भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे दिन मध्य प्रदेश में बृहस्पतिवार (24 नवम्बर, 2022) को राहुल गाँधी वनवासी जननायक टंट्या मामा की जन्मस्थली बड़ौदा अहीर पहुंचे थे।
राहुल गाँधी ने टंट्या मामा की जन्मस्थली पर एक सभा को सम्बोधित किया। अपने सम्बोधन में टंट्या मामा के बहाने राहुल गाँधी ने भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की खूब आलोचना भी की।
आरएसएस की आलोचना करते हुए राहुल गाँधी ने टंट्या मामा को लेकर कुछ ऐसी भी बातें कहीं जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है।
राहुल गाँधी ने क्या कहा?
अपने भाषण के दौरान राहुल गाँधी ने जनता को बताया कि कैसे जनजातीय जननायक टंट्या मामा को अंग्रेजों ने फाँसी पर चढ़ाया और आरएसएस ने इस मामले में अंग्रेजों की मदद की।
राहुल गाँधी ने कहा, “टंट्या मामा को फाँसी पर किसने चढ़ाया है? अंग्रेजों ने और आरएसएस ने अंग्रजों की मदद की। यह पूरी दुनिया और हिन्दुस्तान जानता है। याद रखिए, अंग्रेजों ने टंट्या मामा को फाँसी पर चढ़ाया मगर आरएसएस की विचारधारा ने उनकी मदद की।”
वे आगे कहते हैं, “यह सिर्फ टंट्या मामा के साथ नहीं किया गया। यह बिरसा मुंडा के साथ भी किया गया। जब हम अंग्रेजों से लड़ाई लड़ रहे थे जिन्होंने आपके महापुरुषों को फाँसी पर लटकाया, तब आरएसएस अंग्रेजों के साथ खड़ी थी।”
तथ्य क्या है?
निमाड़ अंचल के घने जंगलों में पले और बढ़े टंट्या भील की गिरफ्तारी की खबर अमेरिकी समाचार पत्र न्यूयॉर्क टाइम्स के 10 नवम्बर, 1889 के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी।
इस समाचार में उन्हें ‘भारत के रॉबिन हुड’ के रूप में वर्णित किया गया था।
टंट्या मामा को रॉबिन हुड इसलिए कहा गया क्योंकि वे अंग्रेजों के अधिकार में फलने-फूलने वाले अमीरों को लूट कर उस पैसे को वंचित और ग़रीब वनवासियों में बाँट देते थे।
क़रीब पन्द्रह वर्षों तक उन्होंने गुरिल्ला युद्ध के ज़रिए अंग्रेजों को परेशान कर के रखा।
हालात यह थे कि अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ने के लिए सैकड़ों लोगों को जेल में भरना शुरू कर दिया। क़रीब सात वर्षों तक अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ने के लिए अभियान चलाए।
गिरफ्तारी के बाद सत्र न्यायालय जबलपुर ने टंट्या मामा को 19 अक्टूबर, 1989 को फाँसी की सजा सुनाई। इसके बाद 4 दिसम्बर, 1989 को भारत के रॉबिन हुड टंट्या मामा को फाँसी दी गई।
बिरसा मुंडा का देहांत 9 जून, 1900 के दिन हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर जेल में डालने के बाद अंग्रेजों ने उन्हें धीमा जहर दिया था। हालाँकि, अंग्रेज बिरसा मुंडा की मृत्यु के लिए हैजा की बीमारी को जिम्मेदार बताते हैं।
RSS की स्थापना
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना साल 1925 में विजयादशमी के दिन हुई थी। आरएसएस के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर (महाराष्ट्र) में संघ की स्थापना की थी। उस समय यह कुछ लोगों का समूह भर था।
टंट्या मामा की मृत्यु और आरएसएस की स्थापना के बीच के वर्षों का अन्तर देखें तो टंट्या मामा की फाँसी के दिन से तकरीबन 35 साल 9 महीने 23 दिन बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी।
ठीक इसी तरह, बिरसा मुंडा की मृत्यु के 25 साल 3 महीने 18 दिन बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अस्तित्व में आया।
ऐसे में राहुल गाँधी के भाषण और उनके दावे में तथ्यों और आरोपों का कोई मिश्रण नज़र नहीं आता। यह सरासर भ्रामक नजर आ रहा है।