NDTV से बाहर निकाले गए हिंदू विरोधी कथित पत्रकार रवीश कुमार अब Youtuber बन गए हैं और यूट्यूब से देश के हिंदी भाषी राज्यों में रहने वाले हिन्दुओं को अनपढ़ घोषित करने का काम करते हैं। रवीश कुमार को लगता है कि शोभा यात्रा निकालने वाले हिंदू, मस्जिदों के सामने से शोभा यात्राओं में नाचते हुए गुजरने वाले हिन्दू अनपढ़ हैं।
क्या इस बात का कोई तर्क हुआ? रवीश बाबू ने भी वही बात कर दी जो हमेशा हिन्दू विरोधी करते हैं। मगर रवीश कुमार यह सवाल कभी उस समुदाय से नहीं करते जिसके कट्टरपंथी बीच सड़क पर, रेल के अंदर, रेल के बहार हर तरफ बैठ कर नमाज़ शुरू कर देते हैं। ईद मनाने के नाम पर सड़क पर आतंक मचाना शुरू कर देते हैं और खुले में समाज के बीच कट्टरपंथी और गैरकानूनी हरकत करते हैं। देश विरोधी नारे लगाते हैं।
ऐसे में रविश बाबू से सवाल यही है कि क्या यह आपको पढ़े लिखे नज़र आते हैं ? कहीं यह समुदाय नाराज ना हो जाए क्या केवल इसलिए इन पर कभी भी कोई सवाल नहीं उठाए जायेंगे ?
यह तो घोर अनर्थ हैं और सबसे बड़ा अनर्थ तो यह है कि रवीश कुमार भारत की यूनिवर्सिटीज Vs विदेशों की यूनिवर्सिटी कर भारत के ज्ञान, भारत के अस्तित्व्य पर भी सवाल उठा रहे हैं।
रवीश कुमार अपने वीडियो में विदेश की एक बड़ी यूनिवर्सिटी दिखाते और कहते हैं कि देश के हिंदी भाषी राज्यों में ऐसी यूनिवर्सिटी नहीं है इसीलिए उन राज्यों का हर छात्र सांप्रदायिक है। इसके साथ ही यह तस्वीर दिखाने की कोशिश करते हैं कि देश का हिंदी भाषी वर्ग आज भी पिछड़ा ही है।
लेकिन यहाँ रवीश कुमार को यह भूलना नहीं चाहिए कि यह वही भारत है जिसके हिंदी भाषी राज्य बिहार में दुनिया की सबसे बड़ी और पुरानी नालंदा यूनिवर्सिटी थी जिसे ज्ञान का भण्डार भी कहा जाता है। जी, भारत में दुनिया का सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय। उम्मीद करती हूँ कि आपको यह जानकारी होगी और यह भी जानकारी होगी कि कैसे मुस्लिम शासक बख्तियार खिलजी ने 1193 में नालंदा विश्वविद्यालय पर हमला किया था और इसे नष्ट कर दिया था।
मगर ऐसी जानकारियां या ऐसे सवाल आप कभी नहीं उठाने वाले। इसके पीछे एक क्रोनोलॉजी है।
दरअसल, रवीश कुमार और इनके पूरे इकोसिस्टम का एक पैटर्न है देश की मिडिल क्लास जनता को गरियाने का उन पर हमले करने का। वो इसलिए क्योंकि भारत का मिडिल
क्लास लगातार बढ़ रहा है। उसका साइज बढ़ रहा है।
पिछले कुछ दशकों में गरीबी से जूझ रही जनता पढ़ लिख कर मिडिल क्लास में शामिल हुई है तब से ही रवीश कुमार को इस मिडिल क्लास से दिक्कत होने लगी है। उन्हें दिक्कत इस बात से हो रही है कि भारत में पढ़ने लिखने वाले मिडिल क्लास की आबादी में सबसे अधिक हिंदू ही है और यही वो आबादी है जो सबसे अधिक वोट भाजपा सरकार को देती है।
अब क्योंकि यह मिडिल क्लास जनता पढ़ती लिखती जा रही है ऐसे में रवीश कुमार जैसों की तथाकथित पत्रकारिता को नकार रही है। बुद्धिजीवियों की सुनती नहीं। पत्रकारों, संपादकों और बुद्धिजीवियों के जो गिरोह ख़ुद को भारत भाग्य विधाता मान कर जीते थे, अब उनकी बातें लोगों को रद्दी लगने लगी हैं। जिसके चलते इन कथित पत्रकारों के हमले तेज होते जा रहे हैं ऐसे में द पैम्फलेट की नजर इन पत्रकारों पर उतनी ही बनी हुई है इनके पूरे इकोसिस्टम के एजेंडे का पर्दाफाश भी समय समय किया जाता है।
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