चालू संस सत्र में अपने संबोधन में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्तमान सरकार के तहत विनिर्माण क्षेत्र में हुई महत्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला, जो पिछली सरकारों के प्रदर्शन के बिल्कुल विपरीत है।
वर्तमान भारत की अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण घटक, विनिर्माण क्षेत्र ने हाल के वर्षों में प्रभावशाली वृद्धि देखी है। वित्त वर्ष 2023-24 में विनिर्माण द्वारा Gross Value Added (GVA) में 9.9% की वृद्धि हुई, जो वित्त वर्ष 2023 में इस क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन पर आधारित है। इस दौरान विनिर्माण की GVA में 14.3% हिस्सेदारी रही रही और कुल उत्पादन में 35.2% का योगदान दिया।
विनिर्माण में वृद्धि का श्रेय सरकार की सक्रिय नीतियों, विशेष रूप से उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन यानी (PLI) योजना को दिया जाता है, जिसने इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह पहल भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक रही है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
सरकार की नीति ने कुल तेरह उभरते औद्योगिक क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। यह PLI योजना कंपनियों को उनके बढ़ते उत्पादन के आधार पर वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है, जिससे उन्हें परिचालन बढ़ाने और उन्नत तकनीकों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों कंपनियों से महत्वपूर्ण निवेश हुआ है, जिससे उत्पादन वृद्धि को बढ़ावा मिला है। परिणामस्वरूप वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ी है। इस योजना ने नई आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकास तथा आयात पर निर्भरता को कम करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में भी मदद की है।
PLI योजना के अलावा, सरकार ने उद्योग और व्यापार विनियमों को सरल बनाने और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के उद्देश्य से अन्य सुधारों को लागू किया है। इन उपायों ने विनिर्माण के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनाया है, जिससे अधिक FDI आकर्षित हुआ है और घरेलू उद्यमों को अपने परिचालन का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
पिछले लगभग तीन वर्षों में PMI सूचकांक मैन्युफ़ैक्चरिंग में आई इस वृद्धि को और अधिक रेखांकित करता है, जो लगातार 36 महीनों तक बढ़ता रहा है। यह निरंतर वृद्धि UPA काल से एक उल्लेखनीय सुधार है, जब यह क्षेत्र स्थिर हो गया था और विशेष रूप से 2013 में एक चिंताजनक चरण से गुजरा जब विनिर्माण गतिविधि लगातार आठ महीनों तक सिकुड़ सी गई थी।
सरकार की नीतियों का प्रभाव पारंपरिक विनिर्माण क्षेत्रों से परे तक फैला हुआ है। उदाहरण के लिए रक्षा उत्पादों के निर्यात में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है, जो UPA सरकार के तहत 2004-05 से 2013-14 के दौरान ₹4,312 करोड़ से बढ़कर वर्तमान एनडीए सरकार के तहत 2014-15 से 2023-24 की अवधि में ₹88,319 करोड़ हो गई है। रक्षा विनिर्माण और निर्यात में यह वृद्धि PLI योजना और अन्य सहायक उपायों की प्रभावकारिता का प्रमाण है, जिसने न केवल विनिर्माण को बढ़ावा दिया है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की रणनीतिक क्षमताओं को भी बढ़ाया है।
रक्षा विनिर्माण में सफलता न केवल उत्पादन में वृद्धि को दर्शाता है बल्कि एक रणनीतिक उपलब्धि भी है, जो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाती है। इसके कारण राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिलती है। स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर सरकार के फोकस ने एक मजबूत औद्योगिक आधार का विकास किया है, जिससे रोजगार पैदा हुए हैं और नवाचार को बढ़ावा मिला है।
वर्तमान सरकार के तहत विनिर्माण क्षेत्र की सफलता यूपीए के कार्यकाल के दौरान सामने आई चुनौतियों के बिल्कुल विपरीत है, जहाँ ठहराव और घटते निवेश ने विकास को बाधित किया था। आज, इस क्षेत्र की विशेषता मजबूत विस्तार, बढ़े हुए निवेश और बढ़ी हुई वैश्विक प्रतिस्पर्धा है, जो सरकार के रणनीतिक हस्तक्षेपों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाती है।