कुछ लोग कठिन परिस्थितियों में झूठ बोलते हैं और कुछ लोग परिस्थितियां चाहे जो हों झूठ ही बोलते हैं। राहुल गाँधी दूसरी किस्म के व्यक्ति हैं। इस व्यक्ति ने लंदन में भारत के लोकतंत्र को लेकर जो कहा उसकी पड़ताल इसी प्लेटफार्म के एक आर्टिकल में आंकड़ों के साथ विस्तार से की गयी है। उस आर्टिकल में 2010 से लेकर 2019 तक हुए विभिन्न सर्वे के आंकड़ों के आधार पर यह दिखाया गया है कि राहुल गाँधी ने लंदन में जो कहा वो सरासर झूठ है। वास्तविकता यह है कि राहुल गाँधी और उनके सहयोगियों को लोकतंत्र में हाशिये पर चले जाने का गंभीर संकट उत्पन्न होता दिख रहा है। लोकतंत्र के नाम पर लोकतान्त्रिक संस्थाओं का जैसा दोहन राहुल गाँधी के सहयोगियों द्वारा अतीत में किया गया, प्रधानमंत्री ने उसी को 2015 के अपने वक्तव्य में रेखांकित किया था। कांग्रेस का राहुल गाँधी और प्रधानमंत्री के वक्तव्य को साथ मिला कर देखने का प्रयास हास्यास्पद है। 2014 से ही राहुल गाँधी अपने सहयोगियों के साथ मिलकर भारतीय लोकतंत्र में नित नए संकट खड़े कर रहे हैं तथा अपनी और अपने साथियों की गैरकानूनी गतिविधियों पर हो रही कार्यवाहियों को वो विदेश में घूम-घूम कर लोकतान्त्रिक संस्थाओं का प्रभाव बता रहे हैं।
राहुल गांधी और अपनों की निंदा का सुख
राहुल गाँधी ऐसी-ऐसी बातें करते हैं जो उनको ही विरोधाभासी सिद्ध कर देती हैं। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जहाँ एक तरफ वो नफरत के बाजार में मोहब्बत की दूकान खोल रहे थे वहीं दूसरी तरफ यह भी कह रहे थे कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनको कहीं नफरत नहीं दिखी। जम्मू कश्मीर में उनको खुल कर घूमने की आज़ादी भी दिखाई देती है जो धारा 370 हटने के पहले नहीं थी और उनको धारा 370 हटाने से दिक्कत भी है। कुछ वर्षों पहले तक राहुल गाँधी के ऐसे विरोधाभासी और ऊल जूलूल वक्तव्यों को चुटकुला समझ कर टाल दिया जाता था लेकिन लगातार एक वरिष्ठ विपक्षी नेता का इस तरह की बातें करना अब भारतीय लोकतंत्र के लिए इसलिए खतरनाक होता जा रहा है क्योकि कांग्रेस पार्टी उनके अलावा किसी और को नेता मानने को तैयार ही नहीं है और ये व्यक्ति कांग्रेस का नेता होने के नाते विपक्ष का प्रतिनिधि बन कर देश विदेश हर जगह भारत के बारे में मूर्खतापूर्ण झूठ फैला रहा है। अब कांग्रेस पार्टी को भले लगता हो कि राहुल गाँधी कांग्रेस के उपलब्ध नेताओं में सबसे ज्यादा विचारवान और ओजस्वी नेता हैं लेकिन भारत के लोकतंत्र को कांग्रेस को संतुष्ट करने के लिए खतरे में नहीं डाला जा सकता। इसलिए अब राहुल गाँधी को विदूषक मान कर उनको मजाक में लेना ठीक नहीं है। राहुल गाँधी के झूठ बोलने की आदत भारतीय अर्थव्यवस्था, भारतीय समाज और भारतीय राजनीति, सब के लिए खतरनाक है।
कांग्रेस ने वास्तव में राहुल गाँधी नामक बन्दर के हाथ में उस्तरा दे रखा है। जब तक ये बन्दर कांग्रेस की दाढ़ी बना रहा था तब तक तो ठीक था लेकिन कांग्रेस ने इसको देश की दाढ़ी मूँड़ने का अधिकार भी दे रखा है। कांग्रेस के सत्ता से बाहर जाने और राजनैतिक रूप से हाशिये पर खड़ा करने में राहुल गाँधी नाम के इस बन्दर का सबसे ज्यादा योगदान रहा है। किसी को राहुल गाँधी को बताना चाहिए कि वो जब लोकतान्त्रिक संस्थाओं की बात करते हैं तो कितना हास्यास्पद लगता है। उनको शायद याद नहीं कि कैसे उन्होंने भारतीय संसद द्वारा पास किये गए एक विधेयक को मीडिया के सामने फाड़ कर फेक दिया था। लेकिन अब कांग्रेस सरकार में नहीं है और कांग्रेस का अगर यह सोचना है कि राहुल गाँधी को भारत के लोकतान्त्रिक संस्थाओं को तार-तार करने का अबाध अधिकार वैसे ही मिला रहेगा जैसे मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते मिला हुआ था तो कांग्रेस को समझ लेना चाहिए कि वो अब भारत भाग्य विधाता नहीं रही। जनता ने उसको पदच्युत कर दिया है। राहुल गाँधी जैसे असंतुलित व्यक्ति की बातों में कांग्रेस को भले मसीहाई सन्देश दिखता हो लेकिन कांग्रेस के मसीहा को नेता बनाने का दायित्व भारत ने अपने कन्धों पर बिलकुल नहीं ले रखा है।
राहुल गाँधी ने सिद्ध किया कि वो पप्पू ही हैं
राहुल गाँधी के झूठ बोलने का एक तात्कालिक नमूना देखिये। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गाँधी ने जम्मू कश्मीर में कहा कि उनको बताया गया है कि अब भी महिलाओं का यौन शोषण हो रहा है। जाहिर है कि राहुल गाँधी कश्मीर की बात कर रहे थे और उनका “अब भी” कहने से मतलब ये था कि कश्मीर में औरतों के साथ जो 370 के समय हो रहा था वही 370 के बाद भी हो रहा है। पहले तो राहुल गाँधी के इस बयान को कश्मीर की परिस्थियों के सन्दर्भ में देखिये। कश्मीर को भारत किसी तरह से आतंकवाद से मुक्त करने की तरफ ले जा रहा है ताकि कश्मीरी युवा देश की मुख्यधारा से जुड़ कर जीवन को उपयोगी बना सकें और देश की समृद्धि में योगदान कर सकें। ये वो काम है जो कांग्रेस कभी नहीं कर पायी। उसी कश्मीर में ये आदमी इस तरह का भड़काने वाला बयान दे कर आता है और जब इस बयान की पृष्ठ्भूमि जानने के लिए दिल्ली पुलिस प्रयास करती है तो इस आदमी का कहना है कि इसको याद नहीं है कि इसने कश्मीर में क्या कहा था। याद रहेगा भी कैसे? पूरे दिन में सिर्फ झूठ बोलने वाले को भला कैसे याद रह सकता है कि उसने कब कौन सा झूठ बोला था? लेकिन इस आदमी को इसके इस कथन के वीडियो साक्ष्य दिखाने चाहिए ताकि इसको पता चले कि इसकी झूठ बोलने की आदत देश का कितना नुकसान कर रही है।
कांग्रेस के नेताओं को ऐसे व्यक्ति का पिछलग्गू होने पर शर्म आनी चाहिए। इस देश में काबिल विपक्ष की भूमिका निभाने के और भी पार्टियां है और कहीं ज्यादा काबिल नेता हैं।