रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति कमेटी ने देश में ब्याज दरों को नहीं बदलने का फैसला किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह जानकारी दी कि कमेटी ने एकमत से यह राय जताई कि ब्याज दरों को वर्तमान के स्तर 6.5% पर ही रखा जाए। विशेषज्ञों को आशा थी कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा।
मौद्रिक नीति को समझने वालों का अनुमान था कि बैंक इस बार भी रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट बढ़ाएगा। हालाँकि अनुमानों के उलट RBI ने अभी रेपो रेट में कोई भी बदलाव करने से इंकार किया है।
गौरतलब है कि इससे पहले फरवरी माह में हुई मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक में ब्याज दरों को 6.25% से बढ़ा कर 6.5% कर दिया गया था।
इस फैसले पर कहा गया था कि RBI तब तक कड़े फैसले लेती रहेगी जब तक कि देश में महँगाई की रफ़्तार कम नहीं पड़ती। पिछले कुछ समय से देश में महंगाई का स्तर RBI द्वारा निर्धारित किए लक्ष्य 4%(+/-2%) से ऊपर रहा है।
इसके पीछे वैश्विक और स्थानीय दोनों तरह के कारण हैं। इसी लिए माना जा रहा था कि RBI इस बार भी बाजार में कर्ज को महंगा करके महँगाई को और नीचे लाने के अपने निर्णय पर अडिग रहेगा।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया है कि पूरी दुनिया में बैंकिंग क्षेत्र में आई अस्थिरता के बाद भी भारत का बैंकिंग क्षेत्र लगातार मजबूत बना हुआ है और यह हमारे लिए काफी राहत की बात है।
देश की विकास दर को लेकर उन्होंने कहा कि इसके वर्ष 2022-23 में 7% रहने की संभावना है। उन्होंने दिसम्बर 2022 के बाद से महँगाई बढ़ने की भी बात की और कहा कि वर्ष 2023-24 में इसके कम होने की संभावना है जिसके लिए लगातार मौद्रिक नीति पर काम हो रहा है।
पिछले लगभग एक वर्ष में रिजर्व बैंक रेपो रेट में 250 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी कर चुका है जिसके परिणामस्वरूप रेट 4% के स्तर से बढ़कर 6.5% के स्तर पर पहुँच गया है।
वर्तमान फैसले में RBI गवर्नर ने यह भी कहा कि भले ही हमने इस बार रेट नहीं बदले हैं लेकिन हम स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और कड़े कदम उठाने में बिलकुल नहीं झिझकेंगे।
रिजर्व बैंक के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई के 5.2% से ऊपर रहने की संभावना है। यह आँकड़ा RBI द्वारा निर्धारित सीमा के तो अंदर है परन्तु निचले स्तर 4% से बहुत अधिक है।
हाल ही में ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कमी के बार में लिए गए फैसले का भी रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पर असर दिखा।
बैंक ने आँकड़े जारी करते समय वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कच्चे तेल की कीमत को 85 डॉलर प्रति बैरल पर रखा है। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल का भाव 80 डॉलर से ऊपर ही है।
इसमें ओपेक के फैसले के बाद बढ़त देखी गई थी। रिजर्व बैंक के दरों को ना बढ़ाने के पीछे एक कारण यह हो सकता है कि देश में मार्च-अप्रैल के महीने से नई फसल बाजार में आने लगती है जिससे खाने पीने के सामानों की उपलब्धता में वृद्धि होगी। ऐसे में खाद्य महंगाई में कमी आ सकती है।
वहीं एक अन्य कारण यह माना जा सकता है कि देश में कर्ज और महंगा ना हो और निवेश लगातार चलता रहे इसलिए कमेटी ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया।
बाहर से आने वाले निवेश पर वैसे ही वैश्विक बैंकिंग क्षेत्र में आई अस्थिरता का प्रभाव है। ऐसे में स्थानीय स्तर पर निवेश आसान रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए बैंक ने मौद्रिक नीति की घोषणा की।
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