जनवरी, 2023 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 6.52% के स्तर पर पहुँच गया है। इससे पहले दिसम्बर माह में यह 5.72% के स्तर पर था। लगातार तीन माह घटने के बाद जनवरी में महंगाई में बढ़त देखने को मिली है।
खाद्य पदार्थों में तेजी इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है। सरकार द्वारा जारी किए गए आँकड़े में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 6.52% पर है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई 6.85% और शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 6.05% पर है।
जहाँ पिछले दो माह महंगाई का आँकड़ा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के टोलरेंस बैंड 4%(+/-2%) के अंदर रहा था वहीं इस माह यह बाहर चला गया है।
इस माह की शुरुआत में ही रिजर्व बैंक ने कम हो रही महंगाई को सामान्य स्तर पर लाने के लिए हर दो माह पर आने वाली मौद्रिक नीति के तहत रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि कर दी थी।
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वर्तमान में रेपो रेट 6.5% के स्तर पर है, यह पूर्व में 6.25% पर था। यह बढ़ोतरी करके रिजर्व बैंक ने बाजार में कर्ज की दरें बढ़ाई हैं जिससे बाजार में लिक्विडिटी कम हो सके और महंगाई के स्तर को कम किया जा सके।
सरकार भी इसी तरफ कदम उठाते हुए देश में आटे के भाव में आई महंगाई को देखते हुए अपने स्टॉक का आटा बाजार में उतार रही है जिससे सप्लाई की कमी ना हो।
देश में खाने-पीने की वस्तुओं के बारे में बताने वाले उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक में भी जनवरी माह में बढ़ोतरी देखी गई है। दिसम्बर माह में जहाँ यह 4.19% के स्तर पर था, वहीँ जनवरी माह में यह 5.94% के स्तर पर है।
ग्रामीण क्षेत्रों में इस दौरान यह 5.05% के स्तर से 6.65% के स्तर पर आ गया है। जबकि शहरी क्षेत्रों में 2.80% के स्तर से 4.79% के स्तर पर आ गया है।
इसी के साथ सरकार द्वारा थोक महंगाई के विषय में बताने वाले सूचकांक थोक मूल्य सूचकांक को भी जारी किया गया है। जनवरी माह में थोक महंगाई में कमी आई है। दिसम्बर माह में जहा यह 4.95 के स्तर पर थी, वहीँ जनवरी माह में यह 4.73% पर आ गई है।
सरकार लगातार यह प्रयास कर रही है कि देश में महंगाई कम की जाए परन्तु विश्व भर में यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद से आए खाद्य और ऊर्जा संकट ने स्थितियों को अभी भी गंभीर बना रखा है।