ओडिशा के कटक में 15 नवंबर 2024 से बाली यात्रा का शुभारंभ हुआ जो सप्ताह भर चलेगी। 22 नवंबर तक चलने वाले उत्सव में 14 देशों के राजदूत, उच्चायुक्त और मिशन प्रमुख तथा उनके जीवन-साथी और कई अन्य राजनयिक भी इसमें शामिल हुए।
विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने बताया कि भारतीय संस्कृति के बीच समानता जानने के बाद कार्यक्रम में शामिल हुए प्रतिनिधियों ने इसे सराहा है। मजूमदार ने कहा, “प्रदर्शन, संगीत और नृत्य के माध्यम से विशेष सांस्कृतिक और सभ्यतागत झलकियों को प्रदर्शित किया गया है। थाईलैंड के राजदूत ने कहा है कि वहां भी इसी तरह का उत्सव मनाया जाता है।”
बाली यात्रा का उद्घाटन शुक्रवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने किया था। इस दौरान विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया था। आपको बता दें कि देश इस वर्ष ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के एक दशक का जश्न मना रहा है, इसलिए इस उत्सव ने आसियान, बिम्सटेक और प्रशांत द्वीप देशों की भागीदारी सहित पूरे सप्ताह के दौरान उनके सांस्कृतिक समूहों के प्रदर्शन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है।
अब बात करते हैं बाली जात्रा की, जिसका शाब्दिक अर्थ है बाली की यात्रा। यह ओडिशा के समृद्ध समुद्री इतिहास के बारे में बताती है। दक्षिण पूर्व एशिया और व्यापक हिंद-प्रशांत के साथ भारत के ऐतिहासिक और सभ्यता संबंधी रिश्तों को और मजबूत करती है, जो हजारों वर्षों से भारतीय नाविकों द्वारा की गई समुद्री यात्राओं के माध्यम से विकसित हुए हैं।
महानदी नदी के तट पर आयोजित होने वाला यह मेला प्राचीन कलिंग (अब ओडिशा) और बाली, जावा, सुमात्रा, बोर्नियो, बर्मा (म्यांमार) और श्रीलंका के क्षेत्रों के बीच 2,000 साल पुराने समुद्री और सांस्कृतिक संबंधों की याद दिलाता है। कार्यक्रम के दौरान कई तरह के सामान, विशेष रूप से पारंपरिक हस्तशिल्प की स्टॉल लगाई जाती हैं।
हर वर्ष, बाली जात्रा परंपरा और आधुनिकता का एक अनूठा मिश्रण पेश करती है। पिछले साल के आयोजन में आगंतुकों के लिए कई आकर्षण थे, जिनमें एक सुरंग मछलीघर, डिजिटल प्रदर्शनी, कला प्रदर्शनियाँ, पर्यावरण के अनुकूल आग और मल्टीमीडिया लाइट शो, एक ग्रामीण मंडप, हस्तशिल्प स्टॉल, शहरी एसएचजी बाड़े, जल क्रीड़ा और संगीत संध्याएँ शामिल थीं।
बाली जात्रा का एक प्रमुख आकर्षण ओडिशा ग्रामीण विकास और विपणन सोसायटी (ओआरएमएएस) द्वारा आयोजित पल्लीश्री मेला भी है, जिसमें ओडिशा के 30 जिलों और दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मणिपुर, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ सहित 22 अन्य राज्यों की महिला उत्पादकों और कारीगरों की कला और शिल्प, हथकरघा, हस्तशिल्प, कृषि-बागवानी उत्पादों और प्रामाणिक मसालों के 420 से अधिक स्टॉल प्रदर्शित किए जाते हैं।
शिल्प और व्यापार के अलावा, खाद्य मंडप भी लोगों को आकर्षित करने वाला एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है, जिसमें लगभग 30 स्टॉलों में ओडिशा, राजस्थान, पंजाब और उत्तर-पूर्वी राज्यों के विभिन्न क्षेत्रीय व्यंजन पेश किए जाते हैं। बाली जात्रा ओडिशा की विरासत और आधुनिक मनोरंजन का जीवंत मिश्रण है, जो इसे देश भर के लोगों के लिए अवश्य देखने लायक बनाता है।
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