अपराधों से घिरा पंजाब फिर से एक हत्याकांड को लेकर चर्चा में है।
फरीदकोट में बृहस्पतिवार (10 नवम्बर, 2022) की सुबह बदमाशों ने प्रदीप नाम के एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी। प्रदीप डेरा सच्चा सौदा से जुड़ा हुआ था। पंजाब, हरियाणा में सिख समाज और डेरा सच्चा सौदा के बीच वर्ष 2007 से ही विवाद चल रहा है।
आपको बता दें, प्रदीप नामक यह युवक वर्ष 2015 में बरगाड़ी में हुई गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के एक मामले का आरोपित भी था। इस मामले की जाँच कर रही एसआईटी (SIT) ने प्रदीप को गिरफ्तार भी किया था। प्रदीप के एक साथी मोहिंदर पाल बिट्टू की नाभा जेल में हत्या भी कर दी गई थी। प्रदीप कुमार जमानत पर जेल से बाहर आया था। इस हमले के बाद दोनों समाज में फिर से टकराव बढ़ने की आशंका है। इस हमले की जिम्मेदारी गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने ली है।
वहीं, पिछले दिनों ही पंजाब में शिवसेना टकसाली के नेता सुधीर सूरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के वक़्त सुधीर सूरी हिंदू देवी-देवताओं की कुछ टूटी हुई मूर्तियाँ पाए जाने के बाद एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे थे। घटना के समय पंजाब पुलिस भी बड़ी सँख्या में मौजूद थी। इस हत्याकांड में पंजाब पुलिस ने एक कट्टरपंथी संदीप सिंह को गिरफ्तार किया है। बता दें कि शिवसेना नेता सुधीर सूरी कट्टरपंथियों के खिलाफ आवाज उठाते थे।
खैर, यह कोई नया मामला नहीं है, जब पंजाब में इस तरह का घटनाक्रम देखा गया हो। इससे पहले पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड समेत अनेक अपराधों को लेकर पंजाब सुर्ख़ियों में रहता ही है। चाहे गैंगवार हो या बार-बार होती खालिस्तान की सुगबुगाहट। नशे में लिप्त उड़ते पंजाब की हकीक़त किसी से छुपी नहीं है।
पंजाब के दूसरे पहलू पर नज़र डालें तो पाकिस्तान से सटे होने के कारण यह और अधिक संवेदनशील हो जाता है। राज्य में चल रहे घटनाक्रमों को प्रभावित करने के पीछे सीमा पार के कई ख़ुफ़िया आंतकवादी गिरोहों समेत अंतरराष्ट्रीय संगठन प्रतीत होते हैं। यह कोई अचानक उपजी समस्या नहीं है, इसके पीछे कई कड़ियाँ जुड़ी हुई हैं।
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IED एवं RDX
हाल के वर्षों में, पंजाब को दहलाने की साजिश के तहत आतंकवादियों द्वारा किए गए बम धमाकों में वृद्धि हुई। इसी वर्ष सितम्बर में पंजाब पुलिस ने 3 आतंकवादियों को IED के साथ गिरफ्तार किया था, जिसमें 1.5 किलोग्राम RDX शामिल था। वर्ष 2022 में पंजाब पुलिस समेत BSF ने भारी मात्रा में IED एवं RDX बरामद किया। इस साल जनवरी से अक्टूबर तक 15 से अधिक ऐसे मामले सामने आए हैं।
यह विस्फोटक पंजाब के अटारी-वाघा बॉर्डर, अमृतसर, गुरुदासपुर, तरनतारन एवं अन्य क्षेत्रों से बरामद किए गए थे। यहाँ तक कि अगस्त में आतंकियों ने पंजाब पुलिस की गाड़ी में भी एक बम प्लांट किया था। इन मामलों के पीछे पंजाब पुलिस ने पाकिस्तानी ख़ुफ़िया संग़ठन ISI और खालिस्तानी संगठनों का हाथ बताया था।
इन संगठनों की एक बड़ी साजिश का भाँडाफोड़ दिल्ली-पंजाब पुलिस ने स्वतंत्रता दिवस से पूर्व किया था। हैरानी की बात यह थी कि इस मामले में एक आंतकवादी कथित रूप से आम आदमी पार्टी से जुड़े होने की भी खबर सामने आई है।
