केंद्र की मोदी सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए राजपथ का नाम बदलने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार आने वाली 7 सितंबर, 2022 की तारीख में इस पर घोषणा हो सकती है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही मोदी सरकार ने भारतीय नौसेना के नए निशान का अनावरण किया था।
राजपथ से कर्त्तव्यपथ
- ब्रिटिशकाल भारत में इसे किंग्सवे कहा जाता था।
- यह ब्रिटिश नाम किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में दिया गया था।
- आजादी के बाद इसे राजपथ कहा जाने लगा जो किंग्सवे का हिंदी अनुवाद है।
- मोदी सरकार 2014 से ही औपनिवेशिक प्रतीकों और चिह्नों को हटाने पर ध्यान देती रही है।
- नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) ने 7 सितंबर को नाम बदलने के विषय पर एक बैठक बुलाई है।
औपनिवेशवाद के प्रतीकों से छुटकारा
- पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते 15 अगस्त के भाषण में भारत से गुलामी के प्रतीकों को हटाने का अपना फैसला साफ किया था।
- 2016 में रेसकोर्स मार्ग को बदल लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया था। भारतीय पीएम का आवास 7, लोक कल्याण मार्ग में है।
- 2014 में सरकार बनाने के बाद से मोदी सरकार 1500 ब्रिटिशकालीन नियमों को निरस्त कर चुकी है।
- 2017 में ब्रिटिशकाल से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए, मोदी सरकार ने आम और रेल बजट को एक साथ पेश किया।
- जनवरी 2022 में मोदी सरकार ने इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा लगाने का फैसला लिया।
भारतीय नौसेना का नया ध्वज
- पीएम नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही भारतीय नौसेना के नए ध्वज का अनावरण किया था।
- पुराने ध्वज में तिरंगे के साथ सेंट जॉर्ज क्रॉस था जो ब्रिटिश साम्राज्यवाद का प्रतीक था।
- मोदी सरकार के अनुसार नया ध्वज भारतीयता का प्रतीक है।
- भारतीय नौसेना के नए ध्वज पर छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर है।
- भारतीय इतिहास के हिसाब से छत्रपति शिवाजी महाराज के राज में मराठा साम्राज्य के पास एक सशक्त नौसेना थी।
सेंट्रल विस्टा परियोजना
- इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा से राष्ट्रपति भवन तक का क्षेत्र कर्त्तव्यपथ के नाम से जाना जाएगा।
- राजपथ और सेंट्रल विस्टा के मार्ग सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के अंदर आते हैं।
- सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत, सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के साथ राजपथ में एक बड़ा बदलाव आया है।
- 8 सितंबर को पीएम मोदी सेंट्रल विस्टा के एक हिस्से का अनावरण करेंगे।
गुलामी के प्रतीकों का खात्मा
देर आए दुरुस्त आए— भारत में गुलामी के प्रतीकों को हटाने का कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था लेकिन मोदी सरकार द्वारा लिए फैसले स्वागतयोग्य हैं।