आपको दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने से पहले की उनकी VIP कल्चर को को ख़त्म करने की डींगे मारने वाली लफ़्फ़ाजी याद है? फ़रवरी, 2015 की बात है जब केजरीवाल ने दिल्ली स्थित रामलीला मैदान से VIP कल्चर ख़त्म करने की डींगें मारी थीं। लेकिन रिनोल्ड्स का पेन स्वेटर पर लगा कर नीले रंग की वैगनआर कार में आने वाले, मफ़लर लगाने वाले इस क्रांतिकारी का हाल भी वही हुआ जो हर दूसरा क्रांतिकारी का होता है। हरिशंकर परसाई इन्हें ही बौढ़म बुर्जुआ नाम दिया था।
फिर ये VIP कल्चर समाप्त करने का ‘एक्टिविज्म’ समय-समय पर अरविंद केजरीवाल अपनी राजनीतिक रैलियों में भी दोहराते रहे। आम जानता को भी यह सब सुनने और देखने में अच्छा महसूस होता है। घोड़े पर सवार एक क्रांतिकारी आ कर समाज में एनार्की के लिए पर्याप्त जगह बनाए और हर वो जुमले दोहराए जिनसे जनता उसे ख़ुद से भी अधिक आम महसूस करने लगे।
अरविंद केजरीवाल ने भी कुछ कुछ ऐसा ही किया; कभी अस्पताल का VIP कल्चर हटा देंगे, तो कभी कहा सड़क का VIP कल्चर हटा देंगे। साल गिनते जाइए जब-जब यह डींगें दोहराई गईं। 2013, 2014, 2015, 2019 और अब 2022 में भी, जब पंजाब में आम आदमी पार्टी ने अपना एक और क़िला खड़ा करने की पहली नींव रखी।
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कालांतर में हुआ कुछ यूँ कि इस VIP कल्चर ख़त्म करने के पर्चे अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनते ही सामने आने लगे थे। एक्टिविज्म की पिलाई हुई भांग राजनीति के रास्ते उतरने लगी। दिल्ली का मुख्यमंत्री बनते ही PVR में लगने वाली हर फ़िल्म के पहले दर्शक केजरीवाल बन गए। एक बार को तो यूनेस्को सत्यापित ‘बेस्ट फ़िल्म समीक्षक’ देशद्रोही वाले KRK तक भी ये सोचने लगा होगा कि ‘मैं क्या करूँ फिर जॉब छोड़ दूँ क्या?’
दिल्ली के बाद पंजाब पहुँचा AAP का क्रांतिकारी मॉडल
इसके बाद केजरीवाल की क्रांति पहुँची पंजाब। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तो VVIP कल्चर के मामले में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी पीछे छोड़ दिया। पंजाब का मुख्यमंत्री बनते ही भगवंत मान के काफिले में 15-20 नहीं बल्कि 42 गाड़ियां चलने लगीं। इसके लिए AAP सरकार ने 6 महीने का इंतज़ार भी नहीं किया।
पंजाब में सरकार बनते ही AAP की सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद, विधायक, पूर्व विधायकों के साथ-साथ अधिकारियों की सुरक्षा कम करने के नाम पर खूब वाहवाही बटोरने का सपना देखा था। सोशल मीडिया पर भी इसका जमकर प्रचार हुआ। लेकिन इस बीच कुछ रुझान भी सामने आने लगे। समय बीतता गया, AAP सरकार और इसके नेताओं पर VVIP बनने का असर साफ दिखने लगा। पार्टी के कई विधायक और नेता टोल प्लाजा तक पर लोगों को धमकाते नजर आए।
पंजाब और दिल्ली में AAP का राजनीतिक ऑड-ईवन
आँकड़ों की बात करें तो साल 2019 में एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें बताया गया था कि देश में VVIP लोगों को सिक्योरिटी देने में दीदी का पश्चिम बंगाल पहले नंबर पर था। बंगाल में 3,142 लोगों को सिक्योरिटी दी गई।
देश में दूसरे नंबर पर पंजाब राज्य था, जहां 2,594 लोगों को VIP सुरक्षा दी गई थी। पंजाब में भगवंत मान सरकार ने 424 लोगों की सुरक्षा ज़रूर घटाई थी लेकिन इसके अगले ही दिन 29 मई, 2022 की शाम को गैंगस्टर लॉरेंस के गुर्गों ने पंजाब के मानसा में मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या कर दी।
यानी, आम आदमी पार्टी के इस जबरन VIP कल्चर ख़त्म कर ‘सस्ता शेर’ बनने की राजनीति ने भयानक प्रयोग किए हैं। और यह सब किया गया सिर्फ़ एक्टिविज़्म कि राजनीति के नाम पर।
कल ही एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसके अनुसार पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की पत्नी गुरप्रीत कौर मान की सुरक्षा अब 15 पुलिस वालों की जगह 40 पुलिस वाले करेंगे। यानी, पुलिस की तैनाती में ढाई गुना से भी अधिक का विकास!
अब सवाल यह है कि मुख्यमंत्री की पत्नी के लिए इस तैनाती में वही पुलिस रहेगी जो आजकल चरमपंथियों से भागती फिर रही है? एक सवाल और भी है! ऐसा करने के बाद भगवंत मान और उनके गुरु केजरीवाल की उन बातों का क्या होगा जिसमें ये न केवल किसी भी तरह की सुरक्षा न लेने का वादा तो करते थे, साथ में सुरक्षा लेने वाले मुख्यमंत्री और मंत्रियों को लताड़ते भी थे।
एक्टिविज्म का सहारा लेकर राजनीति में आने के यही ख़तरे हैं। एक्टिविस्ट रहते हुए ये नेताओं और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के लिए लागू प्रोटोकॉल को लताड़ते हैं और सत्ता में आ कर उन्हीं प्रोटोकॉल को कई गुना बढ़ा देते हैं। यही किसी के एक्टिविस्ट से राजनीतिज्ञ बनने के सफ़र का निचोड़ है। यही क्रांति से सत्ता तक की राह तय करने का सफ़र भी है। दरअसल यही एक्टिविस्ट और कॉमेडियन भगवंत मान से मुख्यमंत्री भगवंत मान बनने का मर्म है।