विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही राजस्थान कॉन्ग्रेस में आंतरिक कलह खुलकर सामने आ रही है। अब गहलोत समर्थक प्रदेश सरकार में मंत्री प्रसादी लाल मीणा ने पूर्व प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट पर तंज कसा है। मीणा ने कहा कि सचिन पायलट के नेतृत्व में पार्टी 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई।
हालाँकि मंत्री ने ये कहकर कि ‘हार-जीत किसी की व्यक्तिगत गलती नहीं होती बल्कि जनता का आदेश होता है’, अपने बयान की क्षतिपूर्ति करने की कोशिश भी की।
प्रसादी लाल मीणा ने कहा कि किसी के व्यक्तिगत योगदान की बात नहीं की जानी चाहिए। अगर जीत का श्रेय पार्टी को मिलता है तो हार का भी मिलता है। 2019 एवं 2014 में कितने एमपी सचिन पायलट के नेतृत्व में चुने गए थे? उस शून्य के बारे में कोई बात नहीं करता। जब सचिन पार्टी अध्यक्ष थे तो एमपी की संख्या 2019 में 2014 में जीरो पर क्यों पहुंच गई? तब प्रदेश में हमारी सरकार थी पर ये जनता का निर्णय है। तो हमें किसी को इसका जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए। जनता अपने निर्णय बदलती रहती है।
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मीणा ने गहलोत की तारीफ करते हुए कहा कि अशोक गहलोत के नेतृत्व में पार्टी ने 156 सीटें अपने खाते में दर्ज की उस समय पार्टी प्रदेश अध्यक्ष कौन था? बीते दिनों ही सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पेपर लीक मामले में घेरते हुए कहा था कि किस जादू से पेपर लीक हुए, सरकार को यह बताना चाहिए। ज्ञात हो कि प्रदेश में अशोक गहलोत को जादूगर भी कहा जाता है। वहीं इससे पहले अशोक गहलोत ने पायलट से कहा था कि वो मामले में किसी का नाम जानते हैं तो उनको सार्वजनिक करना चाहिए।
इस पर सचिन पायलट ने पलटवार करते हुए कहा था कि जो पार्टी कार्यकर्ता वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें दरकिनार करके सेवानिवृत अधिकारियों को राजनीतिक पदों पर नियुक्तियां क्यों मिली है? पार्टी को मजबूत करने वाले कार्यकर्ता हमारी पहली प्राथमिकता होने चाहिए।
ज्ञात हो कि राज्य में चुनाव नजदीक हैं, जिसके लिए प्रदेश में कॉन्ग्रेस पार्टी ने तैयारियां शुरु कर दी हैं। पर इसी बीच कॉन्ग्रेस के दोनों धड़ों से एक-दूसरे के खिलाफ बयान सामने आते रहे हैं। राजस्थान की सत्ता हाथ से निकलना कॉन्ग्रेस के लिए 2024 के लोकसभा चुनावों को और मुश्किल बना सकता है। पर पार्टी नेतृत्व इस आंतरिक कलह को शांत करने के लिए अभी तक नाकाम रहा है।