विधानसभा चुनाव के आने के साथ ही इंडि गठबंधन में दरार नजर आने लगी है। दरअसल राष्ट्रीय स्तर पर एक ही गठबंधन का हिस्सा समाजवादी पार्टी एवं कांग्रेस मध्यप्रदेश में सीट शेयरिंग पर सहयोग नहीं बना पाई हैं। कांग्रेस द्वारा रविवार को उन सात सीटों पर से चार पर उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है, जहां पर अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी हैं।
वहीं, कांग्रेस की सूची जारी होने के बाद सपा ने एक बार फिर अपने नौ और उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के सपा प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन की सभी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। कांग्रेस नेतृत्व के साथ हमारी कुछ बातचीत हुई, लेकिन रविवार को सब कुछ विफल हो गया। हम अपने दम पर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और अगले साल चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
उल्लेखनीय है कि चार सीटें, जो कि विचाराधीन हैं वो चितरंगी, मेहगांव, भांडेर और राजनगर की हैं। पिछले चुनावों में कांग्रेस ने मेहगांव, भांडेर और राजनगर सीट पर जीत हासिल की थी। सपा नेतृत्व कांग्रेस द्वारा छतरपुर जिले के बिजावर से उम्मीदवार उतारने से सबसे अधिक नाराज है क्योंकि पार्टी ने यहां 2018 में जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने जहां अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है वहीं सपा से अभी कोई नाम सामने नहीं आया है।
अखिलेश यादव के करीबी एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि कांग्रेस को भाजपा को हराने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उनका कहना है कि कांग्रेस को देखकर लग रहा है कि उनका प्राथमिक उद्देश्य भाजपा को नहीं बल्कि सपा को हराना है। कांग्रेस के साथ हमारा गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए होगा लेकिन मध्य प्रदेश में हम अकेले चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत हुई थी और हम 10 सीटें चाहते थे। वे कम सीटों की पेशकश कर रहे थे और अचानक उन्होंने हमें बताए बिना इतने सारे उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। गठबंधन इस तरह काम नहीं करता है।
सपा नेता ने जानकारी दी है कि मध्यप्रदेश में उनकी पार्टी करीब 30-35 उम्मीदवार उतारेगी। हालांकि बिजावर की सीट पर चरण सिंह यादव को उतारकर कांग्रेस ने उन्हें परेशान कर दिया है। जाहिर है कि चरण सिंह बुन्देलखण्ड में सपा के वरिष्ठ नेता दीप नारायण यादव के चचेरे भाई हैं।
सपा पदाधिकारी का कहना है कि बिजावर में बड़ी संख्या में यादव और ब्राह्मण आबादी है और 2018 में यह सपा के राजेश कुमार शुक्ला ने जीती थी, जो बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे। सपा का दावा है कि यह ऐसी सीट है जहां वह अच्छा प्रदर्शन करेगी।
वहीं मध्य प्रदेश के कांग्रेस प्रवक्ता पीयूष बबेले ने कहा कि सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान को करना है। कांग्रेस नेता के अनुसार समाजवादी पार्टी अपनी क्षमता से अधिक सीटें पाने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि मध्य प्रदेश में सपा का कोई आधार नहीं है। और जिस सीट को लेकर वो परेशान हैं उसपर जीतने वाले उनके विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने साफ किया कि सपा को समझने की आवश्यकता है कि सपा का यहां उनका कोई जमीनी आधार नहीं है।
गौरतलब है कि कांग्रेस जहां सपा को अपना जमीनी आधार देखने के लिए कह चुकी है। वहीं, पिछले महीने अखिलेश यादव ने 1 अक्टूबर को लखनऊ में एक कार्यक्रम में कहा था कि वह चाहते हैं कि उनकी पार्टी और कांग्रेस भाजपा को हराने के लिए राज्य में एक साथ चुनाव लड़ें।
बहरहाल, मध्य प्रदेश के साथ ही छत्तीसगढ़ में भी अगले महीने चुनाव होने हैं। सपा यहां पर राज्य की 90 सीटों में से 40 पर चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है। जानकारी के अनुसार इन सीटों पर चुनाव लड़ने का उद्देश्य लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में कड़ी सौदेबाजी के लिए मजबूर करना था, जहां वह मजबूत है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ राजनीतिक कलह का सामना कर रही सपा छत्तीसगढ़ में किस प्रकार सीट की गणित बैठा पाएगी यह आने वाला समय ही बताएगा।
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