अग्निवीर योजना के विरोध के बाद अब आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढ़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर के फेक न्यूज फैलाने का काम किया है। दरअसल राघव ने दावा किया है कि शहीद अग्निवीर अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर को उचित सैन्य सम्मान नहीं मिला।
राघव चड्ढ़ा ने कहा कि जब शहीद अग्निवीर अमृतपाल सिंह का पार्थिव शरीर पंजाब में उनके गांव कोटली कलां लाया गया तो उनके साथ फोर्स की कोई यूनिट नहीं थी। उन्हें एक निजी एम्बुलेंस में यहां लाया गया था और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अंतिम संस्कार समारोह के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया।
आप सांसद के साथ ही राष्ट्रीय जनता दल ने भी एक्स के जरिए मोदी सरकार पर प्रश्न उठाते हुए अग्निवीर योजना पर तंज कसा और अमृतपाल सिंह की अंतिम विदाई को लेकर प्रश्न उठाए। वहीं, सोशल मीडिया पर अग्निवीर अमृतपाल की जानकारी सामने आने के साथ ऐसी भ्रामक जानकारी से भरा हुआ है। अपने आपको एक्टिविस्ट कहने वाले मानिक गोयल नामक एक्स यूजर ने तो अग्निवीर योजना पर ही प्रश्न उठा दिए और लिखा कि यह मोदी सरकार की नाकामी है।
दरअसल राजनेताओं से लेकर सोशल मीडिया एक्टिविस्ट द्वारा फैलाई जा रही यह खबर फेक है और इसका खंडन भारतीय सेना के अतिरिक्त लोक सूचना महानिदेशालय द्वारा किया गया है और कहा है कि युवा सैनिक की मौत से संबंधित तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
भारतीय सेना द्वारा फैक्ट चेक
भारतीय सेना द्वारा जानकारी दी गई है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह की अक्टूबर 11, 2023 को दुर्भाग्यपूर्ण मौत हो गई थी। व्हाइट नाइट कॉर्प्स द्वारा इस मामले में साझा की गई जानकारी के अुसार अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।नियमों के अनुसार चिकित्सीय-कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए एक एस्कॉर्ट पार्टी के साथ सेना की व्यवस्था के तहत मूल स्थान पर ले जाया गया था।
महानिदेशालय द्वारा साफ किया गया है कि सशस्त्र बल अग्निपथ योजना के कार्यान्वयन से पहले या बाद में शामिल हुए सैनिकों के बीच हकदार लाभ और प्रोटोकॉल के संबंध में अंतर नहीं करते हैं। वहीं, आत्महत्या/स्वयं को लगी चोट के कारण होने वाली मृत्यु की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के दौरान सशस्त्र बलों द्वारा परिवार के साथ गहरी और स्थायी सहानुभूति के साथ-साथ उचित सम्मान दिया जाता है।
हालांकि, जिस संबंध में फेक न्यूज फैलाई जा रही है उसपर अपना वक्तव्य साफ करते हुए निदेशालय ने बताया है कि आत्महत्या के मामले सैन्य अंत्येष्टि के हकदार नहीं होते हैं। वर्ष, 1967 के मौजूदा सेना आदेश के अनुसार यह सभी सैन्य अंत्येष्टि के हकदार नहीं हैं। इस विषय पर बिना किसी भेदभाव के नीति का लगातार पालन किया जा रहा है।
इसके साथ ही भारतीय सेना द्वारा आँकड़े जारी कर बताया गया है कि वर्ष, 2001 के बाद से 100 से 140 सैनिकों के बीच औसत वार्षिक क्षति हुई हैं। इनमें आत्महत्याएं/स्वयं को लगी चोटों के कारण मौत के मामले शामिल हैं और ऐसे मामलों में सैन्य अंत्येष्टि की अनुमति नहीं दी गई। हालांकि नियमों के अनुसार इन मामलों में भी वित्तीय सहायता/राहत के वितरण को उचित प्राथमिकता दी जाती है, जिसमें अंत्येष्टि के संचालन के लिए तत्काल वित्तीय राहत भी शामिल है।
इसके साथ ही सेना ने अपने व्यक्त्व में गोपनीयता बनाए रखने की अपील भी की है। महानिदेशालय का कहना है कि हानि की ऐसी घटनाएं परिवार के लिए मुश्किल समय होता है। ऐसे समय में परिवार के सम्मान, गोपनीयता और प्रतिष्ठा को बनाए रखना और दुख की घड़ी में उनके साथ सहानुभूति रखना समाज के लिए महत्वपूर्ण और अनिवार्य है।
जाहिर है कि राजनीतिक लाभ के लिए अग्निवीर अमृतपाल सिंह की मौत को लेकर भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है। सेना के आंकड़ों के अनुसार ऐसे अन्य मामलों में भी सैन्य अंत्येष्टि नहीं दी गई थी। साथ ही सेना सभी मामलों में वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाती है।
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