समुद्र मंथन, जहाँ अमृत को पाने के लिए देवता और दानवों के बीच घमासान युद्ध हुआ था। ये युद्ध लगातार 12 दिन तक चलता रहा। इस बीच अमृत कलश से अमृत छलक कर 16 जगहों पर गिरा। जिनमें से चार पवित्र जगहों पर पृथ्वी पर और बाकी 12 जगहों पर स्वर्ग में गिरा।
पृथ्वी पर जिन 4 जगहों पर अमृत गिरा वो थीं, प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार। इस कारण हर 12 वर्ष में इन चारों जगहों पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में अगला महाकुंभ वर्ष 2025 में प्रयागराज में होने जा रहा है।
प्रयागराज, हिंदुओं का मुख्य तीर्थ स्थल। हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है और मान्यताओं के अनुसार यहीं पर सरस्वती नदी का गंगा और यमुना के साथ संगम होता है। तीन नदियों के मिलने से यह त्रिवेणी संगम कहलाता है।
इसी भूमि में महाकुंभ 2025 में शुरू होने जा रहा है जिसकी तैयारियां जोरों शोरों पर हैं। इन तैयारियों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कमर कस ली है। प्रयागराज में विकास कार्य युद्धस्तर पर चल रहे हैं।
तो चलिए एक नज़र डालते हैं महाकुंभ 2025 के लिए किये जा रहे विकास कार्यों और सौंदर्यीकरण पर।
प्रयागराज में चल रहे विकास कार्यों को लेकर राज्य सरकार का लक्ष्य इस पूरे क्षेत्र में सेंतालिस से अधिक स्थायी और अस्थायी परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करना है। केवल विकास ही नहीं बल्कि आस्था पथ को आकर्षक बनाने के लिए सौंदर्यीकरण का भी कार्य ज़ोरों पर है।
लगभग ₹15.42 करोड़ रुपए के साथ, भारद्वाज आश्रम के प्रवेश द्वार के सौंदर्यीकरण, गलियारे के विकास और अन्य सौंदर्यीकरण कार्यों को प्रस्तावित किया गया है।
वहीं 12 द्वादश माधव मंदिरों के लिए 13.5 करोड़ रुपये, नागवासुकी मंदिर के लिए 5.23 करोड़ रुपये, दशाश्वमेध मंदिर के लिए 2.83 करोड़ रुपये, मनकामेश्वर मंदिर के लिए 6.67 करोड़ रुपये, अलोप शंकरी मंदिर के लिए 7 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित की गई है। पड़िला महादेव मंदिर के लिए 10 करोड़ रुपये, पंचकोसी परिक्रमा पथ के तहत आने वाले मंदिरों के लिए 5 करोड़ रुपये, कोटेश्वर महादेव मंदिर के लिए 1.5 करोड़ रुपये और कल्याणी देवी के विकास के लिए 1 करोड़ रुपये .अक्षयवट, सरस्वती कूप, पातालपुरी मंदिर के लिए गलियारे के विकास जैसे कई कार्य 18.5 करोड़ रुपये की लागत से किए जाएंगे।
अधिकारियों का कहना है कि कई मंदिरों, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य पूजा स्थलों का भी रिनोवेशन किया जाएगा। यानी महाकुंभ -2025 से पहले प्रयागराज भव्य और अलौकिक बनने जा रहा है।
इसी क्रम में प्रयागराज में 60 करोड़ के डिजिटल कुंभ मियूज़ियम का निर्माण कराया जाएगा। जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होगा।
इस मियूज़ियम में महाकुंभ के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों के दर्शन होंगे और तीन नदियों यानी गंगा, यमुना और सरस्वती को तीन अलग रंगों के माध्यम से दिखाया जाएगा जिसमे एनीमेशन का पूर्ण प्रयोग होगा। पर्यटन विभाग की ओर से इसका प्रस्ताव हाल ही में मुख्य सचिव के सामने प्रस्तुत किया गया है।
हर बारह वर्षों में आयोजित किया जाने वाला महाकुंभ आखिरी बार प्रयागराज में वर्ष 2013 में आयोजित किया गया था जब देश विदेश से आए 12 करोड़ श्रद्धालुओं के साथ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा लगा था।
वहीं हर छ वर्ष बाद अर्ध कुंभ भी उसी स्थान पर आयोजित किया जाता है। आखिरी बार प्रयागराज में अर्ध कुंभ वर्ष 2019 में आयोजित किया गया था। तब इस मेले ने लार्जेस्ट क्राउड मैनेजमेंट, लार्जेस्ट सैनिटेशन ड्राइव और लार्जेस्ट पेंटिंग एक्सरसाइज के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपनी जगह बनाई थी।
भारत जिस सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है सरकार उस ओर निरंतर कार्य कर रही है।
देश भर में संस्कृति एवं सभ्यता के पुनरुत्थान के लिए प्रयास जारी हैं। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि आगामी महाकुम्भ में विश्वभर से श्रद्धालुओं के बड़ी संख्या में आने की उम्मीद है।
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