नेपाल की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर सामने आया है। जहाँ चुनाव परिणामों के बाद से ही निवर्तमान प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा था वहीं इसके उलट आज नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने CPN (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल को नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया है।
नेपाली कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-माओवादी सेंटर प्रमुख पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के बीच लम्बे समय से सत्ता के लिए सहमति न बन पाने के बाद नेपाल में पाँच दलों का सत्तारूढ़ गठबंधन आखिरकार टूट गया। गौरतलब है कि निवर्तमान प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने प्रचंड को पाँच साल के कार्यकाल के शुरुआती ढाई साल के लिए सरकार का नेतृत्व करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
जिसके बाद CPN-UML के अध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रचंड को प्रधानमंत्री बनने के लिए समर्थन देने पर सहमति जताई है।
चुनाव परिणामों के बाद ही प्रचंड किंगमेकर की भूमिका में नज़र आ रहे थे।
दहल का प्रधानमंत्री के रूप में यह तीसरा कार्यकाल होगा। राष्ट्रपति भंडारी ने उन्हें संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार नियुक्त किया।
राष्ट्रपति के मीडिया प्रभारी टीका ढकाल ने कहा, “राष्ट्रपति ने पुष्प कमल दहल को आज रविवार को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। दहल को संसद में नेपाली कॉन्ग्रेस, सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी को छोड़कर सभी दलों का समर्थन हासिल है।”
ढकाल के मुताबिक, दहल का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार शाम चार बजे होना है।
दहल के पास सीपीएन-यूएमएल के 78, उनकी अपनी माओवादी सेंटर पार्टी के 32 और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के 14, जनता समाजवादी पार्टी के 12, जनमत पार्टी के छ: सहित 169 सदस्यों का समर्थन है। साथ ही उन्हें निर्दलीय सांसद प्रभु साह, किरण कुमार साह और अमरेश कुमार सिंह का समर्थन भी हासिल है।
केंद्र में नई सरकार बनने के साथ ही सात दलों का नया गठबंधन सभी सात प्रांतों में भी सरकार बनाने की ओर अग्रसर होता दिख रहा है।
चीन के करीबी केपी ओली की सत्ता में वापसी के बाद अब भारत-नेपाल संबधों को देखना भी दिलचस्प रहेगा।
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