राजनीतिक दलों से मीडिया पर शुरू किया गया हमला अब संगठित एवं प्रायोजित हमले में तब्दील होता प्रतीत हो रहा है। सोशल मीडिया पर सरकार-विरोधी विचारधारा से जुड़े कई लोगों ने कॉन्ग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद जैसे राजनैतिक दलों से अपील की है कि वे अपने प्रवक्ता टीवी और समाचार चैनल्स की डिबेट में भेजना बंद कर दें। इस पर एक मुहिम छिड़ चुकी है और ट्विटर पर इन एकाउंट्स से हैशटैग ‘बायकॉट गोदी मीडिया’ ट्वीट किया जा रहा है।
इस ताजा मुहिम की खास बात ये है कि ट्वीट करने वाले अधिकतर लोग ऐसे हैं जो पूर्व में टीवी चैनल्स में पत्रकारिता का दावा करते थे एवं वर्तमान में अपने यूट्यूब चैनल से वीडियो बनाते हैं। हालाँकि इस पूरी मुहिम में यह नहीं बताया जा रहा है कि किन-किन चैनल्स को गोदी मीडिया के तहत वर्गीकृत किया गया है।
सबसे पहले रवीश कुमार आदतन लम्बा चौड़ा ट्वीट करते हैं,
“गोदी मीडिया दस साल से ज़हर फैला रहा है। विपक्षी दलों को अपना आलस्य छोड़ जनता तक पहुँचने के लिए दूसरा रास्ता खोजना चाहिए। कार नहीं है तो पैदल चलिए। आप इन्हें जितना भी विज्ञापन दें, इनके एंकरों को इंटरव्यू दें मगर चुनाव में सिंगल कॉलम स्पेस नहीं मिलने वाला है। 2019 का ही कवरेज़ देख लीजिए। 2024 में भी यही होगा। विपक्षी दलों के नेता इन चैनलों में कैसे जा सकते हैं? सभी को एक प्रतिनिधिमण्डल बना कर मुकेश अंबानी के पास जाना चाहिए। कहना चाहिए कि उनके चैनल पर बैठ दो एंकर ज़हर फैला रहे हैं। आप क्यों इन एंकरों के सामने लाचार हैं? क्या ये एंकर अंबानी समूह के मालिक हैं? NBDSA ने फ़ाइन किया है। सुप्रीम कोर्ट की कई टिप्पणियाँ हैं। मुकेश अंबानी का नाम लेकर अपील करनी चाहिए। फिर जनता के बीच जाकर हर भाषण में इन चैनलों और अख़बारों के बारे में बताना चाहिए। हर रैली और हर पदयात्रा में। अगर इतना नहीं कर सकते तो फिर घर में रहिए। जो गोदी मीडिया से नहीं लड़ रहा है वो लड़ ही नहीं रहा है। बाक़ी सब ख़ानापूर्ति है।”
इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए ऑल्ट न्यूज़ का संस्थापक और क्लिप कटुआ नाम से कुख्यात मोहम्मद जुबैर भी रवीश कुमार की वीडियो का हवाला देकर और विपक्षी दलों के सभी नेताओं को टैग कर ट्वीट करता है, “विपक्षी नेता और I.N.D.I.A एलायंस के नेता अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं और प्रतिनिधियों को गोदी मीडिया चैनलों पर भेजना कब बंद करेंगे। ‘मोहब्बत की दुकान’ स्थापित करने की कोशिश करने और अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं को ‘दंगाईयों के स्थान’ पर भेजने का कोई मतलब नहीं है। अपने प्रवक्ताओं को वहां भेजकर आप और आपकी पार्टियां सीधे तौर पर उन्हें और उनकी नफरत को भारत में बढ़ावा दे रही हैं। हमने देखा है कि कैसे भारतीय गोदी मीडिया इस देश में नफरत फैलाने और हिंसा भड़काने का मुख्य कारण है। उनमें शामिल होना बंद करो”
आपको बता दें रवीश कुमार अपनी इस वीडियो में राहुल गाँधी के उस भाषण का जिक्र कर रहे हैं, जिसमें राहुल गाँधी टीवी चैनल्स से दूरी बनाने की अपील करते हैं।
अगला ट्ववीट आता है रोहिणी सिंह की ओर से। रोहिणी सिंह लिखती हैं, “आग उगलते न्यूज चैनल्स, जहर बाँटते अख़बार, बहुत हुआ अब बंद करो, नफरत का कारोबार। #BoycottGodiMedia”
यूट्यूबर साक्षी जोशी ट्वीट करती हैं, “INDIA #GodiMedia पर जाना बंद करें बहुत हो गया आप लोगों का अब देश को बचाना है तो इतना समय नहीं है बर्बाद करने के लिए जनता के बीच जाएँ बस इनका तोता है पैसा जिसमें अटकी है इनकी जान इन्हें सरकारी ऐड देने बंद करें और आप खुद जनता के बीच जाएं नफ़रत खत्म कराएँ और टीवी बंद कराएँ”
