ऐतिहासिक नोटबंदी के फैसले की सिफारिश रिजर्व बैंक ने ही की थी। रिजर्व बैंक ने यह भी सुनिश्चित किया था कि सभी आधिकारिक प्रक्रियाओं का पालन हो। यह जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक का पक्ष रख रहे वकील जयदीप गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में जारी नोटबंदी पर सुनवाई के दौरान दी।
‘विवेक नारायण शर्मा बनाम भारत सरकार’ नाम से दायर इस मुदकमे में सुप्रीम कोर्ट सरकार के 8 नवम्बर 2016 को किए गए नोटबंदी के फैसले पर सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच इस मामले सभी पक्षकारों का पक्ष सुन रही है जो कि इस फैसले से जुड़े थे।
इससे पहले, यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस मामले में कहा था कि न ही रिजर्व बैंक को और न ही केन्द्रीय कैबिनेट को नोटबंदी के व्यापक फैसले के असर का अंदाजा था। चिदंबरम ने कहा था कि यह पूरा फैसला मात्र 26 घंटों में लिया गया था।
5 दिसम्बर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच के समक्ष रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का पक्ष सुना जा रहा था। न्यायमूर्तियों के रिजर्व बैंक की ओर से प्रस्तुत हो रहे वकील जयदीप गुप्ता से यह पूछा गया कि “क्या आपको नोटबंदी के फैसले से पहले विश्वास में लिया गया था या आपको इसके विषय में कोई आंतरिक जानकारी थी?”
रिजर्व बैंक ने जवाब में बताया “रिजर्व बैंक के खिलाफ कोई दलील ही नहीं दी गई थी।” सुप्रीम कोर्ट के दोबारा यही प्रश्न पूछने पर कि क्या आपकी राय ली गई थी, वकील जयदीप गुप्ता ने जवाब दिया कि हमने ही इस फैसले की सिफारिश की थी।
अदालती मामलों की रिपोर्ट करने वाली वेबसाईट लाइवलॉ के अनुसार, इस मामले में पी चिदम्बरम ने यह आरोप लगाया था कि फैसला लेने का तरीका गलतियों से भरा हुआ था और इससे जुड़े हुए जरूरी कागज भी सरकार दिखाने में आनाकानी कर रही है।
उन्होंने कहा था कि कोर्ट के समक्ष रिजर्व बैंक की 7 नवम्बर को की गई सिफारिश अब भी नहीं रखी गई है। इसके अतिरिक्त केन्द्रीय कैबिनेट के फैसले वाली फ़ाइल भी प्रस्तुत नहीं की गई है। ये कागज कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए जाने चाहिए।
इसके उत्तर में एटोर्नी जनरल आर वेंकटरमण ने कहा कि कोई भी कागज रोका नहीं जा रहा है, न ही कोई कागज छुपाया जा रहा है। यदि कोर्ट आदेश करेगा तो सरकार उन्हें जरूर प्रस्तुत करेगी।