अभी इंसानों पर कोरोना वायरस का कहर थमा भी नहीं था कि दुधारू पशुओं पर दो महीने से एक खतरनाक लंपी वायरस ने अटैक किया हुआ है। राजस्थान के ज्यादातर जिलों की गायों में फैले संक्रामक ‘लंपी वायरस’ से हजारों की संख्या में गायों की बेदर्द मृत्यु हो रही है। पहले पाकिस्तान के सीमवर्ती क्षेत्र में शुरू हुआ लंपी वायरस अब पूरे राजस्थान को जद में ले चुका है।
राजस्थान सरकार बुरी तरह विफल
तेजी से फैलते लंपी वायरस को संभालने में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार बुरी तरह विफल है, नाकाफी प्रयास और गंभीरता की कमी मवेशी और पशुपालक भोग रहे हैं। राजस्थान में अगस्त के शुरुआत तक करीब 50 हजार गायें इस वायरस से संक्रमित थीं पर केवल एक महीने में ही संक्रमित गायों की संख्या 10 लाख के पार पहुँच गई है। यह 20 गुणा ज्यादा है।
यह वायरस पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ्रीका और यूरोप के कुछ देशों में भी फैलता रहा है, पर संक्रमण की यह दर कहीं नहीं देखी गई। केवल संक्रमण ही नहीं, इलाज के अभाव में मौतों का आंकडा भी इसी गति से बढ़ा है। राजस्थान में हर रोज 4 से 5 हजार गायों की मौत हो रही है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त के शुरुआत तक 3 माह में करीब 2100 मवेशियों की वायरस से मौत हुई थी, जबकि सितंबर के पहले सप्ताह तक के आंकड़ों के अनुसार 43 हजार गायों की मौत दर्ज की है, यानी केवल एक महीने में 40 हजार गायों की मौत खुद प्रशासन मान रहा है, फिर भी राजस्थान सरकार का प्रबंधन अब तक नाकाफी नजर आ रहा है।
सोती रही सरकार, मरते रहे पशु
सच तो यह है कि 50 हजार मौतें केवल बीकानेर जिले में ही हो चुकी हैं। अगर शुरुआत के 3 महीनों में ही राजस्थान सरकार चेतती तो हजारों गायों की जान बचाई जा सकती थी पर सरकार चैन की नींद लेती रही। गरीब पशुपालकों ने भी जागरूकता के अभाव में संक्रमित गायों को खुला छोड़ दिया जिससे संक्रमण और तेजी से बढ़ गया।
अगस्त की शुरुआत तक केवल कुछ गौरक्षक और गौपालक ही सोशल मीडिया पर आवाज उठाते रहे। सोशल मीडिया पर लोगों के द्वारा बार-बार पोस्ट किए जाने पर स्थानीय प्रशासन और पशुपालन विभाग को जानकारी देने के बावजूद समय पर कोई सरकारी सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई, न ही गाइडलाइन जारी की गई।
अगस्त तक वायरस से प्रभावित जिलों को दवाई खरीदने के लिए केवल 1-1 लाख रुपए की मदद भेजी गई जो ऊंट के मुँह में जीरा बराबर थी। ये हाल तब है जब सरकार ‘गौ सेस’ के नाम पर जनता से करोड़ों रुपए वसूल रही है।
राजस्थान सरकार के मंत्री आरोप प्रत्यारोप में व्यस्त
राजस्थान में गायों को सरकारी चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध न होने की पोल अजमेर से कांग्रेस विधायक और पूर्व चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा खुद खोल चुके हैं। रघु शर्मा ने राजस्थान के पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया पर आरोप लगाते हुए कहा था कि, “मेरे विधानसभा क्षेत्र में गायें मर रही थीं और आपने यहाँ के सारे वेटनरी डॉक्टर जोधपुर भेज दिए। यहाँ पर पशुपालक परेशान हैं, कोई गायों का ट्रीटमेंट करने वाला तक नहीं है।”
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर जिले से विधायक हैं और वहीं के रहने वाले हैं। रघु शर्मा के बयान से सरकारी स्तर पर किए जा रहे भेदभाव की पोल भी खुल गई। इस ऑनलाइन बैठक में खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मौजूद थे।
एक महीने पहले लंपी वायरस केवल राजस्थान के पश्चिमी जिलों जोधपुर बीकानेर, जैसलमेर में सीमित था, पर अब इसका फैलाव पूर्वी जिलों जयपुर, अजमेर तक हो गया है। इतना ही नहीं उत्तरप्रदेश सरकार ने भी कुछ मामले सामने आने के बाद सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है।
क्या है लंपी स्किन वायरस और इसके लक्षण
