कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी भारत जोड़ने के मिशन पर निकले हैं, भले ही इसमें उनकी अपनी पार्टी टूटती चली जा रही है। राजस्थान को तो खैर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी के कोप ने बचा लिया, लेकिन गोआ के तो आठों विधायक ‘भाजपा शरणम्’ हो गए।
शुक्रवार को राहुल गाँधी की यात्रा का 21वां दिन है। वह अब कर्नाटक में जाएंगे और तेलंगाना में प्रवेश करने से पहले कर्नाटक के सात जिलों में 511 किलोमीटर की पैदल यात्रा करेंगे।
21 दिन माने तीन हफ्ते। शायद ही कोई दिन हो, जब राहुल की यात्रा विवादों में न रही हो या फिर किसी घोषित तौर पर हिंदू-विरोधी काम से उन्होंने इसकी शुरुआत न की हो।
यह ‘ऐतिहासिक’ पदयात्रा शुरुआत से ही विवादों में घिर गई थी, जब केरल में राहुल गाँधी जॉर्ज पोन्नैया से मिले थे। पोन्नैया वही ईसाई पेस्टर हैं , जो भारतमाता को गाली दे कर विवादों में आए थे।
गुरुवार के दिन राहुल गाँधी एक कदम आगे बढ़ गए। वह रिजिल मकुटी के साथ कदमताल करते हुए नज़र आ रहे हैं। रिजिल मकुटी यूथ कॉन्ग्रेस केरल के कार्यकर्ता हैं, जिन्हें वर्ष 2017 में खुलेआम सड़क पर गोवंश काटने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था। रिजिल मुकुटी ने केरल में केंद्र
सरकार के एक फैसले के विरोध में पहले गोवंश को काटा और फिर सड़क पर बीफ पार्टी का आयोजन किया था।
राहुल गाँधी के साथ उनकी तस्वीर आने के बाद भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट किया,
“राहुल की नफ़रत जोड़ो यात्रा जॉर्ज पोन्नैया से शुरू हुई, जिनकी हिंदू और भारत माता से नफरत जगजाहिर थी
अब सड़कों पर बछड़े को काटने वाले रिजिल मकुट्टी राहुल के ‘भारत तोड़ो’ का हिस्सा हैं
तो भारत जोड़ो या कॉन्ग्रेस अध्यक्ष पद के लिए हिंदू नफरत जरुरी है।”
इस यात्रा का अगला पड़ाव कर्नाटक है। समाचार पत्र ‘द हिन्दू’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत जोड़ो यात्रा को कर्नाटक की कुछ बड़ी हस्तियों ने समर्थन दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक में इस यात्रा से जुड़ने वालों में पहला नाम है, सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जज गोपाला गौड़ा। इनके बारे में समझिए।
गोपाला गौड़ा, भारत सरकार द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के विषय में कहते हैं,
“मैं इसे समझता हूँ और तमिलनाडु सरकार द्वारा एनईपी के विरोध से सहमत हूँ क्योंकि यह भारत के संविधान के लोकाचार, सांस्कृतिक मूल्यों, प्रस्तावना और निर्देशक सिद्धांतों का विरोध करता है।”
वे एक सेमिनार में ये भी कहते हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति अलोकतान्त्रिक है।
यात्रा से जुड़ने वाले लोगों की सूची में राजनीतिक पार्टियों से सम्बद्ध रखने वाले महिमा पटेल एवं वायएस दत्ता के अलावा अन्य नाम है पर्यावरणविद सुरेश हेब्लीकर।
फिल्म निर्माता और पर्यावरणविद् सुरेश हेब्लीकर तब सुर्ख़ियों में आए थे, जब उन्होंने विवादित एस दुर्गा (सेक्सी दुर्गा) फिल्म को अन्तरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रदर्शन करने की पैरवी की थी और भारतीय सूचना- प्रसारण मंत्रालय के उस फैसले का पुरजोर विरोध किया था जिसमें मंत्रालय ने रवि जाधव की ‘न्यूड’ और सनल कुमार शशिधरन की ‘एस दुर्गा’ (मूल शीर्षक ‘सेक्सी दुर्गा’) को फिल्म फेस्टिवल से हटाने का फैसला किया था।
उन्होंने इस फैसले को अभिव्यक्ति के माध्यम पर ‘नैतिक पुलिसिंग’ बताया था।
आपको बता दें, वर्ष 2019 में बेंगलुरु सेंट्रल से लोकसभा चुनाव लड़ चुके प्रकाश राज भी इस भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा बन चुके हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कहा था कि मोदी की जीत उनके मुँह पर करारा तमाचा है।
प्रकाश राज हिन्दुओं के खिलाफ अपने बयानों से अक्सर चर्चा में रहते हैं। उनके एक बयान पर उन पर मुकदमा भी दर्ज़ किया गया था। इसमें उन्होंने कहा था,
