हाल के दिनों में एक वरिष्ठ अमेरिकी सैन्य कमांडर ने पाकिस्तान में हो रहे लगातार आतंकी हमलों को लेकर चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए पूरी सहायता देने का आश्वासन भी दिया है।
अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के कमांडर जनरल माइकल ई कुरिल्ला ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान के सामने TTP के रूप में उत्पन्न खतरे के बारे में चिंतित है।
बता दें कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP ), जिसे ‘पाकिस्तान तालिबान’ के नाम से भी जाना जाता है, ने पाकिस्तान के साथ युद्धविराम समाप्त करने के बाद पाकिस्तान पर अपने हमले तेज़ कर दिए हैं।
शीर्ष अमेरिकी सैन्य कमांडर ने हाल ही में पाकिस्तान का दौरा किया था और पाक सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर एवं पाक CJCSC जनरल साहिर शमशाद मिर्जा सहित शीर्ष पाक सैन्य नेतृत्व से मुलाकात की थी।
अमेरिकी सैन्य कमांडर के पाकिस्तान दौरे के दौरान वे पेशावर कोर भी गए, जिसके पास आधे से अधिक अफगान-पाक सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। साथ ही साथ उन्होंने ख़ैबर दर्रे की यात्रा भी की।
आपको बता दें कि नवम्बर माह में सेना की कमान बदलने के बाद पाकिस्तान के नए सैन्य नेतृत्व के साथ यह अमेरिकी जनरल की पहली आमने-सामने की बैठक थी।
अमेरिकी CENTCOM सेना के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के आतंकवाद-विरोधी प्रयासों को महत्वपूर्ण बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि अमेरिका नए पाक सेना प्रमुख के साथ काम करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है।
जनरल कुरिल्ला ने पाकिस्तान के एक समाचार पत्र ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ (The Express Tribune) को दिए इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को महत्वपूर्ण मानता है साथ ही पाकिस्तान के साथ आतंकवाद और सीमा सुरक्षा जैसे आपसी हितों के क्षेत्र में सहयोग का विस्तार करने वाले अवसरों का स्वागत करता है।
इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या अमेरिका बढ़ते आतंकवाद से निपटने में पाकिस्तान की सहायता करेगा, शीर्ष अमेरिकी जनरल ने कहा, “हम पाकिस्तान की सुरक्षा और स्थिरता के लिए TTP द्वारा उत्पन खतरों से चिंतित हैं।” उन्होंने यह भी कहा, “जनरल मुनीर के साथ हुई बैठक में उन्होंने इस मुद्दे पर बातचीत की थी।”
शीर्ष अमेरिकी सैन्य कमांडर की यात्रा उस समय हो रही है जब TTP ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ अपने युद्धविराम को समाप्त कर दिया है। यही TTP इस वक्त समूचे पाकिस्तान, विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा में घातक हमलों को अंजाम दे रहा है।
CENTCOM प्रमुख की यात्रा ऐसे समय में हुई है जब Chaman-Spin Boldak (पाक-अफ़ग़ान सीमा) पर हाल में ही तालिबान और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच हिंसक झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी तनावपूर्ण हैं।
तनावग्रस्त अफगान-पाक संबंधों पर शीर्ष अमेरिकी जनरल ने कहा, “हम नियमित रूप से पाकिस्तानी नेतृत्व के साथ इस मुद्दे पर बातचीत करते रहते हैं।”
खैबर पख्तूनख्वा के एक पूर्व पुलिस उप प्रमुख, जिन्हे आतंकवाद एवं सामरिक विषय में विशेषज्ञ भी माना जाता है, ने भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को अमेरिका से वित्तीय सहायता की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका ने पहले भी पाकिस्तान को आतंक विरोधी अभियानों में मदद मुहैय्या करवाई थी साथ ही हाल के दिनों में पाकिस्तान में बढ़ रहे उग्रवाद को रोकने के लिए अमेरिकी सहयोग महत्वपूर्ण होगा।
हाल ही में, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हुई सीमा पर झड़पों ने दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण बना दिए हैं और पाकिस्तान चाहता है कि अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान इन हमलों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे। परन्तु इस पर तालिबान द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
पिछले महीने, पाकिस्तान की विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी खार ने भी काबुल की एकदिवसीय यात्रा की थी। जिसमें मुख्यत: सीमा विवाद को लेकर चर्चा की गई। हालाँकि, इस यात्रा का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला।
शहबाज़ शरीफ की सरकार के बाद से पाकिस्तान और अमेरिका के बीच नई कूटनीतिक और सैन्य साझेदारी दोबारा शुरू होती दिख रही है।
कई पश्तून कार्यकर्ताओं ने खैबर पख्तूनख्वा में उग्रवाद को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका से वित्तीय सहायता लेने के लिए पाकिस्तान द्वारा एक सुनियोजित रणनीति करार दिया है।
नाम न छापने की शर्त पर एक पश्तून कार्यकर्ता ने हमारे संवाददाता से कहा, “जब पाक सेना के पास बजट की कमी होती है या अर्थव्यवस्था में मंदी आती है तो वे पश्तूनों की भूमि को आतंकवाद से ग्रसित बताते हैं। ऐसा कर वे दुनिया को यह दिखाते हैं कि वे आतंकवाद से पीड़ित हैं और इससे निपटने के लिए उन्हें वित्तीय सहायता चाहिए।
पश्तून कार्यकर्ता ने आगे बताया कि इस तरह से पंजाबी सेना आतंकवाद के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए सहायता के रूप में दुनिया से पैसे माँगती है। परिणामस्वरूप पश्तून लोगों को इस युद्ध का खामियाजा भुगतना पड़ता है।
अमेरिकी जनरल की पाकिस्तान यात्रा और आतंकवाद पर दिए गए उनके बयान ने एक बार फिर भय की स्थिति पैदा कर दी है कि यदि उग्रवाद बढ़ता है तो अमेरिका उसे खत्म करने के लिए वित्तीय सहायता देगा। जिससे पश्तून धरती को आतंकवादी गतिविधियों के लिए उपयोग में लाए जाने की आशंका बढ़ जाती है।
ग़ौरतलब है कि खैबर पख्तूनख्वा के लोगों का यह कहना है कि उनकी धरती पर आतंकवाद को पोषित कर और आतंकवाद के नाम पर लड़ने के लिए अमेरिका जैसे देशों से पैसा लेना, पाक सेना के जनरलों की एक सुनियोजित साजिश है। ताकि वे विदेशी पैसे के बूते अपनी जेब भर सकें।
अमेरिका और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझना चाहिए कि पाकिस्तानी सेना एक तरह से किराए की सेना के रूप में काम करती है। जो युद्ध अर्थव्यवस्था (War Economy) आधारित है और इसी पर जीवित है। उसका काम आतंकवादी समूहों को बनाना और फिर इन्हीं समूहों के द्वारा दुनिया को ब्लैकमेल करना है।