भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केवाईसी (KYC) को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। केन्द्रीय बैंक के नए सर्कुलर के अनुसार अब केवाईसी को अपडेट करने के लिए ग्राहकों को अपनी बैंक शाखा में जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
नए नियमों के अनुसार यदि ग्राहक द्वारा बैंक में अपने वैध दस्तावेज पहले ही जमा किए जा चुके हैं और उनमें किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं हुआ हो तो ईमेल, नेट-बैंकिंग, एटीएम, फोन अथवा सेल्फ-डिक्लेरेशन लेटर के माध्यम से केवाईसी अपडेट किया जा सकेगा।
इसके अतिरिक्त कुछ बैंक (जो इस प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं) वीडियो कॉलिंग के माध्यम से भी नए सिरे से केवाईसी करवा सकते हैं और यदि केवाईसी के दस्तावेजों में अपडेट के दौरान कुछ बदलाव पाए जाएँ तो वे ऊपर दिए गए माध्यमों से केवाईसी करवा सकते हैं, जिसे बैंक द्वारा दो महीनों के भीतर सत्यापित किया जाना आवश्यक होगा।
KYC अपडेट का नया नियम क्यों लाया गया?
पिछले वर्ष कई बैंको द्वारा अपने ग्राहकों को 31 दिसम्बर, 2022 तक केवाईसी अपडेट करने के लिए जरूरी तौर पर बैंक शाखाओं में बुलाया गया था और यदि वे ऐसा नहीं करते तो उनके बैंक खातों को फ्रीज करने की घोषणा कर दी गई थी।
जिसके बाद ग्राहकों में भय की स्थिति पैदा हो गई। इस समस्या के समाधान के लिए लगातार सरकार और आरबीआई से रियायत मांगी जा रही थी।
धन-शोधन निवारण अधिनियम के तहत KYC नियम
ग्राहकों द्वारा केवाईसी अपडेट की आवश्यकता इस बात पर निर्भर करती है कि किसी ग्राहक का बैंक खाता किस श्रेणी में आता है। उच्च जोखिम वाले ग्राहकों के लिए कम से कम हर 2 साल में मध्यम जोखिम वाले ग्राहकों के लिए हर 8 साल में और कम जोखिम वाले ग्राहकों के लिए हर 10 साल में केवाईसी अपडेट कराना आवश्यक होता है।
आरबीआई द्वारा धन-शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 का पालन हेतु इस सम्बन्ध में नई घोषणा की गई है। आरबीआई के नियमों के अनुसार एंटी-मनी लॉन्डरिंग (AML) नियमों को लेकर बैंकों को कुछ स्वायत्ता प्रदान की गई है। इसके तहत बैंक अपने एएमएल दिशा-निर्देशों को ग्राहकों के साथ साझा करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
क्या है एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग?
एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से अर्जित धन को अंततः वैध बनाने के लिए लेन-देन का क्रियान्वयन है। बावजूद इसके कोई व्यक्ति या संगठन द्वारा एएमएल नियमों का पालन किया जाता है, इसका अर्थ यह नहीं है कि उनके साझेदार और व्यावसायिक सहयोगी भी उनके समान ही इन कानूनों का पालन कर रहे हों।
विशेष रूप से अन्तरराष्ट्रीय व्यापार में, व्यक्ति या संगठन यह जोखिम उठाते हैं कि जिन कंपनियों या व्यक्तियों के साथ वे व्यापार करते हैं, वे सरकार द्वारा निर्धारित धन-शोधन विरोधी नियमों के अंतर्गत नहीं आ पाते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति और उनके व्यापारिक भागीदारों, आपूर्तिकर्ताओं समेत ग्राहकों पर भी उचित तरीके से जांच करना आवश्यक है।