दुष्यंत कुमार का एक शेर है- “सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मिरा मक़्सद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए”
इस समय राजनीतिक दलों ने जिस तरह के झूठ के पुलिंदे खड़े किए हैं उसे देखकर लग रहा है कि ये शेर अब कुछ इस तरह कहा जाएगा कि सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मक़्सद है, मेरी कोशिश है कि कैसे भी हो पर ये सत्ता बदलनी चाहिए।
हम चुनाव की वोटर लिस्ट से जुड़े दावों की बात कर रहे हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर से महाराष्ट्र चुनावों से संबंधित दो आरोप लगाए। उनका पहला आरोप है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच पाँच महीनों में महाराष्ट्र की मतदाता सूची में 70 लाख मतदाता जोड़े गए और दूसरा, शिरडी में एक इमारत के पते से 7,000 नए मतदाता पंजीकृत किए गए।
आपको तो याद ही होगा कि महाराष्ट्र चुनाव हारने के बाद भी राहुल गांधी ने कुछ ऐसे ही आरोप लगाए थे। उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि मई 2024 में लोकसभा चुनाव के बाद से राज्य में मतदाताओं की संख्या में “चौंकाने वाली” 13% की वृद्धि हुई है।
जाहिर है कि जब कांग्रेस चुनाव हार रही होती है तो गलती, EVM की होती है, वोटिंग लिस्ट की होती है, इलेक्शन कमीशन की होती है यहां तक कि वोटर्स की भी होती है पर राहुल गांधी की नहीं।
वैसे तो चुनाव आयोग ने कहा था कि मतदाता सूची सीईओ महाराष्ट्र की वेबसाइट पर भी डाउनलोड के लिए उपलब्ध है पर शायद राहुल गांधी वो देख नहीं पाए। उन्हीं के नक्शे कदम पर दिल्ली चुनावों में बच्चों की झूठी कसम खाने वाले अरविंद केजरीवाल भी चल रहे हैं। पर पहले हम राहुल गांधी के आरोपों की बात कर लेते हैं।
राहुल गांधी के जो आरोप हैं चुनाव आयोग का डेटा उससे बिलकुल उलट है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच 40.81 लाख मतदाता जोड़े गए, जबकि 2019 से 2024 तक 1.22 करोड़ मतदाता जोड़े गए।
कांग्रेस को जवाब देते हुए, चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर, 2024 को बताया था कि महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच जोड़े गए मतदाताओं की संख्या 48,81,620 थी, जबकि 8,00,391 मतदाताओं को हटा दिया गया, जिससे कुल 40,81,229 मतदाता जुड़े।
चुनाव आयोग ने नोट किया कि चूंकि प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को 18 वर्ष होने वाले युवाओं का नाम वोटिंग लिस्ट में जुड़ता है , इसलिए 18-19 आयु वर्ग के 8,72,094 मतदाता और 20-29 वर्ष आयु वर्ग के 17,74,514 मतदाता जोड़े गए।
चुनाव आयोग ने कहा कि वोटिंग लिस्ट में बढ़ रही संख्या तो अच्छी बात है। इससे पता चलता है कि हमारे देश के युवा डेमोक्रेटिक राइट्स को लेकर अवेयर हैं और इसका हिस्सा बनना चाहते हैं। राहुल गाँधी को शायद इससे कोई मतलब नहीं है वे तो वोटिंग लिस्ट में नंबर्स की फेक न्यूज़ फैलकर मतदाताओं में डाउट क्रिएट करना चाहते हैं। ईवीएम में गड़बड़ी का ये नैरेटिव अब चुनाव आयोग और वोटिंग लिस्ट तक पहुँच गया है।
राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की देखा-देखी अब अरविंद केजरीवाल भी इसी तरह की रणनीति अपना रहे हैं। दिल्ली चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कई बार मतदाता सूची को लेकर भ्रामक नैरेटिव बनाने का प्रयास किया। इसको लेकर उन्होंने चुनाव आयोग से मुलाकात भी की।
चुनाव आयोग लगातार राजनीतिक दलों द्वारा लगाए गए इन आरोपों को खारिज कर बता रहा है कि मतदाता सूची में हेराफेरी, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ और मतदाता मतदान संख्या में हेराफेरी के दावे खोखले हैं। आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की हेराफेरी की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि चुनाव प्रक्रिया का हर चरण पूरी पारदर्शिता के साथ संचालित होता है।
इसके साथ ही मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चुनाव तक मतदाता सूची तैयार करने के प्रोसेस में 70 चरण शामिल होते हैं। राजनीतिक दल या उम्मीदवार भी लगातार इन चरणों में लगे रहते हैं और उनके साथ ही कई बैठकें भी की जाती है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों को बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) नियुक्त करने का भी अधिकार है और सभी आपत्तियों को पार्टियों के साथ साझा किया जाता है।
अब आप बताइए कि मतदान और वोटिंग लिस्ट से जुड़ी पूरी प्रक्रिया में राजनीतिक दल भी शामिल होते हैं तो अरविंद केजरीवाल या राहुल गांधी आरोप किस आधार पर लगा रहे हैं। चुनाव आयोग से जुड़ी पारदर्शी नियमों पर भी आरोप लगाकर केजरीवाल और राहुल गांधी ने चुनावी प्रक्रिया पर विश्वास कम करने का काम किया है।
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