सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को उनकी लापरवाही के लिए आइना दिखा दिया है। दरअसल पंजाब सरकार ने चुनावी रैली के दौरान 5 जनवरी, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक मामले में जांच के लिए गठित आयोग से सबूत मांगे है ताकि वो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सके। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की इस याचिका को खारिज कर दिया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की बेंच का कहना है कि पंजाब सरकार द्वारा किए गए अनुरोध पर विचार करने का कोई आधार नहीं दिखता। राज्य स्वयं ही जांच समिति के समक्ष गवाहों द्वारा दिए गए बयानों की सहायता के बिना दोषी अधिकारियों के खिलाफ अपनी जांच कर सकता है।
आपको याद दिला दें कि पीएम की सुरक्षा में चूक से जुड़ा ये मामला 12 जनवरी, 2022 का है, जब पीएम मोदी का काफिला 20 मिनट तक फिरोजपुर में फ्लाईओवर पर फंसा रहा था। प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में चूक के कारण पंजाब सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। इसके बाद भी राज्य सरकार ने अपने स्तर पर कार्रवाई करने और जिम्मेदारों अफसरों पर कोई एक्शन लेने का कदम नहीं उठाया।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा को पीएम मोदी की सुरक्षा उल्लंघन की जांच के लिए गठित समिति का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया। अब पंजाब सरकार चाहती है कि जांच के लिए गठित आयोग उन्हें सीधे ही सबूत सौंप दे ताकि उन्हें कोई काम नहीं करना पड़े। पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार ने बयानों की एक प्रति मांगते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है और तर्क दिया है कि वह लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ जांच करना चाहती है।
यहां ये भी गौर करने वाली बात है कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन फिरोजपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) हरमनदीप सिंह हंस को दोषी ठहराया था। समिति ने कहा था कि वे “…कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में विफल रहे। उन्होंने फिरोजपुर में मार्ग को मजबूत करने के लिए तैनाती के लिए कोई कदम नहीं उठाया, जबकि वह पूरी तरह से जानते थे कि बड़े पैमाने पर विरोधी समूह मार्ग को अवरुद्ध करने के लिए आए हैं।”
पैनल ने कहा कि कहा कि, “वह फिरोजपुर में मार्ग को बढ़ाने और मजबूत करने में विफल रहे, जबकि उनके पास पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध थे। 10.20 बजे के बाद से लगभग 2 घंटे का पर्याप्त समय था जब जी नागेश्वर राव (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) ने उन्हें सूचित किया कि प्रधानमंत्री आकस्मिक मार्ग से जाएंगे और मार्ग को पर्याप्त रूप से मजबूत किया जाना चाहिए। जी नागेश्वर राव के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, प्रधानमंत्री के फिरोजपुर जिले में प्रवेश करने से कम से कम 2 घंटे पहले, एसएसपी फिरोजपुर जी नागेश्वर राव के निर्देशों पर कार्रवाई करने में विफल रहे।”
पंजाब सरकार जो दो वर्ष पहले प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही और आज अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए जांच समिति से सबूत मांग रही है। सवाल यह है कि आखिर 2 वर्ष तक पंजाब सरकार क्या कर रही थी। यह पंजाब सरकार की कानून व्यवस्था और देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा के प्रति गंभीरता है कि वे 2 वर्षों तक कोई कार्रवाई नहीं कर सके और अब उन्हें किसी और के द्वारा किए गए काम का फल भी चाहिए।
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