सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (30 सितंबर) को आरजी कर रेप-मर्डर मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल के रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से दिए गए बयान को दर्ज किया कि वे अब इन-पेशेंट और आउट-पेशेंट ड्यूटी सहित सभी आवश्यक और आपातकालीन सेवाएं कर रहे हैं। इसके अलावा मृतका डॉक्टर की फोटो और महिला डॉक्टरों की नाइट ड्यूटी से संबंधित बातों पर भी शीर्ष अदालत में विचार किया गया।
कोलकाता के डॉक्टर, जो 9 अगस्त को आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध में अपनी ड्यूटी नहीं कर रहे थे, उनको सुप्रीम कोर्ट ने बाद में आश्वासन के साथ अपनी ड्यूटी पर लौटने का निर्देश दिया कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
वहीं, 17 सितंबर को, डॉक्टरों के संघ ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वे मुख्यमंत्री के साथ बैठक में घोषित उपायों के कार्यान्वयन के अधीन कर्तव्यों को फिर से शुरू करेंगे।
कोर्ट में पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि डॉक्टर काम पर वापस आ गए हैं, लेकिन केवल आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं के लिए।
हालांकि, रेजिडेंट डॉक्टरों के संघ की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने इस बात का खंडन किया और कहा कि डॉक्टर आईपीडी और ओपीडी सेवाओं सहित सभी कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आवश्यक सेवाओं में आईपी और ओपी कर्तव्य शामिल हैं। पीठ ने जयसिंह का बयान दर्ज किया और कहा कि सभी डॉक्टर आईपीडी और ओपीडी सहित आवश्यक सेवाएं कर रहे हैं और करेंगे।
इस दौरान कोर्ट ने सीबीआई द्वारा दायर नई रिपोर्ट को भी देखा। सीबीआई मामले में दो पहलुओं पर जांच कर रही है – (1) कथित बलात्कार और हत्या, 2) अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के बारे में आरोप।
डॉक्टरों के संगठन की ओर कोर्ट में पेस हुई वकील इंदिरा जयसिंह और वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने अदालत को बताया कि अस्पताल में ऐसे कई लोग पदों पर अभी भी बैठे हैं, जिन पर बलात्कार के मामले को छुपाने का आरोप है। उन्होंने मांग की कि ऐसे लोगों को या तो निलंबित किया जाना चाहिए या छुट्टी पर जाने के लिए कहा जाना चाहिए।
राज्य सरकार के लिए पेश हुए वकील ने कहा कि यदि सीबीआई ऐसे लोगों के विरुद्ध प्रारंभिक जानकारी साझा करती है, तो राज्य उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए तैयार रहेगा।
शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि वित्तीय अनियमितताओं के संदर्भ में आरजी कर अस्पताल और अन्य संस्थानों, चाहे वे राज्य में हों या राज्य के बाहर, के बीच किसी भी तरह की सांठगांठ के बारे में कोई भी जानकारी सीबीआई के साथ साझा की जा सकती है।
अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने पीठ के सामने एक गंभीर स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि पीड़िता की तस्वीरें और नाम अभी भी सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं, जिससे उसके माता-पिता परेशान हैं। न्यायालय ने आदेश दिया कि विकिपीडिया को पीड़िता का नाम और तस्वीरें हटाने के लिए दिया गया उसका पिछला निर्देश सभी सोशल मीडिया मीडियम पर लागू होगा।
न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeITy) को अनधिकृत जानकारी अपलोड करने से निपटने के लिए एक नोडल अधिकारी को अधिसूचित करने का आदेश दिया है।
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