भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक जोखिम का खतरा अर्थव्यवस्थाओं को और गहराते वैश्विक संकट की ओर ले जा सकता है। भले ही कुछ वस्तुओं के सस्ते होने के कारण महंगाई दर में कमी आ रही हो पर खतरा अभी भी टला नहीं है।
RBI ने मगंलवार 20 दिसम्बर को जारी रिपोर्ट में अपनी ओर से यह आकलन प्रस्तुत किया है। केंद्रीय बैंक ने मासिक तौर पर जारी होने वाले अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि वर्तमान में उसकी दृष्टि मुख्यतः अर्थव्यवस्था में स्थिरता, वैश्विक अस्थिरता और महंगाई जैसे विषयों पर है। गौरतलब है कि इस माह की शुरुआत में RBI ने देश में महंगाई को स्थिर रखने और ना बढ़ने देने के लिए रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि थी।
क्या कहा RBI ने?
RBI ने जारी रिपोर्ट में कहा कि तात्कालिक अनुमान के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में महँगाई भले ही अपने सबसे ऊँचे स्तर से नीचे आती हुई दिखाई दे रही हो लेकिन भारत जैसी बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के लिए खतरा अभी टला नहीं है। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की वर्तमान तेज आर्थिक तरक्की के पीछे स्थानीय कारण हैं।
नवम्बर माह में भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश बड़ी मात्रा में आया। साथ ही, देश में महंगाई की दर में भी 90 बेसिस पॉइंट की कमी हुई है। पहले यह 6.8% पर था जो कि घट कर 5.9% पर आ गया। RBI ने बताया कि देश में खाद्य उत्पादों, जैसे सब्जियों की कीमत में आई कमी के कारण महंगाई की दर घटी है। RBI ने आने वाले समय में भी विकास की दर तेज रहने की उम्मीद जताई है।
RBI ने रिपोर्ट में कहा कि तेल उत्पादक देशों द्वारा तेल उत्पादन की मात्रा भले ही नहीं कम की हो पर रूसी तेल की बिक्री पर लगाए गए मूल्य कैप से अर्थव्यस्थाओं को समस्या हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन-रूस युद्ध और आपूर्ति चेन में समस्या के चलते विश्व भर में खाद्यान्न की कीमतें कोरोना महामारी के पहले के ही स्तर पर हैं।
बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के समक्ष उनकी मुद्राओं के अवमूल्यन, निवेशों का देश से बाहर जाना और अर्थव्यवस्था की बढ़त की रफ़्तार का घटना बड़ी समस्याएं खड़ी कर रहा है। वहीं, ऋण के वापस करने में भी आगे समस्या आने वाली है क्योंकि डॉलर के मूल्य मुद्राओं की तुलना में बड़े स्तर पर बढ़ गए हैं जिनमें वह कर्ज लिया गया था।
यूक्रेन-रूस युद्ध ने बिगाड़ा आर्थिक हिसाब-किताब
RBI ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि उसकी मौद्रिक नीति कमिटी ने इस वर्ष के फरवरी माह में महंगाई के औसत 4.5% के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया था। यह दर RBI द्वारा माने जाने वाले महंगाई औसत 4% के आस पास थी और साथ ही सीमा 2%-6% के अंदर थी।
लेकिन एकाएक यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध छिड़ने के कारण इस अनुमान से भी अधिक महंगाई देश समेत पूरे विश्व में देखने को मिली। ऊर्जा कीमतें, आपूर्ति चेन की समस्याएं, धातुओं की कीमतों समेत खाद्य सामग्रियों की कीमतें आसमान छूने लगीं। इसके कारण देश में महंगाई की दर अप्रत्याशित रूप से बढ़ी। अप्रैल माह आते आते यह इस साल के उच्चतम स्तर 7.8% पर पहुँच गया।
अनुमानों से ऊपर निकला कर संग्रह, केंद्र-राज्य ने सही से चलाई अर्थव्यवस्था
RBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश की केंद्र और राज्य सरकारों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अर्थव्यवस्था को ढंग से चलाया है और आर्थिक गति को बनाए रखा है।
इस दौरान केंद्र समेत राज्यों का राजकोषीय घाटा भी नीचे आया है। राज्यों का औसत राजकोषीय घाटा 3.6% से घटकर औसत 3.3% पर आ गया है। केंद्र और राज्यों ने यह आर्थिक दृढ़ता यूरोप में चल रहे यूक्रेन और रूस के युद्ध के बावजूद बनाई है।
वहीं, रिपोर्ट ने इस बात पर भी प्रसन्नता जताई है कि सरकार का GST समेत प्रत्यक्ष कर का संग्रहण अनुमानों से भी अधिक हुआ है। रिपोर्ट ने बताया कि सरकार की राजस्व प्राप्तियों में भी 5.3% की वृद्धि हुई है।