देश में मुद्रा का प्रबन्धन करने वाली संस्था भारतीय रिज़र्व बैंक ने रुपए के डिजिटल संस्करण, e₹ (सेन्ट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) को आज से देश के चार शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लाँच करने का फैसला लिया है।
दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर डिजिटल रुपए का एक्सेस पाने वाले शुरुआती शहर होंगें। दूसरे चरण में इसे अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्ची, लखनऊ, पटना और शिमला में लाँच किया जाएगा।
ज्ञात हो कि डिजिटल करेंसी लाँच करने की घोषणा पहली बार 1 फरवरी, 2022 को आम बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। उसके बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2022 में अपने प्रेस रिलीज़ में इसके बारे में सूचना जारी की थी।
गौरतलब है कि देश में डिजिटल पेमेंट का सबसे आसान और स्वदेशी माध्यम UPI पर लेन-देन पहले ही मासिक 12 लाख करोड़ के आँकड़े को पार कर चुका है। हाल ही में दुनिया के कई देश अब तक अपनी मुद्राओं को डिजिटल रूप में लाँच कर चुके हैं।
जिनमें से कुछ देशों में यह पूरी तरह लाँच हो चुका है और कुछ देशों में इसका पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। बाकी देश भी इसके अनुसन्धान में जुटे हुए हैं।
क्या है डिजिटल रुपया और कैसे करेगा काम?
जिस प्रकार आप रोजमर्रा की खरीद-बिक्री में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए नोट और सिक्के का आदान-प्रदान करते हैं, डिजिटल रुपया इन्हीं नोटों और सिक्कों का डिजिटल रूपांतरण होगा। इसे रिजर्व बैंक टोकन की शक्ल में जारी करेगा। जिस तरह रुपए को ‘₹’ चिन्ह से प्रदर्शित किया जाता है, उसी तरह इसे ‘e₹’ से प्रदर्शित किया जाएगा।
रिजर्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इसे दो तरह से लाँच किया जा सकता है। पहला, थोक यानी होलसेल डिजिटल रुपए के रूप में, जिसका उपयोग वित्तीय संस्थान करेंगें और दूसरा, फुटकर यानी रिटेल, जिसका उपयोग बाकी आम जनता कर सकेगी। बैंक दोनों ही तरीकों से इसे लाँच करेगा।
रिजर्व बैंक डिजिटल मुद्रा को बैंकों को बाँटेगी और बैंक इस डिजिटल मुद्रा को आगे उपयोगकर्ताओं तक पहुँचाएंगे। यह वैसा ही है जैसे हमारे हाथ में आने वाली मुद्रा का संचालन होता है।
जिस तरह से सभी नोटों का अपना एक अलग सीरियल नम्बर होता है, उसी तरह से इन टोकन का भी नम्बर होगा। जिस तरह से बैंकों से नकद रुपए निकाले जा सकते हैं, उसी तरह से बैंकों से डिजिटल टोकन का प्राप्त किए जा सकेंगे। सीरियल नम्बर के कारण नकली टोकन बनाने को रोकने में मदद मिलेगी।
अभी नकद रुपए 500, 100, 50, 20, 10, 5 जैसे नोटों में आते हैं, यह डिजिटल रूपए के टोकन भी इसी तरह के होंगें। इसके पीछे का मकसद लोगों में डिजिटल रुपए के प्रति नकद की तरह का विश्वास उत्पन्न करना है।
डिजिटल रुपए को उपयोगकर्ता किसी बैंक के माध्यम से उपयोग कर सकेंगें। बैंक इनका उपयोग करने के लिए एप्लीकेशन लाँच करेगें। इन ई-रुपयों को आपस में दो व्यक्ति या फिर किसी भी दुकानदार को हस्तान्तरित कर सकेंगे। यह भुगतान सुरक्षित और आसान होंगें।
कैसे यह ई-रुपया है UPI और अन्य डिजिटल भुगतान माध्यमों से अलग?