इसी वर्ष मई में, हरियाणा के करनाल में चार आतंकवादी साढ़े सात किलो IED समेत भारी विस्फोटकों के साथ पकड़े गए थे। जो तेलंगाना के आदिलाबाद में आतंकी घटना को अंजाम देने जा रहे थे। जांच में पता चला कि यह सभी आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़े हुए थे। वहीं, अगस्त माह में अम्बाला एसटीएफ टीम ने कुरुक्षेत्र के शाहाबाद क्षेत्र से IED बरामद किया। आतंकियों की 15 अगस्त से पहले हरियाणा और दिल्ली में बड़ा धमाका करने की तैयारी थी। इसके पीछे रिंदा और लांडा टेरर मॉड्यूल के होने की बात की गई थी।
पंजाब में आतंक की जड़ें इतनी गहरी होती जा रही हैं कि विस्फोटकों के साथ साथ-साथ AK-47 जैसे हथियार अब आम हो चुके हैं।
AK-47 का बढ़ता प्रचलन
वर्ष 2022 में पंजाब पुलिस ने 15 से अधिक घटनाओं में कई AK-47 बन्दूकें बरामद की हैं। ज्ञात हो कि जुलाई माह में हुए सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड को भी AK-47 बन्दूक से ही अंजाम दिया गया था।
पंजाब में इन हथियारों का आसानी से उपलब्ध होना चिंता का विषय तो है ही, अब इसके साथ पाकिस्तान का ड्रग्स-ड्रोन माड्यूल भारत के लिए चुनौती बन रहा है।
ड्रग्स-ड्रोन माड्यूल
पाकिस्तान भारत में घुसपैठ करने के नए-नए रास्ते तलाशता रहता है। अब पाकिस्तान द्वारा पंजाब में घुसपैठ के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। हर महीने सीमा सशस्त्र बल द्वारा ड्रोन गिराने की खबरें सामान्य हो चुकी हैं। पाकिस्तान द्वारा पंजाब में भेजे जा रहे ड्रोन की संख्या में इस वर्ष बढ़ोतरी देखी गई है।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अनुसार, इस वर्ष जुलाई तक सीमा पार से उड़ान भरने वाले 110 ड्रोन भारतीय क्षेत्र में देखे गए। जबकि, पिछले वर्ष ड्रोन की यह सँख्या 97 थी। बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन ड्रोन का इस्तेमाल नशीले पदार्थ, हथियार, विस्फोटक और गोला-बारूद पहुंचाने के लिए किया जाता है।
पंजाब में ड्रग्स की खेप पहुंचाने में इस ‘ड्रोन मॉड्यूल’ की अहम भूमिका है। पंजाब में बढ़ते हथियारों और बढ़ते अपराध के पीछे एक बड़ा कारण पाकिस्तान का ड्रोन मॉड्यूल भी है। अपराध में लिप्त इन हथियारों की श्रेणी में एक नया मोड़ तब आया जब 9 मई को मोहाली में पुलिस इंटेलिजेंस मुख्यालय पर RPG हमला हुआ।
RPG अटैक यानी रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड अटैक, इसमें रॉकेट की मदद से ग्रेनेड को फेंका जाता है। इस हमले के तार बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) एवं ISI समर्थित खालिस्तानी आतंकवादियों से जुड़े थे। पुलिस के अनुसार इस हमले का मास्टरमाइंड लखबीर सिंह लांडा था। पंजाब में गैंगस्टर से आतंकवादी बनने का यह सफर भी कोई नया नहीं है।
पंजाब-हरियाणा गैंग्स
पंजाब में क्राइम और गैंगस्टर्स का एक अलग इतिहास रहा है। पाकिस्तान द्वारा मुहैया कराए जाने वाले हथियारों के जरिए पंजाब में कई युवा अपराधों की ओर बढ़े हैं, जिसका अंजाम अक्सर मौत ही होता है। कभी पुलिस के एनकाउंटर में तो कभी आपसी मुठभेड़ में। इन अपराधियों की लम्बी सूची है।
पंजाब में हथियार और फंड देकर गैंगस्टर्स के जरिए अपने हितों को साधने की ISI की वर्षों से चली आ रही इस रणनीति में बदलाव आया है। अब पाकिस्तान की यह ख़ुफ़िया एजेंसी पंजाब के पड़ोसी राज्यों में अपनी रणनीति का विस्तार कर रही है। अब पंजाब की तर्ज़ पर ही हरियाणा में गैंगस्टर्स को तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा इन अपराधों में गैर-सिख गिरोहों की भी संलिप्तता देखी जा रही है ।
