने तेज रफ्तार ट्रेन में ही मीना और तीन अन्य यात्री को गोली मार दी।
इस्लामिक और वामपंथी मीडिया ने दिया साम्प्रदायिक रंग
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाया, उन्होंने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की, जबकि पुलिस अभी भी मामले की जांच कर रही है।
हालाँकि, बाद में ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक ने अपने कुछ ट्वीट भी डिलीट कर दिए।
इसके बाद कट्टरपंथी आरजे सायमा ने भी वह वीडियो ट्ववीट किया, जिसकी आधिकारिक रूप से रेलवे ने पुष्टि नहीं की है। सायमा ने लिखा “उसे मानसिक रूप से अस्थिर मत कहो और ‘मानसिक बीमारी’ के पूरे कारण के प्रति असंवेदनशील मत बनो। उसने अपनी चालों की गणना की और अपने शिकार की पहचान की। उन लोगों के नाम लिए जिनकी वह पूजा करता है। वह एक आतंकवादी है! वो भी वर्दी में! बकवास बंद करो”
लेखिका और ‘पत्रकार’ सागरिका घोष, जो होली पर महिलाओं पर वीर्य से भरे गुब्बारे फेंके जाने की फर्जी खबर फैलाने के लिए कुख्यात हैं, ने भी दावा किया कि यह घटना एक ‘हेट क्राइम’’ थी, हालाँकि न तो पुलिस के बयान और न ही एफआईआर कॉपी में फायरिंग के पीछे खास वजह का कोई जिक्र है।
द वायर की ‘पत्रकार’ आरफ़ा खानुम शेरवानी ने यह बताने का प्रयास किया कि भारत के युवाओं को सत्तारूढ़ सरकार द्वारा कट्टरपंथी बनाया गया था और यह चिंता का विषय था।
आरफा ने ट्वीट किया “आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह द्वारा चलती ट्रेन में अपनी आधिकारिक राइफल का उपयोग करके 4 हत्याएं एक वर्दीधारी व्यक्ति द्वारा आतंक का कार्य है। कट्टरपंथ परियोजना पूरी हो गई है और भारत ऐसे बिंदु पर है जहाँ से वापसी संभव नहीं है। हमें चिंतित होना चाहिए, बहुत चिंतित होना चाहिए।”
द प्रिंट की ‘पत्रकार’ स्वाति चतुवेर्दी ने कहा, ”एनसीआर में सांप्रदायिक झड़पें, गुरुग्राम तक फैल रही हैं, आरपीएफ कांस्टेबल, चेतन सिंह ने ‘मोदी और योगी के लिए चार लोगों की हत्या कर दी। क्या योगी उन बिंदुओं में शामिल हो गए हैं जिन्होंने नए भारत को कट्टरपंथी बना दिया है?
अल जज़ीरा जैसे भारत विरोधी वैश्विक मीडिया चैनलों ने भी यह खबर चलाई कि पहले चेतन सिंह ने मुस्लिम यात्रिओं से धर्म को लेकर लड़ाई की और उसके बाद मुस्लिम यात्रियों को गोली मार दी।
वैश्विक मीडिया ने इंडियन एक्सप्रेस के सूत्र को अपनी रिपोर्ट का आधार बनाया और कहा कि ये उस नफरत का नतीजा था जो कथित तौर पर भारत में सत्तारूढ़ सरकार द्वारा पूरे देश में फैलाई गई है।
हालाँकि इस घटना को हेट क्राइम करार देना वामपंथी विचारधारा वाले ‘पत्रकारों’ और विपक्षी राजनीतिक दलों के कथन के अनुरूप है, लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि पश्चिमी रेलवे ने उन दावों का खंडन किया है कि गोलीबारी धर्म पर एक बहस के बाद हुई थी। रेलवे ने यह भी संकेत दिया है कि जो वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है, वह एडिटेड भी हो सकता है।
वायरल वीडियो को लेकर वेस्टर्न रेलवे के प्रवक्ता सुमित ठाकुर ने इंडियन एक्सप्रेस को एक बयान में कहा, “इसका स्थान और प्रामाणिकता पुष्टि नहीं की जा सकती। इसे एडिटेड भी किया जा सकता है, मामले की जाँच चल रही है।”
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