कॉन्ग्रेस से जुड़े व्यक्तियों के कागजों पर दैवीय आपदाओं का प्रकोप जारी है। ताजा मामला गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ा हुआ है। रॉबर्ट की कम्पनियों से जुड़े खातों की जानकारी मांगे जाने पर बैंक ने हरियाणा पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) को सूचित किया है कि वितीय रिकॉर्ड से जुड़े कागजात एक बाढ़ में नष्ट हो चुके हैं।
पूरा मामला रॉबर्ट वाड्रा की कम्पनियों द्वारा जमीनों को खरीदने में हुई गड़बड़ी का है। इस मामले की एक एसआईटी जांच कर रही है। मामले में रॉबर्ट वाड्रा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया था। एसआईटी ने इस सम्बन्ध में वाड्रा की कम्पनी स्काईलाईट होस्पिटैलिटी और स्काईलाईट रियलिटी के वित्तीय लेनदेन की जानकारी यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया से मांगी थी।
अंग्रेजी समाचार वेबसाइट टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, 26 मई को एसआईटी को भेजे गए गए जवाब में बैंक ने बताया है कि वर्ष 2008 और २०१२ के लेनदेन की जानकारी उनके पास नहीं है क्योंकि उससे जुड़े अभिलेख बैंक के बेसमेंट में रखे गए थे और वह बाढ़ में नष्ट हो चुके हैं। एसआईटी ने इस पर बैंक से अन्य उन कम्पनियों के नामों की भी जानकारी मांगी है जिनके अभिलेख बाढ़ में नष्ट हुए हैं।
वित्तीय लेनदेन से जुड़े अभिलेखों के बारे में दैवीय आपदा का हवाला देने का कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले वर्ष 2014 में वकील और कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने आयकर विभाग से बताया था कि उनके खर्चों के अभिलेख दीमक खा गए हैं। आयकर विभाग ने सिंघवी पर लगभग ५६.67 करोड़ का जुर्माना लगाया था।
गौरतलब है कि रॉबर्ट वाड्रा मामले में आरोप है कि उनके द्वारा खरीदी गई जमीन की कीमत रातोंरात बढ़ गई। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, रॉबर्ट वाड्रा की कम्पनी स्काईलाईट हॉस्पिटैलिटी ने हरियाणा के शिकोहपुर गाँव में फरवरी 2008 में 7.5 करोड़ की जमीन खरीदी। इस जमीन पर भूपिंदर सिंह हुड्डा की सरकार ने हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने की अनुमति दे दी। इस जमीन को चार महीने के भीतर डीएलएफ को 58 करोड़ के बेच दिया गया।
इस जमीन की खरीद का भुगतान वाड्रा की कम्पनी को कई किश्तों में किया गया। बाद में हरियाणा सरकार में अधिकारी अशोक खेमका ने इस जमीन के लेनदेन में गड़बड़ियों को इंगित किया लेकिन उनका भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तबादला कर दिया। बाद में राज्य में भाजपा की सरकार आने पर इस मामले में एक सदस्यीय जांच समिति बनाई गई थी जिसने वर्ष 2016 में अपनी रिपोर्ट सरकार के समक्ष के सामने प्रस्तुत की थी।
वर्ष 2018 में इस मामले को लेकर रॉबर्ट वाड्रा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रियल इस्टेट कम्पनी डीएलएफ, ओंकारेश्वर प्रोजेक्ट और वाड्रा की कम्पनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के विरुद्ध मामला दर्ज किया था। इसकी जांच एसआईटी कर रही है।
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