वन नेशन, वन इलेक्शन पर विपक्ष के विरोध के बीच राजनीतिक रणनीतिककार प्रशांत किशोर ने अपने हालिया भाषण में इसका समर्थन किया है। जाहिर है कि जब से केंद्र सरकार ने विधेयक पर चर्चा के लिए विशेष संसदीय सत्र की अधिसूचना जारी की है तब से विपक्षी दलों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।
इसी विधेयक पर प्रशांत किशोर ने कहा है कि अगर यह सही इरादों के साथ किया जाता है। साथ ही इसे लागू करने के लिए 4-5 वर्ष चरणबद्ध तरीके से काम किया जाए तो यह कदम देश हित में काम करेगा।
प्रशांत किशोर ने इसके सफल होने एवं फायदे पर बात करते हुए कहा कि यह पहले भी देश में 17-18 वर्ष तक लागू था। दूसरी बात, भारत जैसे बड़े देश में 25% लोग मतदान करते हैं। सरकार चलाने वाले लोग चुनाव के चक्र में फंसे रहते हैं। चुनावों को 1-2 बार तक सीमित रखने से खर्चों में कमी आएगी और लोगों के लिए भी फैसला लेना आसान होगा।
हालांकि प्रशांत किशोर ने इसके जल्दबाजी में कार्यान्वयन पर भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अगर आप रातोंरात बदलाव का प्रयास करेंगे तो समस्याएं होंगी। सरकार जो विधेयक ला रही है उसे लाने दीजिए। अगर सरकार की मंशा अच्छी हा तो ऐसा होना और यह देश के लिए अच्छा होगा। हालांकि इसमें सरकार की मंशा मायने रखती है।
उल्लेखनीय है कि वन नेशन, वन इलेक्शन का अर्थ है कि देश के राज्य और केंद्र सरकारों के चुनाव एक ही समय पर आयोजित होंगे। वर्ष, 2018 की एक लॉ कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार एक चुनाव देश के प्रशासनिक, आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए फायदेमंद होगा। लॉ कमीशन के अनुसार एक राष्ट्र, एक चुनाव फायदेमंद होगा क्योंकि यह देश को लगातार चुनाव की स्थिति से बचाएगा।
चुनाव के समय संबंधित चुनाव क्षेत्रों के विकास कार्यों में बाधा आती है। वन नेशन, वन इलेक्शन देश की वृद्धि और दीर्घकालिक विकास के लिए अत्यधिक फायदेमंद साबित होगा।
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