पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा प्रांत के बुनेर जिले से एक बार फिर सिख लड़की से दुष्कर्म और फिर जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटना सामने आई है। पहले एक सिख लड़की का अपहरण कर लिया गया और फिर 20 अगस्त की शाम को जबरन इस्लाम कुबूल करवा दिया गया। दीना कौर पुत्री गुरुचरण सिंह की बेटी को बन्दूक तानकर अगवा किया गया। अपहरण के बाद उसके साथ दुष्कर्म किया गया और फिर जबरन इस्लाम क़ुबूल करवाके निकाह कर लिया गया। इस घटना को स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत से अंजाम दिया गया।
विरोध में सड़कों पर उतरे लोग
पाकिस्तान में हिन्दू व सिख लड़कियों के अपहरण, बलात्कार और धर्मान्तरण के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं । ताज़ा घटना के सामने आने के बाद पीड़ित पाकिस्तानी सिख व हिन्दू समुदाय के सैकड़ों लोगों ने सड़क जाम करके न्याय की मांग की है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा में अच्छा खासा सिख हिन्दू समुदाय है जो ज्यादातर व्यापार से जुड़े हैं। अपनी बेटियों की अस्मत बचाने के लिए और रोज डर के साए से तंग पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के बहुत से लोग भारत में शरण ले चुके हैं।
भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि, “पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सिख, हिंदू और अन्य समुदाय की लड़कियों का अपहरण, धर्मांतरण और फिर अपहरणकर्ताओं के साथ शादी करना आम बात हो गई है। पाकिस्तान में मानवाधिकारों की दयनीय स्थिति है। अधिकांश मामले में पुलिस लड़कियों के परिवार वालों को चुप रहने को कहती है और दीन कौर के मामले में भी ऐसा ही हुआ है।”
‘यूनाइटेड स्टेट्स कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम’ के शोध के अनुसार पाकिस्तान में हर वर्ष एक हजार से ज्यादा अल्पसंख्यक लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन करा दिया जाता है। ज्यादातर मामलों में सबसे पहले उनका अपहरण किया जाता है, फिर बलात्कार किया जाता है और फिर इस्लाम कबूल करवाकर जबरन उनका निकाह कर दिया जाता है। ऐसे मामलों में ज्यादातर हिंदू, सिख और ईसाई लड़कियां होती हैं, और साजिशकर्ताओं में उनके पड़ोसी, परिचित या स्कूल के सहपाठी शामिल होते हैं। उन लड़कियों को कई बार प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है, जिसमें सामूहिक बलात्कार और मारपीट शामिल है। नाबालिग लड़कियों को बहला फुसलाकर या डर दिखाकर झूठे बयान दिलाकर मामले को दबा दिया जाता है। इन सभी मामलों में न्याय की और लड़की के घर वापिस लौटने की उम्मीद ना के बराबर होती है क्योंकि, इस्लाम अपनाने वालों की घरवापसी का पाकिस्तान में अब तक कोई भी वाकया सामने नहीं आया है न ही कट्टरपंथियों के डर से कोई ऐसी हिम्मत कर पाता है। ताज़ा उदाहरण जैसे कई उदाहरण सबके सामने हैं, जिनमें से कुछ को देखते हैं
अगस्त 2022 में ही करीना को अगवा कर जबरन किया निकाह
इसी अगस्त के दूसरे सप्ताह में पाकिस्तान के सिंध प्रान्त से हिन्दू लड़की करीना कुमारी के अपहरण और धर्मान्तरण का मामला कुछ मीडिया समूहों द्वारा सामने आया था। करीना को इसी साल 6 जून को अगवा किया गया और फिर जबरन इस्लाम कबूल करवाके खलील से उसका निकाह करवा दिया गया। 12 अगस्त 2022 को करीना ने कोर्ट में पूरी घटना बताई और कोर्ट से गुहार लगाई कि उसे उसके पिता के पास भेज दिया जाए। अदालत ने फिलहाल उसे महिला केंद्र में रखने के निर्देश दिए हैं।
अगस्त 2019 में ननकाना साहिब से सिख लड़की का अपहरण कर बनाया आयशा
अगस्त 2019 में पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के ननकाना साहिब में एक सिख परिवार ने 6 लोगों पर अपनी नाबालिग बेटी के अपहरण और उसे इस्लाम कबूल करवाकर मोहम्मद एहसान नाम के लड़के से जबरन निकाह कराने का मामला दर्ज कराया था। मामला सामने आने के बाद भारत सरकार ने इस मामले में पाकिस्तान से त्वरित कार्रवाई करने की मांग की थी, इसके बाद 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। गौरतलब है कि ननकाना साहिब सिखों का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल माना जाता है।
सितम्बर 2020 में इस्लामाबाद के पास सिख लड़की का अपहरण करके जबरन निकाह किया
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर हासन अब्दाल क्षेत्र में द डॉन के मुताबिक एक 22 वर्षीय सिख लड़की घर से किसी काम के लिए निकली थी और फिर लापता हो गयी थी। लड़की के पिता द्वारा दर्ज मामले की जांच में सामने आया कि लड़की का पहले अपहरण किया गया और फिर एक मुस्लिम लड़के से उसका जबरन निकाह करवा दिया गया। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार साल 2020 में ये इस तरह का 55वां मामला बताया गया था, इससे समझ सकते हैं कि असल मामलों की संख्या कितनी ज्यादा होगी।
ऐसी ही अनेक घटनाएं पाकिस्तान से सामने आती रहती हैं, जिनमें घटनाक्रम एक पैटर्न की तरह साफ होता है केवल किरदार बदल जाते हैं। एक सुनियोजित मानसिकता और प्रशासन की शह के बिना लगातार एक ही तरह के अपराध घटना सम्भव नहीं है। इन्हीं सब कारणों को देखते हुए भारत की केन्द्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 लाया गया था ताकि पाकिस्तान से आए पीड़ित शरणार्थियों को मानवाधिकार दिए जा सकें। पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने उस समय इसका जमकर विरोध किया था, आज भी पाकिस्तान की ऐसी घटनाओं पर विपक्षी पार्टियों का मौन मानवाधिकार के प्रति उनके दोहरे रवैये को दिखाता है।
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