प्रियंका वाड्रा लम्बे समय से महिलाओं के मुद्दों पर राजनीति करती आईं हैं। उन्होंने भारत में बेरोजगार व्यक्तियों के द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं के बारे में एक आधा-अधूरा आंकड़ा ट्विट्टर पर लिखा है।
2 सितम्बर को किए गए एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, “ साल 2021 में बेरोजगारी की वजह से देश में 11724 लोगों ने आत्महत्या की। साल 2020 की तुलना में 26% ज्यादा है। भाजपा सरकार में रिकॉर्डतोड़ बेरोजगारी युवाओं को हताश कर रही है। लेकिन सरकार के पास न तो इस भयंकर बेरोजगारी का कोई इलाज है, न कोई जवाब। सरकार कब तक जुमले बाँटेगी?”
वाड्रा ने भारत में अपराध के आंकड़ो का हिसाब रखने वाली एजेंसी NCRB का हवाला देकर यह ट्वीट किया है, लेकिन उनका आधा – अधूरा आंकड़ा देना कॉन्ग्रेस पार्टी के अंदर गंभीरता से लिखने-पढने के अकाल को दर्शाता है।
क्यों गलत हैं प्रियंका ?
दरअसल, भारत में जिन बेरोजगार व्यक्तियों ने वर्ष 2021 में आत्महत्या की, उनकी कुल संख्या प्रियंका वाड्रा के द्वारा दिये गए आंकड़े से थोड़ी ज्यादा है। प्रियंका ने अपने ट्वीट में केवल आत्महत्या करने वाले पुरुषों का आंकड़ा दिया है। वे ऐसी महिलाओं और किन्नरों के बारे में लिखना भूल गईं जिन्होंने बेरोजगार रहते हुए आत्महत्या की।
NCRB के द्वारा जारी की गईं ‘एक्सीडेंटल एंड सुसाइडल डेथ्स इन इंडिया 2021’ रिपोर्ट बताती है कि साल 2021 के दौरान भारत में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की। इसी के साथ ही रिपोर्ट में इस आंकड़े को अलग-अलग आधारों पर बांट कर दिखाया गया है, जिसमें आत्महत्या करने वाले का शैक्षणिक आधार, उसकी आर्थिक स्थिति और उनके पेशे के आधार पर बांटा गया है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल 13,714 बेरोजगार व्यक्तियों ने वर्ष 2021 के दौरान आत्महत्या की जिनमें से 11,724 पुरुष, 1,981 महिलाएं और 9 किन्नर थे।
प्रियंका वाड्रा, जो इसी साल के शुरुआत में उत्तर प्रदेश में चुनावों के दौरान महिला सशक्तीकरण के मुद्दे को जोर-शोर से उठाती दिखी थीं, का महिलाओं का अपने ट्वीट में ना शामिल करना आश्चर्यजनक है। इससे भी ज्यादा अचरज वाली बात यह है कि उन्होंने किन्नर समाज, जो कि सदा ही समाज के हाशिये पर रहा है उसको भी शामिल करना भूल गईं।
कॉन्ग्रेस की बड़ी नेत्री प्रियंका वाड्रा द्वारा इस प्रकार की असंवेदनहीनता उनका समाज के प्रमुख मुद्दों के प्रति गंभीर ना होने को प्रदर्शित करता है।
कॉन्ग्रेस ही कठघरे में
ट्वीट करते समय भले ही श्रीमती वाड्रा को यह ध्यान ना रहा हो या उन्हें बताया ना गया हो, पर इन दुखद आत्महत्याओं में सबसे ज्यादा आंकड़े दर्ज करने वाले राज्य कॉन्ग्रेस शासित हैं, 2021 में महा विकास अघाड़ी शासित महाराष्ट्र ने 1,734 आत्महत्याएं दर्ज कीं जिनमें से 1,576 पुरुष और 157 महिलाएं थीं। साथ ही आत्महत्या करने वाला 1 बेरोजगार किन्नर था।
कॉन्ग्रेस और डीएमके शासित तमिलनाडु दूसरे नम्बर पर भारत में बेरोजगारों की आत्महत्याएं दर्ज करने वाला राज्य बना, तमिलनाडु में वर्ष 2021 के दौरान 1,657 बेरोजगार लोगों ने आत्महत्या की जिसमें से 1,345 पुरुष थे और 307 महिलाएं, वहीँ 5 बेरोजगार किन्नरों ने भी राज्य में आत्महत्या की।
इसके अतिरिक्त लेफ्ट शासित केरल, और आम आदमी पार्टी के द्वार शासित दिल्ली के भी आंकड़े काफी चिंताजनक हैं।
बेरोजगारी वाला भी दावा सही नहीं
प्रियंका ने साथ ही यह दावा अपने ट्वीट में किया कि भारत में रिकार्डतोड़ बेरोजगारी युवाओं को हताश कर रही है, जबकि उनका ऐसा कहना आंकड़ो के हिसाब से सही नहीं दिखाई पड़ता। हाल ही में जारी हुई कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की रिपोर्ट बताती है 5,59,27,788 लोगों को वर्ष 2017 के सितम्बर माह से लेकर वर्ष 2021 के जून माह के बीच में रोजगार मिला।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि सरकार ने वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान भी 80 लाख से ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने में सफलता पाई।
प्रियंका वाड्रा का इस प्रकार आम जनमानस में गलत आंकड़े रखना और महिलाओं को अपने ट्वीट में शामिल ना करना उनका मुद्दों की राजनीति के प्रति उदासीनता को दिखाता है, इसी के साथ यह भी बात यहाँ पर उजागर होती है कि कांग्रेस आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दे पर भी राजनीति से बाज नहीं आ रही।