ओडिशा रेल हादसे के बीच अंग्रेजी समाचार पत्र ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के एक गलत दावे की पोल रेलवे के प्रवक्ता ने खोल दी है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया (TOI) के एक लेख में बालासोर हादसे के प्रकाश में दावा किया गया था कि देश में बनी हुई अधिकाँश रेल लाइनें अंग्रेजी शासन के दौरान वर्ष 1870 से 1930 के बीच बने थे।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने लिखा कि देश में बिछी हुईं 98% पटरियां अंग्रेजी राज के दौरान बिछाई गईं थीं, जिसे रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने आँकड़े देते हुए खारिज किया और टाइम्स ऑफ़ इंडिया से लेख हटाने को कहा। टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है और लेख में नए तथ्य जोड़ दिए हैं।
अमिताभ शर्मा ने ट्विटर पर जवाब में लिखा कि देश में अंग्रेजी राज खत्म होने के बाद वर्ष 1950-51 में तक पटरियों की कुल लम्बाई 59,315 किलोमीटर थी जो कि लगातार बढ़ी है और वर्ष 2022-23 में बढ़कर 1,07,832 किलोमीटर हो चुकी है।
अमिताभ शर्मा ने लिखा कि रेलवे इस लेख को तथ्यविहीन और और आधारहीन होने के कारण खारिज करता है, टाइम्स ऑफ़ इंडिया जैसे संस्थान से ऐसे संवेदनशील मामले पर लापरवाह पत्रकारिता की आशा नहीं थी। अमिताभ शर्मा ने लिखा कि टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संपादकों को लेख प्रकाशित करने से पहले इन आँकड़ों को जाँचना चाहिए था।
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पिछले कुछ वर्षों में रेलवे ने पहले से बिच्छी हुई पटरियों का दोहरीकरण और कई इलाकों में नई पटरियां बिछाई हैं, इसके अतिरिक्त कई छोटी लाइनों को ब्रॉड गेज (बड़ी लाइन) में भी बदला गया है। देश महत्वपूर्ण रेलवे रूटों जैसे कि दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा आदि को तेज गति वाली रेलगाड़ी संचालित करने के लिए उत्तरोत्तर अपग्रेड किया गया है। रेलवे ने पहले से बिछी पटरियों के सुधार और बदलने के लिए भी रेलवे ने बड़ी धनराशि खर्च की है।
गौरतलब है कि बालासोर में हुई भीषण रेल दुर्घटना के बाद से रेलवे के बारे में किए जाने वाले गलत दावों की संख्या में बाढ़ आ गई है, इससे पहले कवच और कैग की रिपोर्ट के बहाने भी रेलवे पर सवाल उठाए गए थे। रेल मंत्री ने स्पष्ट किया है कि कवच सिस्टम ऐसी दुर्घटनाओं के लिए नहीं बल्कि एक ही ट्रैक पर आने वाली रेलगाड़ियों के लिए बनाया गया है। इसके अतिरिक्त, कैग की रिपोर्ट के बहाने किए गए सवालों का फैक्ट चेक द पैम्फलेट ने किया था।
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