अब लोगों के मन में यह प्रश्न उठ सकता है कि जब पहले से ही UPI, कार्ड और अन्य डिजिटल वॉलेट जैसे माध्यम भुगतान के लिए मौजूद हैं तो भला इसे लाने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है।
आखिर, इन दोनों में अन्तर क्या है और इसके क्या फायदे हैं? UPI या अन्य डिजिटल माध्यम जैसे, कार्ड एक बैंक खाते में जमा राशि को भुगतान करने पर दूसरे खाते में जमा कर देते हैं, एक प्रकार से यह खातों के बीच धनराशि का हस्तांतरण होता है। बैंक में जमा धनराशि पर लोगों को ब्याज भी मिलता है।
यदि डिजिटल रुपए की बात करें तो यह बैंक में जमा धनराशि नहीं बल्कि आपके बटुए (ई-वॉलेट) में पड़े हुए नकद की तरह काम करेगा। अर्थात, जब हम इसे किसी दूसरे व्यक्ति को देंगें तो यह उसके पास उसके बटुए (ई-वॉलेट) में चला जाएगा। जिस तरह हमारे पास रखे नकद पर कोई ब्याज नहीं मिलता, उसी तरह इस डिजिटल रुपए पर भी कोई ब्याज नहीं मिलेगा।
लाइव मिंट वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल रुपए में भुगतान के विफल होने के अवसर बहुत ही कम होंगें, वर्तमान में यदि UPI का उदाहरण लिया जाए तो इसका सफलता का औसत 98.6% है। यह भुगतान पद्धति काफी सफल है लेकिन जो प्रतिशत छूट रहा है उसकी मुद्रा में वैल्यू काफी अधिक है।
उदाहरण के लिए, अक्टूबर माह में 12 लाख करोड़ रुपए से अधिक के भुगतान, UPI के माध्यम से हुए। इनमें से 1.2% औसतन यदि विफल हुए तो विफल होने वाले भुगतानों की धनराशि लगभग 15,000 करोड़ हुई, जो बड़ी धनराशि है।
डिजिटल यानी ई-रुपया इसी खाई को पाटने का काम करेगा। इसमें भुगतान का सफलता रेट बढ़ाने पर काम किया जाएगा और इसके विफल होने के अवसर काफी कम होंगें।
क्यों डिजिटल रूपए की है जरूरत?
डिजिटल रुपए को लाने के कई कारण हैं। रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डिजिटल रुपए को लाकर भौतिक मुद्रा पर छपाई और अन्य खर्चों को कम किया जा सकेगा। वित्त वर्ष 2021-22 में नोटों की छपाई पर 4,984 करोड़ रुपए का खर्चा हुआ जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में खर्च 4,012 करोड़ था।
इस खर्चे को कम करने में डिजिटल रुपया मदद करेगा। साथ ही यह देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा। वर्तमान में तेजी से देश में डिजिटल भुगतान का प्रचलन बढ़ रहा है लेकिन उसका प्रभाव नकद के उपयोग पर नहीं दिख रहा।
नकद का उपयोग भी साथ ही साथ बढ़ा है। ई-रुपया नकद रुपए के बड़े हिस्से को कम करने का काम करेगा, जिससे नकद रहित अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी।
इसका एक और फायदा यह है कि जैसे नकद रुपए का भुगतान करते समय व्यक्ति अपनी पहचान जाहिर नहीं करता। उसी तरह ई-रुपए में भी यह सुविधा होगी। यह ई-रुपया कोरोना जैसी स्थितियों में भी उपयोग के लिए सुरक्षित होगा और इसका भंडारण आसान होगा एवं इसे भौतिक रूप से पहुँचाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
किन देशों ने अब तक अपनाई है डिजिटल मुद्रा?
अगर विश्व की बात करें तो अभी तक 11 देशों ने पूरी तरीके से डिजिटल मुद्रा को लाँच कर दिया है। इसे पूरी तरीके से लाँच करने वाले अधिकतर कैरिबियन देश जैसे, जमैका और बहामास आदि हैं। अफ़्रीकी देश नाइजीरिया ने भी इसे रिटेल उपयोग के लिए लाँच कर दिया है।
वहीं चीन, रूस, सऊदी अरब, थाईलैंड और स्वीडन जैसे देश इसका पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर परीक्षण कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त कई देशों में डिजिटल मुद्रा के ऊपर काम किया जा रहा है। जिन देशों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया जा रहा है, वहाँ आने वाले समय में इसे बड़े स्तर पर अपनाया जाएगा।