राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के अंतिम चरण में हैं। यह तय था कि अंतिम चरण में उनकी यात्रा जम्मू कश्मीर में होगी और वैसा ही हो रहा है। यह बात अलग है कि तिरंगा किस जगह फहराया जाएगा, उसे लेकर भ्रम बना हुआ है। ऊपर से यह प्रदेश की महिमा है कि जम्मू कश्मीर में घुसने के बाद उन्हें ठंड से डर लग गया और वे जैकेट आदि की शरण में जा पहुँचे। यह शोध का विषय होगा कि डर पर ठंड भारी पड़ी या टी-शर्ट पर जैकेट।
जब से वे अपने दल बल सहित जम्मू कश्मीर में घुसे हैं तब से उनके और उनके साथ चलने वालों के बोल गड़बड़ा गए हैं। पहले दिग्विजय सिंह ने पाकिस्तान में देश की सेना द्वारा की गई सैनिक कार्रवाई के प्रमाण माँगे। उनका कहना था कि सरकार ने अब तक कोई सबूत नहीं दिए। उनकी इस माँग से होने वाली संभावित राजनीतिक क्षति को देखते हुए कांग्रेस पार्टी के वर्तमान शीर्ष नेतृत्व ने दल को दिग्विजय सिंह के बयान से खींच कर अलग किया। एक समाचार चैनल के संवाददाता द्वारा दिग्विजय सिंह से प्रश्न पूछे जाने पर जयराम रमेश की प्रतिक्रिया को देश भर ने देखा।
विमर्श: यदि किसी दिन दिग्विजय सिंह से ही सबूत माँग लिए जाएँ?
राहुल गांधी ने भी दिग्विजय सिंह के वक्तव्य को उनकी व्यक्तिगत सोच का परिणाम बताया। यह और बात है कि वही राहुल गांधी अब ऐसे वक्तव्य दे रहे हैं जिनसे दल को खींच कर कौन अलग करेगा, इसे लेकर दल के नेताओं के बड़ा भारी संशय होगा। कश्मीर में अपने एक संबोधन के दौरान राहुल गांधी ने बताया कि; पहले जम्मू और कश्मीर में जम्मू और कश्मीर के लोग काम करते थे, व्यापार करते थे पर अब बाहर से आये लोगों ने उस पर कब्जा कर लिया है। स्थानीय लोगों के काम अब बाहर से आने वाले लोगों के पास चले गए हैं।
नफरत के बाजार में मुहब्बत की दुकान खोलने वाले राहुल गांधी थोक में मुहब्बत बेच रहे हैं। जम्मू कश्मीर के लोगों को भारत के अन्य राज्यों के लोगों के विरुद्ध खड़ा करके वे अपनी दुकान में स्टॉक की गई मुहब्बत बेचने की कोशिश कर रहे हैं। कौन खरीदेगा यह मुहब्बत? उन्हें कोई यह क्यों नहीं समझा पा रहा कि जो मुहब्बत वे भारतवर्ष को बेचना चाहते हैं, उसकी एक्सपाइरी डेट गुजर चुकी है? उन्होंने भले ही अपनी मुहब्बत को री-पैक कर दिया हो पर पैकिंग के अंदर से निकलती गंध ख़रीदारों को संदेश दे देती है कि; पैकिंग पर मत जाओ, ये आदमी जो मुहब्बत बेच रहा है वो सड़ चुकी है।
जम्मू-कश्मीर: विशेष राज्य नहीं, योजनाओं से लौटा राज्य का गौरव
राहुल गांधी को पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, कर्नाटक और अन्य राज्यों में घुसे विदेशियों द्वारा देशवासियों के व्यापार और नौकरियों पर कब्जा करना कभी क्यों दिखाई नहीं दिया? कभी ऐसा हुआ कि उन्होंने अपने भाषण में देशवासियों को बताया हो कि विदेशी उनके छोटे-छोटे व्यापार और नौकरियों पर कब्जा कर ले रहे हैं लिहाज़ा देशवासियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है? कभी नहीं बताया। फिर ऐसा क्यों है कि वे भारत के एक राज्य के लोगों को अन्य राज्य के लोगों के विरुद्ध भड़का रहे हैं?
जम्मू कश्मीर में घुसने के बाद राहुल गांधी के साथ उमर अब्दुल्ला भी चले। उससे पहले उत्तर प्रदेश में निमंत्रण के बावजूद जब अखिलेश यादव उनकी यात्रा में शामिल नहीं हुए और विपक्षी एकता पर प्रश्न उठने लगा तब फारूक अब्दुल्ला उत्तर प्रदेश पहुँचे और राहुल गांधी से गले मिलते हुए उन्होंने स्थिति सँभाली थी। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि कहीं राहुल गांधी अब्दुल्ला द्वय का एहसान तो नहीं उतार रहे? या वे अभी इस बात को स्वीकार नहीं कर पाए हैं कि वर्तमान केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से न केवल 370 और 35ए हटा दिया है बल्कि प्रदेश का राजनीतिक भूगोल भी बदल दिया है? ये ऐसे प्रश्न हैं जिनके उत्तर कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को आज नहीं तो कल देने ही होंगे।
राजनीतिक पंडित, विशेषज्ञ और अन्य दल सार्वजनिक मंचों पर चाहे जो कहें या सार्वजनिक तौर पर देश को चाहे जो विश्वास कराना चाहें पर कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किसके टी-शर्ट की ऊपरी बटन में छटपटा रहा है, इसे लेकर आम जनता को कोई संशय नहीं है। ऐसे में इस तरह के राजनीतिक वक्तव्य और कांग्रेसी दर्शन को फेंटकर बनाई गई मुहब्बत की बिक्री बड़ी मुश्किल है और मुहब्बत का यह स्टॉक विंटर महासेल में भी बिकने से रहा।