लंपी वायरस एक भयावह त्वचा रोग है जो पॉक्सविरिडे परिवार के वायरस से दुधारू पशुओं में फैलता है। इससे संक्रमित पशु को जुखाम व बुखार हो जाता है, आंखों, नाक और मुँह से चिकना पदार्थ बहने लगता है। पूरे शरीर पर चिकनपॉक्स जैसे फोड़े और छाले हो जाते हैं। दूध कम हो जाता है। पशु की भूख भी कम हो जाती है।
इससे गायों का गर्भपात या बांझपन भी हो जाता है, वह दर्द के कारण लंगडाकर चलने लगती हैं। कोरोना वायरस के लक्षणों की तरह पशुओं को तीव्र निमोनिया हो जाता है। इस वायरस से पशु की त्वचा पर होने वाले फोड़े उसे भयंकर दर्द देते हैं। संक्रमित पशु के सीधे संपर्क से, संक्रमित हवा, पानी और खाना खाने से यह फैलता है। यह वायरस मच्छर-मक्खी और अन्य कीड़ों के माध्यम से भी हो सकता है।
राजस्थान में हालत बेकाबू, टीकाकरण की रफ्तार धीमी
चिन्ता इस बात की है कि इस बीमारी का पुख्ता इलाज का इंतजाम अब तक नहीं हुआ है। ज्यादातर पशुपालक केवल सामान्य दवाइयों व आयुर्वेदिक घरेलू इलाज के भरोसे ही इलाज में लगे हैं। राजस्थान सरकार ने एक महीने पहले एक सप्ताह में 20 लाख गोटा पॉक्स वैक्सीन लगाने की बात कही थी, इसके बाद 41 लाख वैक्सीन खरीदने की बात की थी, पर अब तक टीकाकरण बेहद धीमी रफ्तार से चल रहा है, जिस कारण मौतों का सिलसिला नहीं रुक रहा है।
ज्यादातर पशु पालक गरीब हैं और दवाइयों व वैक्सीन का महंगा इलाज करवाना उनके बस की बात नहीं है, इसलिए हर प्रभावित जिले के गाँवों और तहसीलों में सरकारी प्रशासन द्वारा सघन जांच, दवाई मुहैया करवाने और वैक्सीनेशन की जरूरत है।
मृत गायों को सम्मान से दफनाने की भी व्यवस्था नहीं
प्रशासन की लापरवाही फिर भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, मृत गायों को चिकित्सकीय प्रक्रियानुसार दफनाने की जगह बीकानेर, नागौर और जोधपुर में प्रशासन ने मृत गायों को खुले क्षेत्र में फेंक दिया है, जिससे संक्रमण और प्रदूषण फैल रहा है।
राजस्थान के बीकानेर के जोड़बीड़ वनक्षेत्र से दिल दहलाने वाली तस्वीर सामने आई है, जहाँ 5646 हैक्टेयर क्षेत्र में हजारों मृत गौवंश को बिना दफनाए खुले में छोड़ दिया है और 5 किलोमीटर तक के इलाके में भयंकर बदबू हो गई है। सरकार की संवेदनहीनता से जहाँ गौमाता अपमानित हो रही है, वहीं लाखों लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो रहा है।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में भी संक्रमण फैलना शुरू
राजस्थान गुजरात के सीमावर्ती पंजाब, हरयाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के पशुपालन विभाग को अलर्ट जारी किया गया था, पर इनमें से कई राज्यों से संक्रमण की खबरें आने लगी हैं। यदि संक्रमण ज्यादा राज्यों में फ़ैल जाता है तो कोरोना वायरस जैसी गम्भीर स्थिति बन जाएगी, और यह राष्ट्रीय आपदा बन जाएगी, जिससे निपटना देश के लिए मुश्किल हो सकता है। देशभर में गायों की पूजा करने वाले हिन्दू यह देखकर बहुत दुःख का सामना कर रहे हैं।
राजस्थान में यूपी के बाद सबसे ज्यादा गाय भैंस
20वीं पशु जनगणना के अनुसार देश में कुल 53.57 करोड़ पशुधन है। इसमें करीब 18.25 करोड़ गाय-बैल यानि गोवंश है और करीब 10.98 करोड़ भैंस हैं। इस मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है। देश में पशु जनसंख्या के मामले में राजस्थान का यूपी के बाद दूसरा नम्बर है, राजस्थान के पास 5.68 करोड़ पशु है।
राजस्थान में करीब 1.39 करोड़ गाय बैल हैं पर इसके साथ गौवंश के मामले में राजस्थान देश में छठे नम्बर पर है जबकि भैंसों के मामले में 1.37 करोड़ भैंसों के साथ राजस्थान देश में दूसरे नम्बर पर है। पशुओं की इतनी बड़ी जनसंख्या को ऐसे संक्रमण का चारा बनने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता, इसपर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को तुरंत व्यापक एक्शन लेना जरूरी है।