मंगलवार, 3 जनवरी को एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मानवता और अध्यात्म के आपसी संबंध पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत आध्यात्मिकता और नैतिकता पर आधारित एक विश्व व्यवस्था के निर्माण में सक्रिय है।
राजस्थान की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने माउंट आबू में ब्रह्मकुमारियों द्वारा आयोजित ‘राइज-राइजिंग इंडिया थ्रू स्पिरिचुअल एम्पावरमेंट’ पर राष्ट्रीय अभियान का शुभारंभ किया।
सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “आध्यात्म वह मार्गदर्शक प्रकाश है जो संपूर्ण मानवता को सही मार्ग दिखा सकता है। हमारे देश को विश्व शांति के लिए विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों का उपयोग करना है। हमारा उद्देश्य है कि भारत एक ज्ञान की महाशक्ति बने।”
उन्होंने कहा कि ज्ञान का उपयोग सतत विकास , सामाजिक समरसता, महिलाओं और दलित वर्गों के उत्थान, युवाओं की ऊर्जा के समुचित उपयोग और विश्व में शांति की स्थापना के लिए किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि अनिश्चितता के इस दौर में भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के साथ-साथ विश्व में शांति के एक दूत के रूप में अपनी भूमिका भी निभा रहा है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर अपनी बात रखते हुए कहा,
“आज दुनिया जलवायु परिवर्तन के कारण अपने अस्तित्व पर संकट का सामना कर रही है, पर्यावरण का संरक्षण भी एक प्रकार का आध्यात्मिक सशक्तिकरण है क्योंकि एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण हमें शांति देता है।”
पर्यावरण और आध्यात्मिकता का यह परस्पर संबंध हमारे लिए कोई नई बात नहीं है। हम सदियों से पेड़ों, पहाड़ों और नदियों की पूजा करते आ रहे हैं। हमारे जीवन में शांति आए इसके लिए हमें पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।”
उन्होंने ‘राइज’ अभियान पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यह अभियान लोगों को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाकर और पूरी मानवता के कल्याण का समर्थन करके भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने में योगदान देगा।
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