राजस्थान में लचर कानूनी व्यवस्था के बीच खबर आई है कि राज्य की पुलिस द्वारा पुलवामा आतंकी हमले (2019) में बलिदान देने वाले राजस्थान के 5 सीआरपीएफ जवानों की विधवाओं के साथ बदसलूकी की गई है। पीड़ित महिलाओं का आरोप है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा मांगे पूरी नहीं किए जाने का विरोध करने पर उन पर पुलिस द्वारा हमला किया गया।
पुलवामा के बलिदानी जवानों की विधवाओं की गलती मात्र इतनी थी कि वे अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करना चाहती थी। हालांकि रिपोर्ट्स सामने आई कि पुलिस द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री से रोकने के लिए कथित रूप से पीटा, घसीटा और सड़क पर खींचा गया। वहीं पुलिस द्वारा हुए इस हमले में कई महिलाएं घायल भी हो गई हैं।
गहलोत सरकार के इस असंवेदनशील रवैए पर भाजपा द्वारा विरोध दर्ज करवाया गया है। वहीं सरकार का बचाव करते हुए राजस्थान सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि पुलवामा के बलिदानियों के परिजनों को राज्य सरकार पहले ही मुआवजा दे चुकी है।
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खाचरियावास ने विधवा महिलाओं पर हुए हमले को दरकिनार करते हुए लापरवाही भरा बयान दिया कि राजस्थान सरकार ने उन्हें भाजपा सरकार की तुलना में सबसे अच्छा पैकेज दिया है।
खाचरियावास ने पूरे मामले को राजनीति से जोड़ते हुए कहा कि चुनाव नजदीक होने के कारण भाजपा राज्य में माहौल बिगाड़ने में लगी है। बीजेपी द्वारा यह प्रचार किया जा रहा है कि सरकार ने बलिदानियों के लिए कुछ नहीं किया है।
वहीं, राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा इस दौरान महिलाओं के समर्थन में खड़े हुए और कहा कि राजस्थान पुलिस द्वारा यह घटना शर्मनाक है एवं यह बलिदानियों की विधवाओं का अपमान है। उन्होंने बताया कि इन महिलाओं ने राज्यपाल कलराज मिश्र से अपनी समस्याओं को लेकर मुलाकात की थी। इसके बाद राज्यपाल के कहने पर वो मुख्यमंत्री से मिलना चाहती थी। राज्यपाल से मुलाकात के दौरान उन्होंने इच्छा-मृत्यु की अनुमति भी मांगी थी।
वहीं अशोक गहलोत द्वारा बात नहीं सुनने के बाद कॉन्ग्रेस नेता सचिन पायलट ने विधवाओं से मिलकर अपनी संवेदनाएं प्रकट की है। बता दें कि पुलवामा हमले में बलिदानी CRPF जवानों की विधवाओं में मंजू जाट, मधु बाला, सुंदरी देवी और रेणु सिंह राजभवन के सामने धरने पर बैठी थी और सरकार से उनके द्वारा किए गए वादों को पूरा करने की मांग कर रहीं थी।