अब तक की पुलिस जाँच में सामने आ चुका है कि मूसेवाला हत्याकांड में अधिकतर शूटर हरियाणा के थे। इनमें सोनीपत का प्रियव्रत फौजी, अंकित सेरसा, सचिन चौधरी, झज्जर निवासी कशिश को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभी जाँच चल रही है और कई गैंगस्टर पुलिस के निशाने पर हैं। हरियाणा पुलिस के लिए अब ये नए गैंगस्टर चुनौती बन रहे हैं, क्योंकि इनका पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है।
अंकुश कमालपुर गैंग– यह गैंग भी हरियाणा के अपराध लिप्त मुख्य गिरोहों में शामिल है। पिछले ही महीने एसटीएफ ने इस गैंग के मोस्ट वांटेड आरोपी को गिरफ्तार किया था।
काला जठेड़ी गैंग– इस गैंग का प्रमुख संदीप उर्फ़ काला जठेड़ी है। काला जठेड़ी के ऊपर मर्डर, किडनैपिंग और धन की उगाही जैसे 40 से अधिक मुकदमे दर्ज़ हैं और वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मूसेवाला हत्याकाण्ड में काला जठेड़ी और उसके साथी काला राणा से भी पूछताछ की थी।
लॉरेंस बिश्नोई गैंग– इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया कि मूसेवाला हत्याकांड की जाँच के दौरान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के तार पाकिस्तान तक जुड़े होने का खुलासा हुआ था। आपको बता दें, सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में शामिल बिश्नोई गैंग का ही सदस्य दीपक टीनू, 2 अक्टूबर को पुलिस कस्टडी से फरार हो हो गया था। हालाँकि, बाद में 20 अक्टूबर को पंजाब पुलिस ने उसे पकड़ लिया था। वहीं, मोहाली के RPG अटैक से भी बिश्नोई गैंग का नाम जुड़ा था।
इससे पहले NIA भी लारेन्स बिश्नोई गैंग के ISI एवं खालिस्तानी आंतकियों के साथ जुड़े होने की पुष्टि कर चुकी है। हालाँकि, बिश्नोई गैंग पंजाब में अपराध की इस पहेली का सिर्फ एक चैप्टर है। पंजाब हरियाणा में घटित हो रहे अपराधों में विदेशों से संचालित हो रहे गैंग अधिक भूमिका निभाते हैं।
विदेशों से संचालित हो रहे गैंग्स
हरविंदर सिंह संधू, उर्फ रिंदा
खालिस्तान समर्थक हरविंदर सिंह संधू, उर्फ़ रिंदा पंजाब के तरन-तारन का है, जो नेपाल के रास्ते भागकर पाकिस्तान चला गया था। रिंदा अब पाकिस्तान से ही आंतकी नेटवर्क संचालित करता है। रिंदा भारत, कनाडा और बाकी देशों में रह रहे खालिस्तानी आंतकियों के बीच एक सेतु के रूप में काम करता है।
9 मई को मोहाली में पंजाब पुलिस के मुख्यालय पर रॉकेट से चलने वाले ग्रेनेड (आरपीजी) हमले का मास्टरमाइंड भी रिंदा ही था। यहाँ तक कि पिछले साल दिसम्बर में हुए लुधियाना कोर्ट हमले में भी रिंदा का हाथ पाया गया था।
रिंदा पर पंजाब और महाराष्ट्र में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके अलावा रिंदा का नाम पिछले साल CIA की बिल्डिंग पर आतंकी हमले में भी सामने आया था।
लखबीर सिंह उर्फ़ लांडा हरिके
हाल ही में हुई शिवसेना नेता सुधीर सूरी की हत्या की जिम्मेदारी लखबीर सिंह ने ही ली है। लखबीर सिंह उर्फ लांडा एक गैंगस्टर है, जो मूल रूप से तरन-तारन जिले के हरिके का रहने वाला है। वर्तमान में लखबीर सिंह कनाडा के सास्काटून में रहता है। पंजाब पुलिस के अनुसार, लांडा ‘एक आदतन अपराधी’ है और पंजाब के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में उसके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली, नशीली दवाओं की तस्करी, अपहरण और अवैध हथियारों के विभिन्न आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
