गणतंत्र दिवस की परेड में भारत की सैन्य ताकत, देश की बढ़ती आत्मनिर्भरता एवं सांस्कृतिक विविधता की झलक देखने को मिली। कर्तव्य पथ पर निकली अनूठी और भव्य झांकियों ने दुनिया को नए भारत की तस्वीर पेश की है। ऐसे भारत की जो आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है, ऐसे भारत की जिसे अपनी परंपरा और विरासत पर गर्व और साथ ही ऐसे भारत की जिसके अगले पच्चीस वर्षों में विकसित होने का सपना वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में व्यक्त किया था।
विंटेज 25 पाउंडर्स तोपों को हटाते हुए भारत निर्मित 105-मिमी भारतीय फील्ड की 21 तोपों की सलामी के साथ कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस के उत्सव की शुरुआत हुई। इसके बाद स्वदेशी 105 हेलीकॉप्टर यूनिट के चार एमआई-17 1वी/वी5 हेलीकॉप्टर द्वारा दर्शकों पर पुष्प वर्षा की गई। क्या इसे भव्य कार्यक्रम की आत्मनिर्भर शुरुआत नहीं कह सकते?
पराक्रम दिवस के साथ 23 जनवरी से आरंभ होने के बाद गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों में आमजन ने वह सब संभव होते देखा जिसकी कभी सिर्फ कल्पना की गई थी। सैन्य टैटू और जनजातीय नृत्य उत्सव, वंदे भारत 2.0 का शुभारंभ और उसके साथ ही आजादी के अमृत महोत्सव में सशस्त्र बलों की वीरता की कहानियां कहने के लिए वीर गाथा 2.0 की शुरुआत।
भारतीय संस्कृति, नारी शक्ति, सैन्य क्षमता एवं भारत के आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों का बेहतरीन संयोजन कर्तव्य पथ पर दिखाई दिया जब पहली बार सीमा सुरक्षा बलों की ऊंट टुकड़ी में महिला सवारों ने भाग लिया। अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीर पहली बार गणतंत्र दिवस का हिस्सा बने।
गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में निकली झांकियां दुनिया को भले ही देश की संस्कृति से अवगत कराती हो लेकिन उससे भी जरूरी यह है कि ये देशवासियों के लिए हैं। जिसमें भारत के सुदूर क्षेत्रों में बैठे आमजन परेड में अपने समृद्ध भारत की तस्वीर देखकर संतुष्ट हो सके। दुनिया को दिखाने से पूर्व देशवासियों को अपनी संस्कृति और देश की विरासत पर गर्व करना आवश्यक है और इसी का जीवंत प्रमाण 2023 की गणतंत्र दिवस परेड रही जिसमें जनमानस की भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विविध संस्कृति देखने को मिली।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से बाबा अमरनाथ की झांकी जब कर्तव्य पथ पर निकली तो सहज ही नए भारत का आभास हुआ। प्रत्येक झांकी में देश की विरासत और नारी सम्मान की महत्ता प्रकट हो रही थी। चाहे वो तमिलनाडु के नारी शक्ति और तंजावुर का राजराजेश्वर मंदिर की झांकी का सुंदर सम्मिलन हो या महाराष्ट्र, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड और भी राज्यों की संस्कृति का प्रदर्शन, कर्तव्य पथ पर ये सभी साकार होती नजर आई।
देश के लिए 74वां गणतंत्र दिवस हर लिहाज से खास रहा। जिस नए भारत की तस्वीर की बात लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी वो इसमें समाया हुआ था। आजादी के अमृत काल में देश स्वयं को अपना रहा है अर्थात, आत्मनिर्भरता, अपनी विरासत पर गर्व एवं राष्ट्र प्रथम के तहत विकास और केवल विकास को सर्वोपरि रख रहा है।
भू-राजनीति और वैश्विक परिदृश्य जिस तरह से बदल रहे हैं उस स्थिति में भारत के लिए अपरिहार्य है कि वो इसमें न सिर्फ अपना स्थान मजबूत करे बल्कि आत्मनिर्भर भी हो। देश की विरासत और आत्मिर्भरता को बढ़ावा देकर बेशक भारत विकसित राष्ट्र की ओर कदम बढ़ा रहा है। कोरोना महामारी, वैश्विक स्तर पर युद्ध की परिस्थितियों और आर्थिक मंदी के बीच भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बनने में कामयाब रहा है।
देश सैन्य ताकत में स्वदेशीकरण करने में कामयाब रहा है। सौर ऊर्जा क्षमता में हम विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बाजार हैं। व्यापारिक और निवेश के क्षेत्र में देश ने नई ऊंचाइयां हासिल की है लेकिन इन सबसे जरूरी भारत ने स्वयं को अपनाया है, स्वयं का वह संस्करण बनाया है जो औपनिवेशिकता की बेड़ियों से मुक्त होने की दिशा में अग्रसर है और अपनी परंपराओं और विरासत पर गर्व करता है।
हम भविष्य की क्या तस्वीर देखते हैं और उसे किस तरह प्राप्त करते हैं इसके लिए आवश्यक है कि हम उसकी शुरुआत किस नींव पर कर रहे हैं। औपनिवेशिकता और विदेशी आदर्शों पर स्थापित भविष्य की ओर भारत बढ़ तो सकता है पर उसकी कीमत उसकी अपनी पहचान है। ऐसे भारत में उस जनमानस का प्रतिनिधित्व होगा ही नहीं जो इसे इसकी पहचान देते हैं।
इसलिए आवश्यक है कि विकास की ओर अग्रसर देश अपनी विरासत के बल पर दुनिया में वह स्थान बनाए जिसके लिए उसे जाना जाता रहा है। आत्मनिर्भर भारत, मेड इन इंडिया, वीर गाथा, आयुष्मान भारत, स्टार्टअप इंडिया, सैन्य क्षेत्र में स्वदेशीकरण जैसी योजनाओं से हमें ऐसे ही विकसित राष्ट्र की तस्वीर देखने को मिलेगी।
सरकार द्वारा किए जा रहे इन अभूतपूर्व कार्यों में गति के लिए जनमानस का शामिल होना आवश्यक है। राष्ट्र निर्माण में इन्हीं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इस बार गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों में भी जन भागीदारी की थीम पर भारत पर्व का आयोजन किया गया था। बहरहाल, लोक नृत्यों और गीतों की ध्वनि के बीच कल देश ने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाया है। हमने अपने राष्ट्र को विकास की ओर नए कम उठाते हुए देखा है। देश की ऐसी तस्वीर देखी है जिसमें सभी की भागीदारी है और राष्ट्र को प्रथम रखा गया है।