“आप गायों के बारे में नहीं जानते हैं। गोमूत्र के बारे में तो आप जानते ही हैं। अगर आप अपने कपड़े धोना चाहते हैं तो आपको 1 किलो गोबर और 2 लीटर गोमूत्र चाहिए। फिर आपको इन सबको मिलाकर अपने कपड़े धोने हैं। क्यों, क्योंकि गोमूत्र के सिवा तुम और कुछ नहीं जानते”
लेखक एसजी सिद्धारमैया, भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने वाले अगले शिक्षाविद हैं। वे तीन महीने पहले, मई 2022 में कर्नाटक सरकार पर ‘शिक्षा के भगवाकरण’ का आरोप लगाकर राष्ट्रकवि समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
दरसअल ,कर्नाटक में विद्यालयों के पाठ्यक्रम पर पुनर्विचार हेतु एक समिति का गठन किया गया था जिसमें सामाजिक विज्ञान में टीपू सुल्तान के महिमामंडन से जुड़े पाठ्यक्रम को हटाने पर विचार किया गया था। सरकार का कहना था कि ये बदलाव विद्यार्थियों तक मात्र तथ्य पहुँचाने का प्रयास है।
शिक्षा मंत्रालय द्वारा उत्तर पूर्व के अहोम वंश के 600 सालों का इतिहास एवं कश्मीर का इतिहास पाठ्यक्रम में जोड़े जाने की ख़बरों के बीच लेखक एसजी सिद्धारमैया ने इस्तीफा दे दिया था। उनका कहना था कि राज्य के शिक्षा, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्र में ये हमला असंवैधानिक है और संघीय ढाँचे को कमजोर करने वाले, खुलेआम सांप्रदायिक नफरत फैलाने वालों पर कार्रवाई की कमी ने उनको डरा दिया है।
30 सितम्बर से लेखक एसजी सिद्धारमैया राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा में उनके साथ कदमताल करते नज़र आएंगे।
यात्रा के कर्नाटक पहुंचने पर स्वागतकर्ता के रूप में कन्नड़ लेखक बंजागेरे जयप्रकाश भी शामिल होंगे। बंजागेरे जयप्रकाश पूर्व में पीएम मोदी पर अभद्र टिप्पणी भी कर चुके हैं , उन्होंने पीएम मोदी को महान राक्षस कहा था।
वर्ष 2016 में जयप्रकाश हिन्दू संगठनों के निशाने पर थे। मैसूर में जयप्रकाश ने लेखक खलील जिब्रान की पुस्तक ‘द प्रोफेट’ पर व्याख्यान देने के दौरान श्री रामकृष्ण परमहंस को मांसाहारी घोषित करके दर्शकों को चौंका दिया था।
विरोध के बाद भी वे अपने बयानों पर टिके रहे एवं उन्होंने कहा, “रामकृष्ण परमहंस को मैंने देवी काली का उपासक कहा था। ब्राह्मण होने के बावजूद वह सप्ताह में कम से कम एक बार मांस खाता था और उसमें बीफ भी शामिल था। वह धूम्रपान करता था, हालाँकि ,उसने इसे अपने छात्रों पर भी नहीं थोपा”
वर्ष 2007 में, जयप्रकाश ने 12वीं शताब्दी के दार्शनिक संत बसवेश्वर पर एक पुस्तक लिखी, जिन्होंने जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इसमें कई क़िस्म की अतार्किक बातों को स्थान दिया गया।
हालाँकि, कर्नाटक के सबसे बड़े समुदाय लिंगायत और संत बसवेश्वर के अधिकांश अनुयायियों ने इस पुस्तक का विरोध किया। कॉन्ग्रेस सरकार को अंततः पुस्तक पर प्रतिबंध लगाना पड़ा और प्रकाशक ने इसे बाजार से वापस ले लिया था।
सेवानिवृत्त कुलपति सबिहा भूमिगौड़ा भी कॉन्ग्रेस के साथ हैं। सबिहा भूमिगौड़ा गुजरात दंगों पर अपने लेख ‘कोमुवड़ा मट्टू माहिले’ (महिला और सांप्रदायिकता) के चलते विवादों में रही हैं। जिस लेख को वर्ष 2012 में पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था तथा जिसका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने कड़ा विरोध किया था।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का कहना था,
“यह लेख ‘अनावश्यक’ थे और लोगों की भावनाओं को आहत करते थे। इनमें गुजरात दंगों के दौरान महिलाओं के साथ कथित दुर्व्यवहार का वर्णन है। यह छात्रों की मदद कैसे कर रहा है? यहां तक कि शिक्षकों ने भी बताया है कि इन भागों को पढ़ाना मुश्किल है और वे आमतौर पर इन्हें छोड़ देते हैं।”
गत बुधवार के दिन बेंगलुरु में एक संवाददाता सम्मेलन में पूर्व आम आदमी पार्टी एवं स्वराज पार्टी के सदस्य योगेंद्र यादव ने बताया कि जब 30 सितंबर को गुंडलुपेट से भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक में प्रवेश करेगी, तो कर्नाटक में इन सभी प्रसिद्ध लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल राहुल गाँधी का स्वागत करेगा।