मोहाली में पंजाब पुलिस के मुख्यालय पर हुए हमले में रिंदा के साथ लांडा भी मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था।
यह सब सामने आने के साथ ही सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि पुराना खालिस्तान-आईएसआई गठजोड़ अभी खत्म नहीं हुआ है। आईएसआई द्वारा पोषित मूल नेतृत्व ही बूढ़ा हुआ है। इसलिए, अब एक नई टीम बनाई गई है।
इस नए समूह में कम से कम 34 नए चेहरे शामिल हैं, जिसमें बिश्नोई और गोल्डी बरार भी शामिल हैं, जो अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, जर्मनी और कुछ अन्य यूरोपीय देशों में रहकर भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं।
यह सभी आतंकी खालिस्तान की माँग के सहारे अपने उद्देश्यों को पूरा कर रहे हैं। अब इन्हें साथ मिल रहा है, विदेशों में स्थापित खालिस्तानी संगठनों का।
अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन
SFJ (सिख फॉर जस्टिस) खालिस्तान की माँग को लेकर कई आतंकवादी संगठन बने हैं और इन्हीं में एक है, सिख फॉर जस्टिस। इस संगठन का गठन साल 2007 में अमेरिका में हुआ था। इसका प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू है। इस संगठन पर साल 2019 में भारत सरकार प्रतिबंध लगा चुकी है। जुलाई 2020 में पन्नू को यूएपीए के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था।
वहीं, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए तथाकथित किसान आंदोलन के समय भी सिख फॉर जस्टिस का नाम सामने आया था। एनआईए ने दिसम्बर, 2020 में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं के इस संगठन से जुड़ाव की बात सामने आई थी। इससे पहले हिमाचल प्रदेश की शीतकालीन विधानसभा धर्मशाला के मुख्य गेट और दीवार पर खालिस्तान का झंडा फहराने के बाद सिख फॉर जस्टिस चर्चा में आया था।
बब्बर खालसा, भारत की आजादी के बाद से सबसे पुराना आतंकवादी संगठन है, जिसे आतंकवाद विरोधी गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस संगठन को यह नाम उग्रवादी संगठन ‘बब्बर अकाली’ से मिला, जो 1920 के दशक में ब्रिटिश शासन के दौरान सक्रिय था।
पंजाब के अन्य विद्रोही समूहों के विपरीत, बीकेआई भारत सरकार के साथ किसी सीधे संघर्ष के कारण नहीं बल्कि सिख समुदाय के निरंकारी संप्रदाय के खिलाफ संघर्ष से अस्तित्व में आया। यह संगठन 1985 में एयर इंडिया विमान धमाके से लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में भी शामिल रहा है।
लम्बे समय तक चुप रहने के बाद यह संगठन पुनः सक्रिय हो गया है। वर्तमान में इसका मुखिया वाधवा सिंह बब्बर है, जो पाकिस्तान से इस नेटवर्क को संचालित कर रहा है। वाधवा को भारत सरकार वर्ष 2020 में आतंकवादी घोषित कर चुकी है। बीकेआई और वाधावा अक्सर टारगेट किलिंग्स और पाकिस्तान से भारत में विस्फोटकों की तस्करी से जुड़े होते हैं। आईएसआई के साथ बीकेआई की साँठ-गाँठ के कारण पंजाब पुलिस के मुख्यालय पर आरपीजी हमला हुआ।
इनके अलावा तीसरा संगठन है, खालिस्तानी टाइगर फ़ोर्स। इसका मुखिया हरदीप सिंह निज्जर भारत से भागकर, कनाडा गया और अब वहीं रहता है। भारत सरकार ने इस पर 10 लाख रुपए का इनाम भी रखा है। कुछ वर्ष पहले हरदीप सिंह निज्जर ने ब्रिटिश कोलंबिया के मिसीगन हिल्स में खालिस्तानी उग्रवादियों के लिए एक प्रशिक्षण शिविर का भी आयोजन किया, जिसमें हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया।
