प्रधानमंत्री जन-धन योजना को 8 साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना के बारे में जानकारी 15 अगस्त 2014 को लाल किले से दिए अपने भाषण में दी थी। इसकी शुरुआत 28 अगस्त 2014 को पूरे देश में हुई थी।
पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि, आज करोड़ों परिवार हैं जिनके पास मोबाइल फोन तो है लेकिन, बैंक खाता नहीं है। यही स्थिति हमें बदलनी है। देश के आर्थिक संसाधन गरीब के काम आएं, इसकी शुरुआत यहीं से होती है।
योजना की 6 मुख्य बातें
- बैंकिंग सेवाओं तक सबकी पहुँच हो, जिसमें शाखा और बैंकिंग संवाददाता से आसानी से संपर्क हो।
- रुपए की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ मूल बचत खाते में प्रत्येक वयस्क को ₹10,000 तक का ओवरड्राफ्ट।
- वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम के तहत बचत को बढ़ावा, ATM का उपयोग, ऋण के लिए तैयार करना, बैंकिंग हेतु बुनियादी मोबाइल फोन का उपयोग करना।
- बैंकों की चूक के खिलाफ क्रेडिट गांरटी फंड का निर्माण करना।
- बीमा की सुविधा, जिसमें ₹1,00,000 तक दुर्घटना कवर और ₹30,000 तक का जीवन कवर मिलता है।
- असगंठित क्षेत्र के लिए पेंशन योजना इसमें शामिल है।
योजना के लाभ
- PMJDY में देश के गरीब लोगों के बैंक, पोस्ट ऑफिस, राष्ट्रीयकृत बैंकों में जीरो बैंलेस पर खाते खोले जाते हैं।
- खाते से आधार लिंक होने के 6 महीने बाद ₹5000 की ओवरड्राफ्ट सुविधा, रुपे डेबिट कार्ड और रुपे किसान कार्ड के जरिए ₹1 लाख तक के दुर्घटना बीमा को कवर करने की सुविधा मिलती है।
इस योजना का लाभ शहरी और ग्रामीण दोनों आबादी को पहुँचाया जाता है। खाता खुलवाने के बाद लाभार्थी की मृत्यु हो जाने पर सरकार लाभार्थी के परिवार को ₹30,000 का अतिरिक्त बीमा उपलब्ध करवाती है। बैंक खाते के जरिए सरकारी योजनाओं का लाभ उपलब्ध करवाया जाता है, जिसमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, कोविड-19 वित्तीय सहायता, पीएम-किसान, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना (मनरेगा) शामिल है। जमा राशि पर ब्याज प्रदान किया जाता है। साथ ही, इसमें न्यूनतम शेष राशि बनाए रखनी जरूरी नहीं है। देश में कहीं भी आसानी से रुपए स्थानांतरण की सुविधा प्रदान की जाती है।
8 साल की उपलब्धियां
- 2015 में जहां 17.9 करोड़ खाते थे वो बढ़कर 8 साल में 46.25 करोड़ पर पहुँच गए हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक खातों की संख्या 67% की दर से बढ़ी है।
- जनधन योजना के बाद बैंकों में महिलाओं के खाते 2015 की तुलना में 15% से 56% पर पहुँच गए हैं।
योजना का लक्ष्य देश के सभी लोगों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुँचाना था और आंकड़े इसकी सफलता की ओर इशारा करते नजर आ रहे हैं। सभी बैंक खातों की बात करें तो इनमें ₹1,72,539 करोड़ का बैंलेस उपलब्ध है। 6.55 लाख बैंक मित्र देश भर में किसी शाखा के बिना बैंकिंग सेवा उपलब्ध करवा रहे हैं। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान 10 दिनों में 20 करोड़ से अधिक महिला PMJDY खातों में अनुग्रह राशि भेजी गई थी।
PMJDY में सक्रिय खातों की संख्या 37.57 करोड़ है, जो कि कुल खातों का 81.2% प्रतिशत है। शून्य शेष खातों की संख्या मात्र 8.2% है। अगस्त 2015 से अगस्त 2022 तक खाते 2.58% तो खातों में राशि 7.60% बढ़ी है।
डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी
जनधन खातों के जरिए डिजिटल लेनदेन में भी बढ़ोतरी हुई है। डिजिटल लेनदेन का आंकड़ा 2016-17 में ₹978 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में ₹7,195 करोड़ पहुँच गया है। यूपीआई वित्तीय लेनदेन की कुल संख्या 2016-2017 1.79 करोड़ से बढ़कर 2021-2022 में 4,596 करोड़ हो गई है। ई-कॉमर्स में रुपे कार्ड से लेनदेन की कुल संख्या 2016-17 में 28.28 करोड़ से 2021-22 में 151.64 करोड़ पर पहुँच गई है।
नई सुविधाओं के साथ योजना का विस्तार
योजना के 8 साल पूरे होने के साथ ही इसका विस्तार भी किया गया है, जिसमें मुख्य केंद्र अब ‘हर घर’ से हटकर प्रत्येक बैंक रहित वयस्क पर हो गया है। रुपे कार्ड में मिलने वाला मुफ्त दुर्घटना बीमा कवर ₹1,00,000 से बढ़कर ₹2,00,000 कर दिया गया है। साथ ही ओवरड्राफ्ट की सीमा को ₹5000 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दिया गया है, जिसमें ₹2000 तक का ओवरड्राफ्ट बिना शर्तों के मिलेगा। साथ ही ओवरड्राफ्ट में आयु सीमा बढ़ाकर 60 वर्ष से 65 वर्ष की गई है। योजना की सुविधाओं को लाभार्थियों तक आसानी से पहुँचाने के लिए जन धन दर्शक एप का शुभारंभ किया गया है।
आगे की राह
8 साल पहले शुरु हुई योजना के आंकड़े उत्साहजनक है। हालाँकि, इस दिशा में अभी ओर काम किया जा सकता है, जिसमें सबसे पहला कार्य PMJDY खाताधारकों के कवरेज को सुनिश्चित करना है। रुपे डेबिट कार्ड के उपयोग सहित डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना। खाताधारकों की सूक्ष्म -ऋण और निवेश जैसी आवर्ती जमा खातों आदि तक पहुँँच सुनिश्चित करना शामिल है।