साक्षी जोशी ने बाकायदा अपने यूट्यूब चैनल पर कई वीडियो ऐसे बनाए हैं जिनमें वे मीडिया चैनल्स को कोसते हुई दिख रही हैं।
वहीं ‘द प्रिंट’ से जुड़ी स्वाति चतुर्वेदी राहुल गाँधी के ट्वीट को कोट कर बहिष्कार की अपील करती हैं, वे लिखती हैं, “राहुल गाँधी का हर शब्द सच है। लेकिन, मुझे आश्चर्य है कि उनकी पार्टी और नेता उसी नफरत भरे मीडिया से क्यों जुड़ते हैं? उन्हें साक्षात्कार दीजिए”
इस पूरी मुहिम में नरेंद्र नाथ मिश्रा भी पीछे नहीं रहते हैं, वे ट्वीट करते हैं,“राजनीति अपनी जगह,अगर टीवी स्टूडियो से निकलने वाले नफ़रती ज़हर अब भी नहीं रुका तो आने वाले समय में कोई समाज और पक्ष इस मीडिया को माफ़ नहीं करेगा। समाज में वह किसी से आंख मिलाने लायक़ नहीं रहेंगे। अब इस मीडिया को किसी के लिये नहीं बल्कि ख़ुद के लिए इस दलदल से निकलने की ज़रूरत है।”
अजीत अंजुम भी नरेंद्र नाथ से सहमत दिखते हुए ट्वीट करते हैं, “चैनलों पर दिन रात परोसी जा रही नफ़रत देश को ख़तरनाक मुहाने की तरफ़ ले जा रहा है। जिन्हें आज समझ नहीं आ रहा है , उन्हें भी एक दिन समझ में जरुर आएगा”
असली ‘गोदी मीडिया’ कौन?
गौर करने वाली बात यह है कि यह सभी कथित पत्रकार अपने संबधित टीवी चैनल से इस्तीफा दे चुके हैं और अब अपनी दुकान यूट्यूब पर सजा चुके हैं। जहां आप उनकी वीडियो में साफ तौर पर देख सकते हैं कि किस प्रकार हर वीडियो एक विशेष प्रॉपगेंडा के तहत बनाया जाता है। इसका एक उदाहरण आप इन वीडियोज में देख सकते हैं जहां रवीश कुमार एवं अजीत अंजुम एक जैसे मुद्दे पर धर्म के हिसाब से अलग-अलग विश्लेषण कर रहे हैं।
प्रश्न यह है कि क्या रवीश कुमार स्वयं गोदी मीडिया का हिस्सा नहीं हैं?
ऐसा ही अन्य पत्रकारों के विशेष एजेंडा का समय-समय पर खुलासा होता रहता है।
क्या है इस पूरे हमले का उद्देश्य
टीवी के न्यूज़ चैनल्स पर यह हमला एकाएक नहीं हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है इसके रणनीति लंबे समय से की जा रही थी। पहले कांग्रेस पार्टी एवं राहुल गांधी द्वारा मीडिया पर अपने भाषणों में टिप्पणियां की गई, ‘गोदी मीडिया’ शब्द ईजाद किया गया, फिर इन दलों के समर्थकों द्वारा कुछ न्यूज़ चैनल एवं पत्रकारों को गोदी मीडिया का तमगा दिया गया।
इसका परिणाम ये हुआ कि सार्वजनिक स्थलों पर पत्रकारों के साथ बदतमीजी एवं हूटिंग आम बात हो गई। इसका उदाहरण आपने कथित किसान आंदोलन एवं शाहीनबाग के समय देखा था जहां कईं महिला पत्रकारों के साथ यौन उत्पीड़न किया गया। हालांकि उस समय यह सभी यूट्यूबर्स चुप रहे और इन्हीं लोगों ने ऐसी घटनाओं को सेलिब्रेट भी किया।
अब इस पूरी रणनीति के तहत राहुल गांधी के बाद जिम्मा संभाल लिया है स्वघोषित निष्पक्ष पत्रकारिता वाले यूट्यूबर्स ने। उद्देश्य साफ है कि किसी भी प्रकार टीवी, न्यूज़ चैनल्स की रेटिंग को कम करना। इनका फार्मूला है कि अगर चैनल्स की डिबेट में राजनीतिक दलों के प्रवक्ता नहीं शामिल होंगे तो जाहिर सी बात है डिबेट का कोई औचित्य नहीं रह पाएगा और ऐसे में दर्शक धीरे-धीरे इनके यूट्यूब चैनल की ओर आएंगे। जहाँ जो भी एजेंडा यह रखेंगे वह दर्शकों तक पहुंचेगा।
यदि टीवी चैनल्स पर समाचार के लिए आश्रित रहने वालों की घटती हुई संख्या को आगामी लोकसभा चुनाव की दृष्टि से देखा जाए तो यह एक किस्म से दर्शकों पर मोनोमोली स्थापित करने का एक आसान तरीका भी हो सकता है। क्योंकि जिन सोशल मिडिया मंचों पर आज ये पूरा धड़ा स्थापित हो चुका है, वह वामपंथी विचारधारा वालों के लिए सबसे बेहतरीन मंच है। ऐसे में, मीडिया चैनल्स की बर्बादी इस पूरी गैंग के लिए फायदेमंद ही साबित होगी और इसकी सबसे बड़ी वजह यूट्यूब से होने वाली कमाई है।
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