अशोक गहलोत की राजस्थान सरकार पाकिस्तान से आए शरणार्थी हिन्दुओं को परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। पिछले दिनों जोधपुर में शरणार्थी हिन्दुओं को उनके अस्थाई निर्माण से जबरन बेदखल करने के बाद अब फिर से वैसा ही काम जैसलमेर में हुआ है।
समाचार पोर्टल स्वराज्य की एडिटर स्वाती गोयल शर्मा ने अपने ट्विटर के माध्यम से जानकारी दी है कि जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी के आदेश पर प्रशासन ने जैसलमेर में 28 अस्थायी ठिकानों को उजाड़ दिया। यह बस्तियां पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थियों की थी जिनमें से अधिकाँश दलित या जनजातीय समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।
पहले ही पाकिस्तान में मजहबी हिंसा का शिकार हुए ये हिन्दू अब अपनी सांस्कृतिक भूमि भारत में भी सुरक्षित नहीं हैं। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि उनकी बस्तियों में आग लगा दी गई, विरोध करने पर लाठी चार्ज भी हुआ जिसमें महिलाएं घायल हो गईं। ये लोग काफी समय से इस इलाके में कच्चे मकानों में रह रहे थे।
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जैसलमेर में इन हिन्दुओं को बेदखल करने के लिए, भीषण गर्मी के बीच उनके पानी के टैंक तोड़ दिए गए। पिछले दिनों भी कुछ ऐसी ही तस्वीरें जोधपुर से आयी थीं जहाँ पाकिस्तान से आकर बसे हिंदुओं को आवासविहीन कर दिया गया था और उसके कारण शरणार्थी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गये थे।
ये हिन्दू शरणार्थी भारतीय नागरिकता का इंतज़ार कर रहे हैं। दूसरी तरफ जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी ने बताया है कि राज्य सरकार के पास ऐसी कोई नीति नहीं है जिससे इन पीड़ित शरणार्थियों को आवास दिलाने में मदद दी जा सके।
विधायक निधि से मुस्लिम बहुल इलाकों में सैकड़ों करोड़ की लागत से विकास कार्य कराने वाली गहलोत सरकार इन शरणार्थियों को कोई भीं सहायता पहुंचाने की बजाय उनके रहने पर भी संकट पैदा कर रही है।
राजस्थान सरकार के इस संवेदनहीन फैसले के कारण, शरणार्थियों की गृहस्थी अब सड़क पर बिखरी पड़ी है और महिलाएं रो रही हैं। सवाल यह है कि पाकिस्तान में जबरन धर्मांतरण का दंश झेलने वाले ये हिन्दू यदि भारत में भी शांति से नहीं रह सकते तो और किस देश में शरण लेंगे? ऐसा तब हो रहा है जब बांग्लादेशी और रोहिंग्या अवैध प्रवासी दिल्ली, जम्मू और हैदराबाद तक ले जाकर बसा दिए गए हैं और यदि उन्हें देश से निकालने की बात सुप्रीम कोर्ट में भी होती है तो कथित सेकुलर और लिबरलों का विलाप चालू हो जाता है।
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