चन्द्रयान 3 को लॉन्च करने से पहले इसरो का एक वैज्ञानिक दल तिरुमला में श्री वेंकटेश्वर मन्दिर पहुंचा और इस मिशन की सफलता के लिए पूजा-अर्चना कर, भगवान का आशीर्वाद लिया।
हालाँकि वैज्ञानिकों के मन्दिर जाने से भारत का वोक और प्रगतिशील वर्ग नाराज हो गया और कहने लगा कि आप वैज्ञानिक नहीं हैं क्योंकि आप विज्ञान कार्य करे, इसके लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
हिन्दू देवताओं से घृणा करने वाली इस प्रजाति के लिए परमाणु बम के जनक रॉबर्ट ऑप्पेनहाइमर कह गए हैं कि “जब परमाणु बम का परीक्षण किया गया, तो वे इसकी क्षमता देख भयभीत हो गए थे। उस समय उन्हें श्रीमद भगवद्गीता का वो श्लोक याद आया, जब भगवान विष्णु अर्जुन को समझाने की कोशिश करते हैं कि उन्हें अपना कर्तव्य निभाना चाहिए और अपना सशस्त्र विराट रूप धारण कर कहते हैं, अब मैं मृत्यु बन गया हूँ, संसार का विनाशक बन गया हूँ।”
परमाणु बम के जनक ऑप्पेनहाइमर श्रीमद्भगवदगीता से प्रेरणा ले रहे हैं। आज, अगर ऑप्पेनहाइमर जीवित होते तो ये हिन्दू विरोधी प्रजाति उनका वैज्ञानिक होने का लाइसेंस मुंहजुबानी तत्काल रद्द कर देती।
भारत की इस अतार्किक प्रजाति को समझना चाहिए कि वे इसरो को चलाते हैं, क्योंकि वे वैज्ञानिक हैं और आप हिन्दू विरोधी हैं इसलिए भारतीय परम्परा के अनुरूप यानी शुभ कार्य से पहले अपने आराध्य का आशीर्वाद लेने पर भी तंज कसने से बाज नहीं आ रहे हैं।
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