निज्जर केटीएफ उग्रवादियों को प्रशिक्षण देने और उन्हें भारत में सक्रिय करने में सक्रिय रूप से शामिल है। कुछ रिपोर्ट्स से यह भी संकेत मिलता है कि निज्जर अर्शदीप सिंह उर्फ़ अर्श डल्ला के साथ मिलकर बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) जैसे संगठन को फिर से पूरी ताकत के साथ खड़ा करने का काम कर रहे हैं। गैंगस्टर से आतंकवादी बना अर्श डल्ला मोगा का निवासी है और अब कनाडा में रहता है। वह पिछले काफी समय से गैंगस्टर और आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है। इसी वर्ष पंजाब पुलिस ने अर्श डल्ला के कई मॉड्यूल का पर्दाफाश करके उसके नजदीकी साथियों को गिरफ्तार किया है।
विदेशों में ऐशगाह बनाये ये आतंकी संगठन अब भारत के टुकड़े करने के उद्देश्य से खालिस्तान की माँग को सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं। जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खालिस्तान बनाने के लिए जनमत संग्रह हो रहे हैं।
खालिस्तान जनमत संग्रह
आतंकी संगठन SFJ की इस योजना के अनुसार, पहले अलग-अलग देशों में रह रहे सिखों से पंजाब को भारत से अलग राष्ट्र बनाने की माँग पर वोटिंग की जानी है। फिर अंतिम चरण में 26 जनवरी 2023 को भारत में खालिस्तान को लेकर जनमत संग्रह किया जाना है।
समूह एसएफजे ने पहली बार 2018 में घोषणा की थी कि वह “पंजाब को भारतीय कब्जे से मुक्त” करने के उद्देश्य से, बड़े पैमाने पर सिख प्रवासी वाले कई देशों में ‘जनमत संग्रह 2020’ नामक एक अनौपचारिक मतदान आयोजित करेगा। आतंकवादी संगठन एसएफजे के प्रमुख का कहना है,
“एक बार जब पंजाब के लोगों में आम सहमति हो जाती है कि भारत से स्वतंत्रता चाहिए, तो हम (सिख फॉर जस्टिस) पंजाब को एक राष्ट्र रूप में फिर से स्थापित करने के लक्ष्य के साथ संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों से संपर्क करेंगे।”
बीते रविवार यानी 6 नवम्बर, 2022 को कनाडा के आंटोरियो राज्य के ब्रैंपटन शहर में भारत विरोधी संगठन SFJ ने तथाकथित खालिस्तानी जनमत संग्रह का आयोजन किया। इसमें वहाँ रह रहे हज़ारों सिखों ने हिस्सा लिया। इससे पहले भारत सरकार ने इस जनमत संग्रह को भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा बताया था। यह कोई पहला जनमत संग्रह नहीं है।
इससे पहले 21 नवम्बर, 2021 को लंदन शहर में जनमत संग्रह का आयोजन किया गया था। आयोजनकर्ताओं का दावा था कि इसमें हज़ारों सिख शामिल हुए जबकि ब्रिटेन पर नज़र बनाए रखने वालों ने बताया था कि इनकी संख्या महज चार-पाँच सौ ही थी। वहीं नवभारत टाइम्स के अनुसार सिख फॉर जस्टिस ने पूरे ब्रिटेन से लोगों को लाने के लिए 300 बसों का इंतजाम किया था।
खालिस्तान समर्थक इस संस्था ने कहा कि इस कथित जनमत संग्रह में हिस्सा लेने के लिए 1,500 से 1,700 लोगों को लाया गया। लंदन में मौजूद विदेशी राजनयिकों का कहना था कि 3 खालिस्तान समर्थक गुरुद्वारों को छोड़कर किसी ने इस तथाकथित जनमत संग्रह के लिए अपने प्लेटफार्म की अनुमति नहीं दी।
ब्रिटेन के बाद आतंकी संगठनों ने इटली में इसका प्रसार करने की योजना बनाई। इसी वर्ष 8 मई, 2022 को यह कथित जनमत संग्रह इटली के ब्रेशिया शहर में और जुलाई माह में इटली की राजधानी रोम में आयोजित किया गया। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, एसएफजे उच्च सिख आबादी वाली नगर पालिकाओं में काम करने वाले पाकिस्तानी और भारतीय मूल के कर्मचारियों का उपयोग कर रहा है, जो जनमत संग्रह के लिए मतदान करने वालों का व्यक्तिगत डेटा एकत्र कर सकते हैं।
