पत्रकार से यूट्यूबर बने रवीश कुमार (Ravish Kumar) अचानक से भारत विरोधी इंटरनेशनल मीडिया पोर्टल बीबीसी (BBC) पर हमला बोलने लगे। रवीश कुमार को यह बात खाई जा रही है कि बीबीसी इज़राइल फिलिस्तीन संघर्ष को उनकी परिभाषा के अनुसार सटीक और तटस्थ होकर कवर नहीं कर रहा।
अपने यूट्यूब वीडियो के ज़रिये रवीश कुमार मुद्दा यही रखना चाहते हैं कि BBC की गाजा पर कवरेज पक्षपातपूर्ण हैं क्योंकि वो गाजा के हितों के खिलाफ़ नज़र आती हैं।
तो क्या रवीश कुमार यहाँ यह कहना चाह रहे हैं कि बीबीसी को ज्यादा से ज्यादा गाज़ा पर कवरेज करनी चाहिए और बीबीसी को गाज़ा पर पक्षपात से भरी कवरेज नहीं करनी चाहिए?
ऐसे में स्वयं को यूट्यूबर पत्रकार कहने वाले रवीश कुमार से ज़रूरी सवाल है कि क्या कभी आपने बीबीसी से तब सवाल किए जब वह भारत के खिलाफ अनेकों कवरेज करता है। रवीश जी क्या कभी आपने बीबीसी पर सवाल उठाए कि भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने का उनका क्या औचित्य है?
दरअसल, बीबीसी सदियों से भारत के खिलाफ अपनी अनगिनत कवरेज करता आया है, भारत सरकार को घेरा गया, भारत की छवि को विश्व भर में धूमिल किया गया मगर रवीश कुमार ने कभी भी बीबीसी को भारत के खिलाफ पत्रकारिता करने पर नहीं हड़काया क्योंकि यह खुद ऐसा करते हैं।
बीबीसी ने मोदी सरकार के खिलाफ कितने मनगढ़ंत आरोप लगाए, लेकिन जब रवीश कुमार हर क़िस्म का प्रॉपगैंडा करना जानते हैं तो ऐसे में वह इतने समय तक बीबीसी से कैसे सवाल करते? लेकिन जैसे ही उन्हें बीबीसी की गाजा पर की गई रिपोर्ट से तकलीफ हुई, उन्होंने फ़ौरन बीबीसी से कठिन सवाल कर लिए।
इसी से पता चलता है कि रवीश कुमार के लिए ज़्यादा ज़रूरी गाजा में हमास जैसे आतंकी संगठनों को क्लीन चिट देने वालों की ज्यादा चिंता रहती है या फिर भारत विरोधी नैरेटिव से उन्हें ज़्यादा कष्ट होता है? स्वाभाविक सी बात है कि उन्हें ज़्यादा कष्ट तभी होता है जब मिडिल ईस्ट के आतंकी संगठनों के ख़िलाफ़ बीबीसी लिखना शुरू कर दे वरना रवीश कुमार को तब भी इतनी ही समस्या होती जब यही बीबीसी लोकसभा चुनाव से पूर्व भारत सरकार के ख़िलाफ़ प्रॉपगैंडा डाक्यूमेंट्री प्रकाशित कर रहा था लेकिन तब उन्होंने इसका एक बार भी विरोध नहीं किया था।
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