बीते दिनों राहुल गांधी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रक यात्रा की थी। इस यात्रा में वह ट्रक ड्राइवर से कई मुद्दों पर बातचीत करते हुए दिखाई दिए थे। फिर एक खुलासा हुआ कि अमेरिका में राहुल गांधी को ट्रक की यात्रा करवाने वाला ड्राइवर तो कॉन्ग्रेस का ही नेता रहा है।
दरसअल, खोजी पत्रकार विजय पटेल ने बताया कि राहुल गांधी को ट्रक की सवारी करवाने वाले ड्राइवर का वास्तविक नाम तेजिंदर सिंह उर्फ़ विक्की गिल है और वह वर्तमान में इंडियन ओवरसीज यूथ कॉन्ग्रेस अमेरिका का अध्यक्ष है। वह अमेरिका के न्यू जर्सी से सम्बन्ध रखता है। उन्होंने बताया कि यह व्यक्ति कोई आम ट्रक ड्राईवर नहीं है। वह पूर्व में भी राहुल गांधी से मिल चुका है।
इस खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। लोगों ने कॉन्ग्रेस को जमकर लताड़ लगानी शुरू कर दी। हालाँकि कॉन्ग्रेस पार्टी समेत कई पत्रकार इसके बचाव में उतर गए।
वे यह कहकर इस बात को दबाए रखने का प्रयास करते दिखे कि विक्की गिल ने स्वयं वीडियो में कहा है कि वह कॉन्ग्रेस का कार्यकर्ता है। एक स्वघोषित स्वतंत्र पत्रकार पूनम जोशी कहती हैं कि ट्रक ड्राइवर अगर कॉन्ग्रेस पार्टी का समर्थक है तो क्या गलत है?
फिर एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है, ट्रक ड्राइवर का कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता होना गलत नहीं है लेकिन हर बार कॉन्ग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी के साथ ऐसा क्यों होता है कि जिन लोगों को वो आम भारत की आवाज़ या सामान्य व्यक्ति बनाकर पेश करते हैं वे बाद में कॉन्ग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता ही निकलते हैं?
इससे पूर्व मार्च के महीने में राहुल गाँधी जब लंदन गए तो वहां उन्होंने एक महिला से बातचीत का वीडियो यह कहकर शेयर किया कि महिला के पिता RSS से जुड़े हैं और वह भारत को पहचान नहीं पाते। इस वीडियो में भी महिला को एक सामान्य भारतीय के तौर पर दर्शाया गया था। लेकिन बाद में इस पूरे घटनाक्रम की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठ गये।
जब पता चला कि यह महिला कोई आम भारतीय नहीं हैं,बल्कि उन्होंने दुनिया भर के अनेक संस्थानों और NGO में बतौर सलाहकार एवं विभिन्न भूमिकाओं में काम किया है।यहाँ तक कि महिला और RSS का भी कोई कनेक्शन सामने नहीं आया।
वहीं इसी वर्ष की शुरुआत में हल्द्वानी अतिक्रमण प्रकरण के दौरान एक व्यक्ति को स्थानीय जनता की आवाज़ बनाकर पेश किया गया था।
यह कार्य लेफ्ट विंग पोर्टल न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा किया गया और इसे कॉन्ग्रेस समर्थकों द्वारा भी शेयर किया गया। बाद में यह व्यक्ति कॉन्ग्रेस का ही स्थानीय नेता निकला।
इसी प्रकार ‘द कश्मीर फाइल्स’ मूवी रिलीज़ होने के बाद एक वीडियो वायरल किया गया जिसमें कुछ लोग ‘द कश्मीर फाइल्स’ मूवी को झूठा बताकर इसका विरोध कर रहे थे। वीडियो को ऐसे पेश किया गया कि ये लोग ही कश्मीरी पंडितों का असली प्रतिनिधत्व करते हैं। हालाँकि बाद में वीडियो में विरोध कर रही महिला की पहचान कॉन्ग्रेसी नेता शादीलाल पंडिता की पत्नी के तौर पर हुई।
ये वही शादीलाल पंडिता थे जो प्रॉपगैंडा न्यूज़ एजेंसी बीबीसी की कश्मीरी पंडितों पर बनाई गयी एक डॉक्यूमेंट्री में भी भूमिका निभा चुके थे। जहाँ वे इस कश्मीरी फाइल्स को बुरा बता कर आलोचना कर रहे थे।
कॉन्ग्रेस पार्टी को समझना चाहिए कि यह 70 या 80 का दशक नहीं है जहाँ सूचना पर भी विशेष लोगों का एकाधिकार हुआ करता था। या जहाँ विशेष सूचना पहुंचाने के लिए ही न्यूज़ चैनल या समाचार पत्रों को स्थापित किया जाता था। ये वर्ष 2023 का भारत है जहाँ स्मार्टफोन और इंटरनेट अमीरों का विषय नहीं रह गया। आज हर व्यक्ति झूठ की तह तक जाने के लिए तैयार बैठा है बस इंतज़ार है तो कॉन्ग्रेस की ओर से जारी किये हुए झूठ का।
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