मोहब्बत की दुकान खोलने वाले अयोग्य कांग्रेसी सांसद राहुल गांधी इन दिनों अमेरिकी दौरे पर हैं। इस दौरे की शुरूआत में ही आदतन विवादित बयान देकर राहुल गांधी फिर से चर्चा में आ गए हैं। राहुल गांधी ने वाशिंगटन के नेशनल प्रेस क्लब में एक साक्षात्कार के दौरान कहा है कि “मुस्लिम लीग पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। इसमें गैर-धर्मनिरपेक्ष कुछ भी नहीं है।”
दरअसल, राहुल गांधी से सवाल पूछा गया था कि आप भाजपा को सेकुलर और लोकतंत्र विरोधी पार्टी होने की बात करते हैं लेकिन आपकी पार्टी केरल में मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन करती है।
इस सवाल के जवाब में राहुल गांधी कह देते हैं कि “आपने मुस्लिम लीग का अध्ययन नहीं किया है।” राहुल गांधी द्वारा दिए गए जवाब को आप नीचे दिए गए लिंक पर देख सकते हैं।
IUML की विचारधारा असल में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की अखिल भारतीय मुस्लिम लीग, जो बाद में पाकिस्तान मुस्लिम लीग बनी, उसी की ही एक शाखा है।
आज IUML को लेकर राहुल गांधी जो बयान दे रहे हैं और पार्टी की अपनी वेबसाइट पर धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सद्भाव का छद्म दावा किया जा रहा है। छद्म इसलिए क्योंकि IUML के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे गुलाम महमूद बनातवाला ने कई मौंकों पर शरिया के अनुरूप अपने समुदाय के मसले हल करने कवायद की है।
यह वही गुलाम महमूद बनातवाला हैं जिन्होंने साल 1986 में राजीव गांधी के उस फैसले का पुरजोर समर्थन किया था, जब शाहबानो मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया गया था और मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकार संरक्षण) अधिनियम 1986 के समर्थन में कई तर्क दिए थे।
भारत विभाजन के बाद मुस्लिम लीग भी भारतीय और पाकिस्तानी दो वर्गों में बंट गई। लीग के भारतीय सदस्य, जो पाकिस्तान नहीं गए थे, उन्होंने 1948 में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का गठन किया।
10 मार्च, 1948 को IUMLके पहले अध्यक्ष बने मुह्ममद इस्लामइल। 1952 में इस्माइल राज्यसभा के लिए चुने गए और राज्यसभा में रहते हुए, उन्होंने भारतीय मुसलमानों के लिए शरिया कानून बनाए रखने का समर्थन किया।
बता दें कि इस्माइल जिन्ना के करीबी थे और पाकिस्तान बनवाने के प्रबल समर्थक भी थे। ऐसे में सवाल यह है कि जिस मुस्लिम लीग ने मजहब के आधार पर भारत का विभाजन करवाया वह राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के लिए सेकुलर कैसे हो सकती है।
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