बाघों के संरक्षण को लेकर अब तक काफी काम किया गया है। इसी का परिणाम है कि देश में अब तक 53 टाइगर रिजर्व स्थापित हो चुके हैं। इन टाइगर रिजर्व की ज्यादातर संख्या मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हैं, पर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मात्र 3 टाइगर रिजर्व अभी तक बन पाए हैं।
उत्तर प्रदेश में बाघ संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने प्रयास प्रारम्भ कर दिए हैं। बीते माह सितम्बर में हुई प्रदेश की कैबिनेट बैठक में इस विषय में एक प्रस्ताव पास किया।
यह टाइगर रिजर्व प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में बनाया जाएगा, अभी तक के तीनों टाइगर रिजर्व तराई के जिलों लखीमपुर खीरी ,पीलीभीत एवं बिजनौर में है। नया बनने वाला टाइगर रिजर्व चित्रकूट जिले में होगा। वर्तमान में यह एक वन्यजीव अभ्यारण्य है, जिसे ही आगे रिजर्व के रूप में बदला जा रहा है।
क्या होता है टाइगर रिजर्व?
टाइगर रिजर्वों का निर्माण बाघों के बेहतर संरक्षण के लिए होता है। इस इलाके के अंदर दो जोन होते हैं, पहला कोर जोन और दूसरा बफर जोन। कोर जोन के अंदर किसी भी प्रकार की बसावट, जानवरों को चराना, लकड़ी बीनना आदि पूर्णतया प्रतिबंधित होता है। बफर जोन के अंदर इन में से कुछ क्रियाओं की छूट होती है।
देश में पहली बार बाघों के संरक्षण के प्रयास वर्ष 1973 में प्रारम्भ हुए थे, इसी साल पहले टाइगर रिजर्व के रूप उत्तराखंड में कार्बेट को बनाया गया था। तबसे लगातार यह संख्या बढ़ती रही है। भारत में टाइगर रिजर्व के प्रबंधन के लिए भारत सरकार ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी का गठन भी किया हुआ है।
रानीपुरा – प्रस्तावित टाइगर रिजर्व
उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने बुन्देलखण्ड के चित्रकूट जिले में रानीपुरा इलाके को टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव पास किया है। यह इलाका मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है। पहले भी इस इलाके में बाघों के विचरण के भी साक्ष्य मिले हैं।
यह इलाका पहले से ही वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में घोषित है। इसे 1977 में वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया था। इसी के साथ इस इलाके हिरन, चिंकारा और तेंदुए जैसे जीव काफी मात्रा में हैं। ऐसे में जैव विविधता के मायने से भी यह एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
इस इलाके को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। इसके लिए 29,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि को अधिग्रहित करने का विचार सरकार का है। वहीं इस योजना में होने वाले व्यय को राज्य और केंद्र सरकार के बीच बांटा जाएगा।
क्या हैं रानीपुरा को टाइगर रिजर्व बनाने के कारण?
इस टाइगर रिजर्व को विकसित करने के पीछे सरकार कई उद्देश्यो९न को एक साथ पूरा करना चाह रही है। विशेषज्ञों की माने तो इस इलाके में पहले से बाघ विचरण करते रहे हैं और उससे पहले के समय में यहाँ उनका निवास स्थान भी था।
बाघों की संख्या में कमी आ जाने से इन क्षेत्रों की जैव विविधता पर काफी प्रभाव पड़ा है, ऐसे जीवों की तादाद काफी बढ़ गई है, जो कि बाघ जैसे जानवरों का शिकार होते हैं। ऐसे में इनका असर जंगल के अलावा किसानों पर भी पड़ रहा है। साथ ही साथ संख्या बढ़ने से मानव-जीव संघर्ष में भी बढ़ोत्तरी आई है।
सरकार इस क्षेत्र को मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्वों से जोड़ कर एक कॉरिडोर बनाने की तरफ भी सोच रही है, ऐसे में मध्यप्रदेश के बाघ इन इलाकों में संरक्षित होकर विचरण कर सकेंगे। जैव विविधता को बढ़ावा मिलने से क्षेत्र में प्रकृति का भी संरक्षण हो सकेगा।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस टाइगर रिजर्व के बनने से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, पहले से सरकार चित्रकूट को धार्मिक नगरी होने के कारण अपनी प्राथमिकता पर रख रही है। इस टाइगर रिजर्व के बनने के बाद, धार्मिक के साथ-साथ वन्यजीव प्रेमियों को भी इस क्षेत्र में बाघ देखने को मिलेंगे जिससे बाहरी पर्यटकों का क्षेत्र में आना हो सकेगा।