सूचना ये है कि भारत माता की हत्या हो गई है। नामालूम कुल गोत्र के कांग्रेस नेता का आरोप यह है कि हिन्दूवादी पार्टी ने भारत माता की हत्या कर दी और पूरी कांग्रेस ने संसद की मेज थपथपाकर भारत माता की हत्या का जश्न मनाया। यह ज्ञात हो कि भारत माता राष्ट्रवादी हिन्दुओं की माता है और राष्ट्रवादी हिन्दू पैदा करने वाली भारत माता की मृत्यु केवल गैर राष्ट्रवादी और गैर हिन्दू व्यक्ति की ही आकांक्षा हो सकती है, लेकिन दुष्टों की आकांक्षा के विपरीत “सुजलाम सुफलाम” भारत माता के राष्ट्रवादी पुत्रों की संख्या बढ़ ही जाती है। भारत को माता मानने के लिए जीवित राष्ट्र का बोध होना जरूरी है और जो व्यक्ति खुलेआम यह कहता हो कि वो सावरकर नहीं है, वह भारत माता की जीवित कल्पना कर पाने में असफल है, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। वो भारत माता को मृत होने की आकांक्षा और कल्पना कर रहा है क्योंकि उसके वाद में राष्ट्र कभी था ही नहीं। उनके खुद के शब्दों में भारतीय जहाँ बलिदान हुए मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है का उद्घोष करने वाले भारत माता के हत्यारे हो सकते हैं, ये कल्पना करनी तो शेक्सपियर के लिए भी असंभव होती लेकिन राहुल गांधी द्वारा भारत माता की हत्या होने की घोषणा होने पर कांग्रेस के सदस्यों का संसद भवन में मेज थपथपाकर स्वागत करना यह दिखाता है कि कांग्रेस के नेता भारत माता की हत्या को लेकर पूर्ण संतुष्ट हैं। इनको संतुष्टि इस कल्पना से मिली होगी कि भारत माता के राष्ट्रवादी हिन्दू बेटों और बेटियों ने मार डाला। आखिर ये वही गिरोह है जिसने महात्मा गांधी की हत्या को निचोड़ा और अपने राजनीतिक हित साधे। इस क्रम में इन्होंने भारत माता का विभाजन के कारण हुआ अंग भंग भुला दिया। ७० वर्षों बाद देश के प्रधानमंत्री को उन निर्दोषों की हत्या याद आई और विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में भारत माता के पुत्र-पुत्रियों की हत्या का शोक मनाना संभव हुआ। क्या वो भारत माता की हत्या नहीं थी, और क्या जवाहर लाल नेहरू भारत माता की हत्या के लिए जिम्मेदार नहीं थे? क्या नेहरू ने भारत माता की हत्या को गांधी वध से ढकने की कोशिश नहीं की?
राहुल गांधी और I.N.D.I.A. के प्रतिनिधि जहाँ भारत माता की हत्या होने का दावा कर रहे हैं, वहां से होकर आए हैं लेकिन कभी-कभी आँखें धोखा दे देती हैं। अगली बार जब राहुल गांधी और उनके अनुयायी ब्रिटेन जाएं तो उपनिवेशवादियों की औलादों से पूछें तो उनको पता चलेगा कि ब्रितानियों को कभी यही लगता था कि भारत माता मृतप्राय है। इतिहास गवाह है कि भारत माता के बेटों ने न केवल भारत माता को जीवित किया बल्कि आज भारत माता का वैभव ब्रिटेन से कहीं ज्यादा है। बीजेपी के सदस्यों को राहुल गांधी और उनके द्वारा भेजे गए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से यह पूछना चाहिए था कि क्या उन्होंने भारत माता की लाश अपनी आँखों से देखी है, और क्या वो भारत माता के मृत होने को लेकर आश्वस्त हैं? भारत माता के राष्ट्रवादी पुत्र तो जानते हैं कि उनकी भारत माता स्वयं अजन्मा है, शास्वत है, दशप्रहरणधारिणी दुर्गा है, दुष्ट संहारिणी है, इसलिए उसके आँचल पर खून के धब्बे देख कर कहीं राहुल गांधी को भ्रम तो नहीं हुआ है? मणिपुर में भारत माता अपने पुत्रों और पुत्रियों के साथ दुष्टों का संहार कर रही है और खुद को कांग्रेस के फैलाए कैंसर से मुक्त कर रही है। भारत माता से डरे कांग्रेसी नेता शायद भारत माता की हत्या की अफवाह उड़ाकर मणिपुर के बाहर बैठे भारत माता के बेटे और बेटियों को हतोत्साहित करना चाहते हैं। लेकिन भारत माता के राष्ट्रवादी पुत्र-पुत्रियों को निराश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जल्द ही मणिपुर में दुष्टों का संहार करके भारत माता कहीं ज्यादा ताकतवर होकर दर्शन देगी। मणिपुर कहीं ज्यादा वैभव से सम्मान के साथ खड़ा होगा।
यह भी जरूरी है कि भारत माता को हिन्दुओं की माता बोला जाए क्योंकि भारत माता के दीर्घायु होने की प्रार्थना हिन्दुओं और सिखों के आलावा बाकी सबके लिए हराम है और भारत माता इनके लिए मजाक का विषय है। हिन्दुओं के अलावा सभी किसी न किसी तरीके से भारत माता के समाप्त होने की कामना प्रदर्शित करते रहे हैं और कांग्रेस ऐसे सभी लोगों के साथ खड़ी रही है। उत्तर प्रदेश के एक साहब की निगाह में तो भारत माता डायन थी। बच्चों से घृणा होने पर मां को सहज ही जिम्मेदार मान लेना पुरानी परंपरा है और मां को डायन बोल कर बच्चों को सहज ही राक्षस होने का बोध कराया जा सकता है। इन्हीं नेताजी की तरह एक फादर जॉर्ज पोन्नैआह नामक व्यक्ति वर्ष २०२२ में ये बोलकर हटे कि वो बाहर जूते पहन कर निकलते हैं ताकि भारत माता की धूल उनके शरीर से न लगे। वही पोन्नैआह जिसके साथ राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मुलाकात की थी। इन मूढ़मति लोगों की दमित कुंठा का कारण यह सत्य है जो इन्हें भी पता है कि भारत माता की हत्या तब ही हो सकती है जब भारत हिन्दू विहीन हो जाए। भारत को हिन्दू विहीन किए बिना भारत माता की हत्या करना संभव नहीं है। भारत माता की हत्या का स्वप्न देखने वाले बौद्धिक विकलांग हैं और हिन्दुओं पर भारत माता की काल्पनिक हत्या का विमर्श कुंठा है।
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