भारत के महत्वाकांक्षी अन्तरिक्ष मिशन चंद्रयान 3 के सफल होने के बाद उसके लैंडिंग पॉइंट का नामकरण प्रधानमंत्री द्वारा बेंगलुरु स्थित इसरो के रिसर्च सेंटर में 26 जुलाई को किया गया। प्रधानमंत्री ने इसे शिवशक्ति नाम दिया, प्रधानमंत्री ने चन्द्रयान 2 के पॉइंट का नाम भी तिरंगा रखा।
शिवशक्ति नाम पर प्रधानमंत्री ने कहा, “शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है। और शक्ति से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य मिलता है। चंद्रमा का शिव शक्ति का पॉइंट हिमालय से कन्याकुमारी के जुड़े होने का बोध कराता है।” अब इस नामकरण को लेकर राजनीति चालू हो गई है।
कॉन्ग्रेस नेता राशिद अल्वी ने इस पर आपत्ति जताई है, उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी पूरे चाँद के मालिक नहीं हैं और वह इसका नाम शिवशक्ति कैसे रख सकते हैं।
हालाँकि, चंद्रयान 1 के लैंडिंग पॉइंट का नाम पंडित नेहरु के नाम पर ‘जवाहर पॉइंट’ रखने के बाबत जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने कह दिया कि ISRO नेहरु की वजह से ही है ऐसे में उनकी तुलना किसी ने नहीं हो सकती। गौरतलब है कि ISRO की स्थापना वर्ष 1969 में हुई थी जबकि पंडित नेहरु की मृत्यु 1964 में हो चुकी थी।
राशिद अल्वी के अलावा शिया धर्मगुरु सैफ अब्बास नकवी ने भी शिवशक्ति नाम पर आपत्ति जताई है। मौलाना ने कहा, “हमारे मुल्क के साइंटिस्टों ने और इंडियन रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने जो कामयाबी हासिल की है, ये कामयाबी मुल्क की कामयाबी है। इसको इस तरह से कहना सही नहीं है. इसका नाम हिंदुस्तान होना चाहिए. जहां विक्रम लैंडर लैंड किया, उसका नाम भारत रखना चाहिए था, हिंदुस्तान रखते, इंडिया रखते। ये मुनासिब होता।”
सोशल मीडिया पर लोगों ने प्रधानमंत्री द्वारा शिवशक्ति नाम रखे जाने का बड़े स्तर पर समर्थन किया है। लोगों ने पहले चंद्रयान मिशन का नाम जवाहर लाल नेहरु के नाम पर रखे जाने पर भी गांधी परिवार पर प्रश्न उठाए। प्रधानमंत्री ने लैंडिंग पॉइंट के नामकरण के अतिरिक्त ISRO की सफलता की बधाई देते हुए 23 अगस्त को हर साल नेशनल स्पेस डे मनाए जाने की घोषणा की।
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