दीपावली की शाम एक बड़ी खबर लेकर आई। भारतवंशी ऋषि सुनक के ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री बनने की सूचना मिली तो त्योहार के हर्षोल्लास में डूबे भारतीयों के लिए प्रसन्नता के साथ-साथ एक नई बहस भी शुरू हो गई। सुनक राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट का सामना कर रहे इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री पद के लिए चुन लिए गए। जुलाई माह में अंतर्दलीय प्रतिस्पर्धा में ऋषि को हराकर प्रधानमंत्री बनी लिज ट्रस ने 44 दिन पद संभालने के बाद त्यागपत्र दे दिया।
इसके साथ ही लगभग 2 महीने पहले प्रधानमंत्री पद को लेकर खत्म हुई बहस ने फिर से जोर पकड़ लिया। ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे देखा गया। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऋषि की सबसे कड़ी प्रतिद्वंदी मानी जा रहीं पेनी मौर्डंट ने प्रधानमंत्री बनने की दौड़ से बाहर होने की घोषणा की।
कौन हैं ऋषि सुनक, क्या है भारत से सम्बन्ध?
ऋषि सुनक ब्रिटेन में जन्मे भारतीय मूल के राजनेता हैं। ऋषि का जन्म वर्ष 1980 में इंग्लैण्ड के साउथहैम्पटन शहर में हुआ था। उनके माता-पिता ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत हैं। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा विंचीस्टर स्कूल में हुई है। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय एवं स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय अमेरिका से प्राप्त की है।
ऋषि पेशे से एक बैंकर हैं। उन्होंने विश्व की प्रतिष्ठित फर्म गोल्डमैन साक्स में 2001 से 2004 के मध्य कार्य किया है। इसके अतिरिक्त वह कई अन्य वित्तीय संस्थाओं से जुड़े रहे हैं।
ऋषि सुनक के पूर्वज भारत से थे। ऋषि के दादा रामदास सुनक अविभाजित ब्रिटिश भारत के गुजरांवाला के रहने वाले थे। गुजरांवाला आज पाकिस्तान में हैं। ऋषि की दादी भी इसी शहर से समबन्ध रखती हैं। ऋषि के दादा रामदास वर्ष 1935 में भारत छोड़कर केन्या चले गए थे। उन दिनों केन्या भी एक ब्रिटिश उपनिवेश था और भारत के लोगों का रोजगार के लिए अन्य उपनिवेशों में काफी आना जाना होता था।
ऋषि के पिता यशवीर सुनक का जन्म केन्या में और उनकी माता उषा का जन्म तंजानिया में हुआ था। ये दोनों देश तब ब्रिटेन के अधीन थे। ऋषि के माता-पिता 1960 में अफ़्रीकी देश छोड़कर ब्रिटेन चले आए थे। साठ और सत्तर के दशक में कई अफ़्रीकी देशों में भारतीय मूल के लोगों के विरुद्ध चले अभियान के बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोगों ने अफ्रीका छोड़कर यूरोप, खासकर ब्रिटेन में शरण ली। इस तरह ब्रिटेन पहुँचने वालों में ऋषि के माता-पिता भी थे।
ऋषि सुनक हिन्दू पंजाबी खत्री वर्ग से हैं। इस समुदाय की गिनती भारत के समृद्ध समुदायों में होती रही है। उनका भारत से दूसरा सम्बन्ध उनकी पत्नी अक्षता मूर्ती के कारण है। अक्षता इनफ़ोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति की पुत्री हैं।
ऋषि का राजनीतिक सफ़र और ‘डिशी ऋषि’ नाम
ऋषि ने अपना राजनीतिक सफ़र वर्ष 2015 से प्रारम्भ किया जब उन्होंने अपना पहला चुनाव रिचमंड से जीता। इस जीत के साथ ही वे धीरे-धीरे राजनीति में अपनी पहचान बनाते हुए कई अन्य राजनीतिक सफलताएँ प्राप्त करते गए। सरकार में उन्हें पहला मौका थेरेसा मे की कैबिनेट में वर्ष 2018 में मिला जब वे स्थानीय सरकार के लिए मंत्री बनाए गए।