कनाडा में इस योजना को आतंकी संगठन व्यवस्थित तरीके से संचालित कर रहे हैं। पहले चरण में 19 सितम्बर को SFJ द्वारा कनाडा के आंटोरियो में खालिस्तानी समर्थकों को एकत्रित किया गया और पंजाब को भारत से अलग करने के लिए वोटिंग की गई थी। बीते रविवार 6 नवम्बर को हुई वोटिंग इसी जनमत संग्रह का दूसरा चरण था।
खबरों के मुताबिक, खालिस्तान समर्थक गैर-कानूनी तरीके से रह रहे सिख प्रवासियों तक पहुँचते हैं और उन्हें नागरिकता दिलवाने का वादा करते हैं और जनमत संग्रह में हिस्सा लेने के लिए पैसा भी देते हैं। बता दें कि लोगों को बसों में भरकर लाए जाने का गुरुद्वारों ने भी विरोध किया था।
यही नहीं इन कथित जनमत संग्रह में हिस्सा लेने आने वाले लोगों की कोई जाँच नहीं होती है कि क्या वे भारतीय हैं, पाकिस्तानी हैं या अफगानी हैं। एक ही व्यक्ति कई बार वोट देता है। इस कथित जनमत संग्रह के बाद इसके आयोजक और उनके पाकिस्तानी समर्थक इसे सफल करार देने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं। सिख फॉर जस्टिस ने 18 साल से ऊपर की उम्र के सभी सिखों को जनमत संग्रह में हिस्सा लेने के लिए बुलाया था।
वहीं, कनाडा में रह रहे कुछ हिन्दुओं ने इस जनमत संग्रह का पुरजोर विरोध भी किया। अक्सर यह खालिस्तानी संगठन विदेशों में रह रहे हिंदुओं को भी निशाना बनाकर हिन्दू-सिख एकता को कमजोर करने का प्रयास करते हैं।
SFJ की जनमत संग्रह की योजना के अनुसार भारत में 26 जनवरी, 2023 को वोटिंग करवाई जानी है। जिसके बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियाँ भी सतर्क हो गई हैं। दरअसल, इसी वर्ष पंजाब में आतंकी संगठन SFJ से जुड़े खालिस्तानी पोस्टर्स सामने आ चुके हैं, जिनमें भारत में होने वाले जनमत संग्रह की बात की गई है।
कनाडा से संचालित हो रहे इस संगठन द्वारा इससे पूर्व भारत में हिजाब-विवाद के सहारे भी बड़े स्तर पर कानून व्यवस्था बिगाड़ने का प्रयास किया गया। इसमें एसएफजे के साथ मुख्य साजिशकर्ता पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI, ब्रिटेन की एक सांसद समेत भारत के भी कुछ लोग शामिल थे।
हिजाब विवाद में खालिस्तान की एंट्री
इस वर्ष कर्नाटक हिजाब विवाद काफी चर्चित रहा, जिसमें स्कूल-कॉलेज प्रशासन ने मुस्लिम छात्राओं कक्षाओं में हिजाब पहनकर आने पर रोक लगा दी थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी मुस्लिम छात्राओं की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने कॉलेज में हिजाब पहनकर आने की माँग की थी। वर्तमान में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। वहीं विपक्षी पार्टियों समेत कई लोगों ने इस मुद्दे को जमकर भुनाया। यहाँ तक कि यह मुद्दा बाद में आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन गया।
भारत की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी किए गए इंटेल नोट में कहा गया था कि SFJ ने भारत में मुसलमानों से ‘हिजाब जनमत संग्रह’ आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया है। इंटेल नोट के अनुसार, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के क्षेत्रों में ‘उर्दूस्तान’ बनाने के लिए मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया जाएगा।
