नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (NMML) अब ‘प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी’ कहलाएगा। बृहस्पतिवार, 31 अगस्त को एक अधिसूचना के माध्यम से यह ऐलान किया गया कि “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय का नाम बदलकर ‘प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी’ करने को मंजूरी दे दी है।”
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस संग्रहालय के उपाध्यक्ष हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके अध्यक्ष। यह निर्णय जून माह में ही ले लिया गया था और 15 अगस्त यानी की स्वतंत्रता दिवस के दिन इसे लागू किया गया।
इसी वर्ष संस्कृति मंत्रालय ने इस म्यूजियम के नाम को बदलने के फैसले का ऐलान किया था। एक विशेष बैठक में केंद्रीय रक्षा मंत्री रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुई थी। इस विचार को आज राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति भी मिल गई है। मगर जब इस फैसले का ऐलान किया गया तो विपक्ष में बैठी सरकार द्वारा इस फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला गया।
हाल ही में, बीते स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के वाइस चेयरमैन, ए सूर्य प्रकाश ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स के ज़रिए यह जानकारी दी कि ‘नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी अब 14 अगस्त, 2023 से प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी है’।
इस बयान के सामने आने के बाद विपक्षी की ओर से कई बयान सोशल मीडिया के ज़रिए आए जो इस निर्णय के खिलाफ थे। इनमें से कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा, “देश के स्वतंत्रता संग्राम में जवाहरलाल नेहरू के महान योगदान को कभी छीन नहीं सकते। जवाहरलाल नेहरू की विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।”
इसके बाद भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी और जयराम रमेश और पीएम नरेंद्र मोदी की सोच में अंतर का उदाहरण देते हुए जयराम पर पलटवार किया था उन्होंने कहा था, “कांग्रेसी केवल नेहरू जी और परिवार को ही मायने रखते हैं मगर नरेंद्र मोदी ने देश के सभी प्रधानमंत्रियों को म्यूजियम में सम्मानजनक स्थान दिया है।”