इसके पश्चात, वर्ष 2019 में ब्रिटेन के राजकोष के सचिव बनाए गए। वर्ष 2020 में साजिद जाविद के त्यागपत्र देने से खाली हुई ब्रिटेन की वित्त मंत्री की जगह को ऋषि ने बोरिस जॉनसन की सरकार में भरा, जहाँ से उनका राजनीतिक उत्कर्ष प्रारम्भ हुआ।
अपने अंदाज की वजह से उन्हें ब्रिटेन में ‘डिशी ऋषि’ कहा जाता है। वित्त मंत्री रहते हुए उनके काम की काफी सराहना हुई है। कोरोना काल में ऋषि ने बड़ी आबादी को राहत के पैकेज दिए जिससे काफी हद तक कोरोना से पैदा होने वाले आर्थिक प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद मिली। उनकी लोकप्रियता एक समय में बोरिस से से भी अधिक हो गई थी।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही ऋषि कई प्रथम कीर्तिमान अपने नाम कर रहे हैं। वे ब्रिटेन के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो गोरे नहीं हैं। इसी के साथ वह ब्रिटेन के पहले हिन्दू एवं विगत 200 वर्षों में सबसे युवा प्रधानमंत्री होंगें। इसी के साथ वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगें जिनका जन्म 1980 में हुआ हैं।
‘हिन्दू’ पहचान पर गर्व करते हैं सुनक
ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने की खबर के बाद से उनकी हिन्दू पहचान पर चर्चा आरंभ हो गई है। ब्रिटेन की राजनीति में रहते हुए ऋषि ने कभी भी अपनी हिन्दू पहचान छुपाने की कोशिश नहीं की है। वित्त मंत्री का पद ग्रहण करते समय उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता पर ही हाथ रख कर शपथ ली थी।
इसके अतिरिक्त, वह लगातार मंदिरों में जाते हैं। एक फोटो में वह गाय की सेवा भी करते देखे जा सकते हैं। ऋषि की दो पुत्रियाँ हैं। जिनका नाम कृष्णा और अनुष्का हैं। उन्होंने एक बयान में कहा था, “मैं एक ब्रिटिश नागरिक हूँ लेकिन मेरी जड़ें भारतीय हैं और मेरा धर्म हिन्दू है। मैं गर्व से कहता हूँ कि मेरी पहचान और धर्म हिन्दू हैं।”
वोक और कथित लिबरलों को दर्द, ऋषि के बहाने भारत के लोकतंत्र पर प्रश्न
भले ही सुनक अपनी भारतीय मूल की पहचान बताने और हिन्दू होने पर गर्व करने की बात लगातार करते रहे हों, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता वाले कथित लिबरलों को यह पसंद नहीं आ रहा है। कथित पत्रकार आयेशा सिद्दीका ने सुनक द्वारा गायों की पूजा करने और मंदिर जाने को ‘हिंदुत्व’ का टैग दे दिया।
वहीं महबूबा मुफ़्ती और अन्य कथित लिबरलों ने ट्विटर पर लिखा कि जैसे ऋषि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने हैं, क्या वैसे ही किसी दूसरे देश से आया व्यक्ति या अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है?
क्या सदैव भारत के पक्ष में रहेंगें सुनक?
सुनक की भारतीय जड़ों को देखते हुए अब भारत और ब्रिटेन के रिश्तों को लेकर नए कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि ऋषि का भारत के प्रति एक सहयोग भरा रवैया रहेगा। आम लोगों और विशेषज्ञों द्वारा ऐसे अनुमान आम बात है। एक ब्रिटिश नागरिक और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री होने के नाते उनका पहला कर्तव्य अपने देश के हितों के प्रति है।
फिलहाल वर्तमान में उनके देश की ख़राब अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना उनके सामने तमाम चुनौतियों में सबसे महत्वपूर्ण चुनौती है। देखना यह होगा कि ऋषि सुनक इससे कैसे निपटते हैं।