भारत को दहलाने की इस साजिश में SFJ को ब्रिटेन की एक सांसद का साथ मिला। ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सांसद नाज शाह ने अप्रैल में भारत आए तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के दौरे के जरिए हिजाब विवाद को साधने का प्रयास किया।
उसने अपने ट्वीट में कहा; “ब्रिटिश प्रधानमंत्री से मेरा आग्रह है कि मोदी सरकार के साथ इस्लामोफोबिया का मुद्दा उठाया जाए।” पाकिस्तानी मूल की सांसद ने आरोप लगाया कि भारत में मुस्लिम महिलाओं को उनकी शिक्षा और धर्म के बीच चयन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
ब्रिटिश सांसद द्वारा हिजाब को इस्लामोफोबिया से जोड़ना कोई नई बात नहीं है। इस वर्ष हिजाब विवाद के बीच ब्रिटिश लेबर पार्टी के सांसद और खालिस्तान समर्थक बताए जाने वाले तनमनजीत सिंह ढेसी का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें वह हिजाब की तुलना अपनी पगड़ी से कर रहे हैं।
ढेसी अक्सर भारत में होने वाली घटनाओं के सहारे ब्रिटिश संसद में अपना भारत विरोधी पक्ष रखते आए हैं। ढेसी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की भी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, “वे मानवाधिकारों के हनन पर चुप नहीं रह सकते। इस समय कश्मीरी लोगों के साथ एकजुटता से खड़े रहने की जरूरत है।”
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन पर भी ढेसी ने ब्रिटेन में ऑनलाइन पिटिशन पर साइन करवाया था। उन्होंने, ब्रिटिश संसद में किसान आंदोलन पर चर्चा करने की माँग भी की थी।
वहीं, इसी वर्ष अप्रैल माह में तनमनजीत सिंह ढेसी से पंजाब के मुख़्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्डा ने एक बैठक की थी। जिसके बाद पंजाब की सियासत में खूब बवाल हुआ था।
पूर्व सेना प्रमुख जेजे सिंह ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी से मुलाकात को लेकर आम आदमी पार्टी की आलोचना की थी। जेजे सिंह ने कहा था कि आम आदमी पार्टी को बताना चाहिए कि उनकी बैठक में क्या हुआ।
पंजाब की सियासत से जुड़े कुछ लोगों ने भी हिजाब विवाद को सियासी रूप दिया।
DSGMC के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना, जिन्होंने पिछले ही माह अकाली दल का दामन थाम लिया है, ने कहा कि वे मुस्लिम छात्राओं के लिए स्कूल में हिजाब की मनाही का विरोध करते हैं। आज कर्नाटक में हो रहा है, कल पंजाब में भी हो सकता है।
आपको बता दें परमजीत सिंह सरना जब DSGMC के अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ रहे थे तो उनके चुनाव प्रचार में खालिस्तानी कमांडो फोर्स के आंतकवादी शामिल थे।
पंजाब की राजनीति में हिजाब समर्थन की इस दौड़ में सिमरन जीत सिंह मान कहाँ पीछे रहने वाले थे। उन्होंने भी कहा कि कर्नाटक के मुसलमान पंजाब आकर आराम से अपने धार्मिक आचरण का पालन कर सकते हैं। सांसद रहते हुए भी सिमरनजीत सिंह मान खुलेआम खालिस्तान की माँग का समर्थन करते हैं। यहाँ तक कि उनकी पार्टी शिरोमणि अकाली दल अमृतसर का आधार ही खालिस्तानी विचारधारा से जुड़ा है। बड़ी बात यह है कि इसी वर्ष हुए संगरूर लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज़ कर मान लोकसभा पहुंच चुके हैं। यह खालिस्तान समर्थक सांसद की 1999 के बाद पहली जीत थी।
पंजाब की सियासत में इस कट्टरपंथी नेता की वापसी जरूर चौंकाने वाली रही है। यह भारत सरकार के लिए भी चिंता का विषय है। हालाँकि, पंजाब में यह बात धीरे-धीरे आम होती रही है।
पंजाब में अलगाववाद के दौर की वापसी ?
