केन्द्रीय बजट 2023-24 में सरकार ने रेलवे के कैपिटल आउटले यानी नई क्षमता बनाने पर किए जाने वाले खर्च को रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा कर 2.4 लाख करोड़ कर दिया है। पिछले बजट में यह लगभग 1.6 लाख करोड़ था।
रेलवे के बजट में इस रिकॉर्ड बढ़त को रेलवे के कई विभागों में बांटा गया है। इस धनराशि का इस्तेमाल नई रेल लाइन बिछाने, लाइनों के विद्युतीकरण करने, नए डिब्बे और इंजन की खरीद और पटरियों की मरम्मत करने जैसे कामों के लिए अलग-अलग बांटा गया है।
भारतीय रेलवे वर्तमान में स्टेशनों के पुनर्निर्माण से लेकर वन्दे भारत जैसी ट्रेन के निर्माण, रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने और यात्री सुविधाओं को बढ़ाने पर काम कर रही है।
बजट में सबसे बड़ी धनराशि रोलिंग स्टॉक यानी यात्री और माल गाड़ियों के डिब्बे और दोनों प्रकार की ट्रेनों के इंजन समेत नई वन्दे भारत ट्रेनों के निर्माण के लिए दी गई है।
कहाँ खर्च होगी इतनी बड़ी धनराशि
इस मद में बजट में 47,510 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में यह धनराशि लगभग 23 हजार करोड़ रूपये थी। यानी वित्त 2023-24 में इसे दोगुना कर दिया गया है।
रोलिंग स्टॉक के मामले में रेलवे बड़े स्तर पर काम कर रहा है। रेलवे जहाँ एक ओर वन्दे भारत जैसी अत्याधुनिक ट्रेन बना रहा है, वहीं वह अन्य ट्रेन में अधिक सुरक्षित और आरामदायक LHB कोच लगाने की बड़ी योजना पर काम कर रहा है।
आने वाले समय में 10 हजार LHB कोच ट्रेनों में लगाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके अतिरिक्त, रेलवे मालगाड़ियों के लिए भी 84,000 डिब्बे खरीद रहा है। इनकी खरीद के लिए भी बड़ी धनराशि खर्च की जाएगी।
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नए इंजन खरीदने की योजना पर भी काम कर रहा है। हाल ही में जर्मन कम्पनी सीमेंस को 2,000 मालगाड़ियों के इंजन के लिए 36 हजार करोड़ का ठेका दिया गया था। इनमें खर्च होने वाली धनराशि भी बजट से ली जाएगी।
इसके अलावा रेलवे को नई रेल लाइनें बिछाने और सिंगल लाइन के दोहरीकरण के लिए भी 61 हजार करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि दी गई है। रेलवे कई जगह लाइनों के दोहरीकरण और नए क्षेत्रों के रेल से जोड़ने पर काम कर रहा है।
मुख्य रूप से उत्तर-पूर्व के राज्यों, जम्मू-कश्मीर तथा रेलवे सुविधाओं से अभी तक दूर रहे क्षेत्रों में इस समय युद्धस्तर पर रेल लाइनें बिछाई जा रही हैं।
ट्रेन पटरियों की क्षमता को बढ़ाने के लिए भी बजट में लगभग 18 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। दरअसल, वर्तमान में कई रूट ऐसे हैं जहाँ तेज गति से ट्रेनें नहीं चलाई जा सकती।
इन पटरियों की क्षमता को 160-200 किलोमीटर/घंटा पर विकसित करने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है जिससे आने वाले समय में इन पर वंदे भारत जैसी सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाई जा सकें।
इसके अतिरिक्त 8,000 करोड़ रूपये रेलमार्गों के विद्युतीकरण पर खर्च किये जायेंगे। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक पूरे देश के रेलमार्गों का विद्युतीकरण कर दिया जाए।
रेलवे को दी गई धनराशि में 13 हजार करोड़ से अधिक धनराशि यात्री सुविधाओं को बढ़ाने के लिए राखी गई है। पिछले वर्ष यह धनराशि 3,800 करोड़ रुपए थी।
यात्री सुविधाओं में सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन पर विशेष काम किया जा रहा है। देश भर के 200 प्रमुख रेलवे स्टेशन को नए सिरे से बनाया जा रहा है।
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इन रेलवे स्टेशन में प्लेटफार्म के अतिरिक्त नए रूफ प्लाजा बनाए जाएंगें जिनमें फ़ूड कोर्ट, बच्चों के खेलने के एरिया और लाउंज समेत अन्य यात्री सुविधाएं होंगी।
इसके अतिरिक्त, रेलवे को दिए गए बजट में वर्कशॉप के मेंटेनेंस, कर्मचारियों के कल्याण और अन्य सुविधाएँ बढ़ाने के लिए भी बड़ी मात्रा में धनराशि दी गई है।
रेल मंत्रालय भारतीय रेलवे का पूरी तरह से कायाकल्प करना चाहता है इसीलिए इतनी बड़ी धनराशि का आवंटन हुआ है। यात्री सुविधाओं से लेकर माल ढुलाई तक सभी क्षेत्रों को विकसित करने की दिशा में काम चल रहा है और आने वाले समय में भारतीय रेल का हमें एक बदला हुआ रूप नजर आने वाला है।