राहुल गांधी को झारखंड हाईकोर्ट ने ‘सारे मोदी चोर होते हैं’ बयान मामले में राहत दे दी है। उन्हें कोर्ट ने इस आधार पेश होने से राहत दी है कि वह सांसद हैं और संसद की कार्यवाहियों में भाग लेते हैं। हालांकि, राहुल गांधी का संसद कार्यवाही में भाग लेने का कोई ख़ास रिकॉर्ड नहीं है और कोर्ट का यह निर्णय भी तब आया है जब संसद के मानसून सत्र का अवसान हो चुका है।
न्यायिक मामलों पर खबरें देने वाली वेबसाइट बारएंडबेंच के अनुसार, झारखंड हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय को आधार बनाते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के आधार पर कोर्ट इस नतीजे पर पहुंची है कि याचिकाकर्ता वर्तमान में सांसद है और वह संसद की कार्यवाहियों में हिस्सा लेने के साथ ही अन्य कामों में व्यस्त है।”
इससे पहले राहुल गांधी ने निचली अदालत के समक्ष ऐसी ही याचिका लगाई थी जिसे खारिज कर दिया गया था। राहुल ने इसी को चुनौती देते हुए रांची हाईकोर्ट के समक्ष याचिका लगाई थी। उन्होंने बताया था कि निचली अदालत ने उन्हें इस आधार पर राहत देने से मना कर दिया था कि वह ऐसे ही एक मामले में अन्य जगह पर अदालत में पेश हो चुके थे।
इस मामले में राहुल को यह राहत दी गई है कि उनकी जगह उनका वकील कोर्ट में पेश हो। राहुल को अब खुद ही सभी तारीखों पर अदालत नहीं जाना पड़ेगा। इससे पहले राहुल गांधी को सूरत कोर्ट द्वारा दी गई 2 वर्ष की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी और इसी कारण से उनकी सदस्यता भी बहाल हो गई थी।
गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 11 अगस्त को ही खत्म हो गया था और अभी शीत सत्र में भी काफी समय है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि राहुल गांधी का संसद में उपस्थिति का कोई ख़ास रिकॉर्ड नहीं है। असल में उनका नाम ऐसे सांसदों में शुमार है जो संसद लोकसभा में चर्चाओं में नहीं भाग लेते।
आँकड़ों के अनुसार, उनकी लोकसभा में उपस्थित मात्र 53% है जबकि राष्ट्रीय औसत 79% का है। वहीं बहसों में हिस्सा लेने के मामलों में उनकी स्थिति और भी खराब है। उन्होंने 7 बहसों में हिस्सा लिया है जबकि राष्ट्रीय औसत इस मामले में 6 गुना अधिक 42.7 है। उन्होंने प्रश्नकाल में मात्र 94 प्रश्न पूछे हैं जबकि दूसरी तरफ औसत एक सांसद ने 194 प्रश्न पूछे हैं। केरल से आने वाले सांसदों से वह कहीं पीछे हैं।
यह भी पढ़ें: राहुल गांधी की सजा पर SC की रोक, 2024 के चुनाव लड़ने पर अभी शेष है एक और पेंच