आम आदमी पार्टी के राज्य में सरकार बनने के बाद खालिस्तान की दबी आवाज धीरे-धीरे तेज़ हो रही है। बीते सितम्बर माह में मोगा में एक ‘वारिस पंजाब दे’ नामक संगठन जिसका संस्थापक दीप सिद्धू था, उसके बैनर तले एक रैली का आयोजन किया गया। जिसमें अमृतपाल नामक युवक को भिंडरावाला का वारिस घोषित किया गया।
अमृतपाल सिंह 6 साल से दुबई में रह रहा था और सितम्बर माह में ही भारत आया है। इस रैली का आयोजन पूरे जोर-शोर से किया गया और भिंडरावाला के सपने को पूरा करने का आह्वान किया गया।
ऐसे ही खालिस्तान की माँग को लेकर एक रैली 29 सितम्बर को होशियारपुर में भी आयोजित की गई। इन रैलियों को दल खालसा नामक संगठन आयोजित करवा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस दल की सभी रैलियाँ पंजाब पुलिस की सुरक्षा में होती हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि आए दिन दीवारों पर देश विरोधी नारे लिखे मिल रहे हैं
“खालिस्तान जिंदाबाद ,पाकिस्तान जिंदाबाद
हिंदुस्तान मुर्दाबाद ,सिख मुस्लिम भाई भाई”
पंजाब: भविष्य की राह!
पंजाब से जुड़े ये तमाम घटनाक्रम को देखकर लगता है कि स्थिति बेहद गम्भीर है। यह पंजाब के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंतित करने वाला विषय है। हाल ही में, प्रधानमंत्री मोदी ने सूरजकुंड में आयोजित आंतरिक सुरक्षा चिंतन शिविर में राज्यों की क़ानून व्यवस्था पर चर्चा की थी। इसमें प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान में भले कानून और व्यवस्था राज्यों का दायित्व है, लेकिन ये देश की एकता-अखंडता के साथ भी उतने ही जुड़े हुए हैं।
जिस तरह से पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में आतंक को शह प्रदान करता है, कमोबेश वही स्थिति अब पंजाब राज्य में भी उभर रही है, जिसमें आतंकियों को खाद-पानी देने का काम कनाडा कर रहा है। खालिस्तानी ताकतें और आईएसआई मिलकर पंजाब के साथ हरियाणा और राजस्थान में जो विस्तार कर रहे हैं, ऐसे में यह मुद्दा सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं रह जाता है।
ऐसे में भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ स्वर्गीय बिपिन रावत एक बयान और भी प्रासंगिक हो जाता है, जब वे कहते हैं कि “भारत टू एंड हाफ फ्रंट वार (चीन, पाक और आंतरिक सुरक्षा) पर लड़ाई लड़ रहा है और भारतीय सेनाएँ इसमें सक्षम हैं।”
पंजाब की भगवंत मान सरकार को यह विचार करना होगा कि वोट बैंक की राजनीति के लिए अलगाववाद पर मौन रहना कहाँ तक उचित है? सत्ता पाने और संचालित करने के लिए भले ही यह आसान जरिया हो, लेकिन इसके दीर्घकालीन परिणाम न केवल पंजाब भुगतेगा बल्कि पूरे भारत में आंतरिक सुरक्षा, संप्रुभता और अखण्डता पर कुठाराघात होगा। आम आदमी पार्टी को यह सोचना चाहिए कि राजनीतिक जीत के लिए देश की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।